दोनों के सैम्पल लेकर आईसीएमआर भेजा
डॉ. एसपी तिवारी ने बताया कि दोनों पीडि़तों के थ्रोट के सैंपल लिए गए। सैंपल जबलपुर भेजने में अस्पताल प्रबंधन को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था। एेसे में आनन-फानन विशेष वाहन बुलाया गया। तब दोनों सैंपल जांच के लिए इंडियन मेडिकल रिसर्च सेंटर जबलपुर भेजे गए।
48 घंटे बाद आएगी जांच रिपोर्ट
विशेषज्ञ चिकितसकों के मुताबिक नाक और गले के पिछले हिस्से में वायरस के मौजूद होने की संभावना अधिक होती है। स्वैब के जरिए इन्हीं कोशिकाओं को उठाया जाता है। स्वैब को एेसे सॉल्यूशन में डाला जाता है जिनसे कोशिकाएं रिलीज होती हैं। स्वैब टेस्ट का इस्तेमाल सैंपल में मिले जैनेटिक मेटेरियल को कोरोना वायरस के जेनेटिक कोर्ड से मिलाने में किया जाता है।
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सीएमएचओ दफ्तर में कंट्रोल रूम
सीएमएचओ डॉ. अशोक कुमार अवधिया ने बताया कि सीएमएचओ दफ्तर में कंट्रोल रूम बनाया गया है। इसमें तीन पालियों में आधा दर्जन से अधिक कर्मचारी तैनात किए गए हैं।
जिला अस्पताल में 210 की स्क्रीनिंग
जिला अस्पताल में रविवार को सर्दी-जुकाम, बुखार, प्रभावित शहरों, देशों से आने वाले कुल २१० लोगों की स्क्रीनिंग की गई। इनमें तीन लोग संदिग्ध मिले। तीनों को आइसोलेशन की सलाह दी गई थी।
एक संदिग्ध चला गया घर
इंफेक्सियस डिसीज कंट्रोल नोडल अधिकारी डॉ. तिवारी द्वारा तीन संदिग्ध लोगों को भर्ती होने का परामर्श दिया गया। दो पीडि़त तो चिकित्सक के परामर्श पर कंट्रोल वार्ड में दाखिल हो गए लेकिन एक पीडि़त मौके से भाग खड़ा हुआ। इसकी बाद में सभी वार्डों में तलाश की गई पर वह नहीं मिला।
सभी ब्लॉक में हुई स्क्रीनिंग
जिले के सभी विकासखंडों में प्रभावित शहरों से आने वाले लोगों की स्क्रीनिंग कराई गई। महकमे के रिकार्ड में शाम ७ बजे तक जिले भर में २८३ लोगों की स्क्रीनिंग की जा चुकी थी। सभी बीएमओ को बाहर से आने वाले लोगों की स्क्रीनिंग का जिम्मा सौंपा गया है। मैदानी अमले को भी बाहर से आने वाले लोगों की जानकारी मांगी गई है। उन्हें क्षेत्र पर नजर बनाए रखने कहा गया है।
संक्रमण का खतरा बढ़ा तब दी विदेश यात्रा की जानकारी
विदेशों से आकर लोग शहर में रह रहे थे, स्क्रीनिंग तो दूर स्वास्थ्य महकमे को सूचना तक नहीं दी थी लेकिन जब कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा बढ़ा तो जिला अस्पताल पहुंच स्क्रीनिंग कराई, सर्विलांस फार्म भरा। सीएमएचओ ने लापरवाही पर जमकर फटकार लगा होम आइसोलेशन की सलाह दी। दरअसल कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते लोग विदेशों में रह रहे लोग लौट आए हैं लेकिन इनके द्वारा एडवाइजरी को दरकिनार कर दिया गया। सतना पहुंचने के बाद लोग न तो स्क्रीनिंग करा रहे और न ही स्वास्थ्य महकमे को अपनी विदेश यात्रा की जानकारी दे रहे हैं।
यूगांडा, यूएई, थाईलैंड, पाकिस्तान सहित अन्य देशों से आकर लोग स्क्रीनिंग कराना तो दूर महकमे को जानकारी तक नहीं थी दी। कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा बढ़ा तो रविवार को ९ लोगों ने सर्विलांस फार्म भरा, स्क्रीनिंग कराई। इनमें पारस कॉलोनी निवासी वीर बत्रा पाकिस्तान से बाघा, दिल्ली होते हुए सड़क मार्ग से सतना पहुंचे, पूनम भवन के पीछे गली नंबर-३ के रहने वाले महेंद्र कुमार त्रिपाठी यूगांडा से १७ मार्च को जबलपुर एयरपोर्ट पहुंचे, यादुवेंद्र त्रिवेदी, पुष्पेंद्र त्रिवेदी, स्वेता त्रिवेदी १२ मार्च को यूएई से इंडिया पहुंचे, अजीतमणि त्रिपाठी २१ मार्च को बैंकाक से कोलकाता पहुंचे, नितिन त्रिपाठी, अमित गर्ग, रमा त्रिपाठी १८ मार्च का बेंगलुरू से सतना पहुंचे।
जिला अस्पताल में जांच के लिए लोग होते रहे परेशान
भले ही जिला अस्पताल में बाहर से आने वाले लोगों की जांच के लिए कंट्रोल रूम बनाया गया है और चिकित्सकों की २४ घंटे की तैनाती की गई है लेकिन इस आपात स्थिति में भी चिकित्सक गंभीर नजर नहीं आ रहे हैं। रविवार की शाम से रात तक बाहर से आने वाले लोग अपनी जांच और स्क्रीनिंग के लिए जिला अस्पताल में इंतजार करते रहे लेकिन यहां कोई डॉक्टर मौजूद नहीं मिला।
रिमारी में विवाद की स्थिति, पुलिस रवाना
बिरसिंहपुर तहसील के रिमारी गांव में कोरोना को लेकर विवाद की स्थिति बन गई। रात साढ़े ९ बजे मुंबई से लौटे व्यक्ति को ग्रामीणों ने गांव में प्रवेश करने से रोक दिया। उनका कहना है कि उसकी तबियत खराब है। बिना जांच के उसे गांव में नहीं घुसने दिया जाएगा। इसकी जानकारी मिलते ही सभापुर पुलिस और चिकित्सक मौके के लिये रवाना हो गए हैं।
धारा 144 का उल्लंघन
जिले में 31 मार्च तक धारा 144 प्रभावी है और किसी भी प्रकार के धरना प्रदर्शन पर रोक लगी हुई है। इसके बाद भी नजीराबाद में रात ९ बजे से १० बजे तक सीएए और एनआरसी के विरोध में धरना प्रदर्शन आयोजित किया गया।