बाघ व गिद्ध के रहवास के लिए बताया खतरा
कमेटी ने परियोजना में शामिल किए जा रहे पन्ना टाइगर रिजर्व पर चिंता जताते हुए कहा है कि यह अनूठा है। इसे पुन: विकसित नहीं किया जा सकता। वर्तमान स्थिति में परियोजना को बिल्कुल भी अनुमति नहीं दी जा सकती। उल्लेखनीय है, करीब दो दशक पूर्व अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने देश की प्रमुख नदियों को आपस में जोडऩे की परियोजना को मंजूरी दी थी। इसमें केन-बेतवा लिंक परियोजना प्रमुख थी। इसकी प्रक्रिया सबसे पहले शुरू हुई। लेकिन, इस परियोजना को लेकर पर्यावरण क्षेत्र से जुड़े कई संगठनों ने विरोध शुरू कर दिया।
कमेटी ने परियोजना में शामिल किए जा रहे पन्ना टाइगर रिजर्व पर चिंता जताते हुए कहा है कि यह अनूठा है। इसे पुन: विकसित नहीं किया जा सकता। वर्तमान स्थिति में परियोजना को बिल्कुल भी अनुमति नहीं दी जा सकती। उल्लेखनीय है, करीब दो दशक पूर्व अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने देश की प्रमुख नदियों को आपस में जोडऩे की परियोजना को मंजूरी दी थी। इसमें केन-बेतवा लिंक परियोजना प्रमुख थी। इसकी प्रक्रिया सबसे पहले शुरू हुई। लेकिन, इस परियोजना को लेकर पर्यावरण क्षेत्र से जुड़े कई संगठनों ने विरोध शुरू कर दिया।
कोर्ट में लगी याचिका
इस परियोजना को लेकर बांदा के समाजसेवी आशीष सागर ने भी विरोध किया था। वहीं मप्र के मनोज मिश्रा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी। इस पर सुप्रीमकोर्ट ने उच्चस्तरीय कमेटी (सीईसी) गठित कर मौके पर जाकर जांच-पड़ताल के आदेश दिए थे। समिति ने इसी वर्ष मार्च के अंतिम सप्ताह में परियोजना स्थल का निरीक्षण किया था। खासतौर पर इस परियोजना में शामिल किए जा रहे पन्ना रिजर्व टाइगर की जांच की थी।
इस परियोजना को लेकर बांदा के समाजसेवी आशीष सागर ने भी विरोध किया था। वहीं मप्र के मनोज मिश्रा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी। इस पर सुप्रीमकोर्ट ने उच्चस्तरीय कमेटी (सीईसी) गठित कर मौके पर जाकर जांच-पड़ताल के आदेश दिए थे। समिति ने इसी वर्ष मार्च के अंतिम सप्ताह में परियोजना स्थल का निरीक्षण किया था। खासतौर पर इस परियोजना में शामिल किए जा रहे पन्ना रिजर्व टाइगर की जांच की थी।
93 पृष्ठ की रिपोर्ट
बताया जा रहा है कि कि सीईसी ने 30 अगस्त को जांच रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी है। 93 पृष्ठ की इस रिपोर्ट में समिति ने केन-बेतवा लिंक परियोजना को लेकर कई सवाल उठाए हैं। पन्ना रिजर्व टाइगर के अस्तित्व को लेकर कहा है कि यह बाघों का निवास स्थान है। ऐसे जंगल क्षेत्रों में इस तरह की परियोजनाओं से परहेज होना चाहिए।
बताया जा रहा है कि कि सीईसी ने 30 अगस्त को जांच रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी है। 93 पृष्ठ की इस रिपोर्ट में समिति ने केन-बेतवा लिंक परियोजना को लेकर कई सवाल उठाए हैं। पन्ना रिजर्व टाइगर के अस्तित्व को लेकर कहा है कि यह बाघों का निवास स्थान है। ऐसे जंगल क्षेत्रों में इस तरह की परियोजनाओं से परहेज होना चाहिए।
सवाल उठाए कमेटी ने
01. पन्ना रिजर्व टाइगर देश का महत्वपूर्ण बाघ रिहायशी पार्क है। इस परियोजना में वन्य जीवों के आवास का 10,500 हेक्टेयर क्षेत्र का नुकसान होगा। यह डूब क्षेत्र में आ जाएगा। यहां ऐसी परियोजना के निर्माण का औचित्य नहीं है। कहा कि यहां गिद्धों के निवास स्थान पर भी असर पड़ेगा। सभी प्रजातियों को पृथ्वी पर मौजूद रहने का समान अधिकार है।
02. केन-बेतवा लिंक से मप्र-उप्र क्षेत्रों में जो सिंचाई के अनुमानित आंकड़े बताए गए हैं, उनका जोड़ शुद्ध नहीं है।
03. सीईसी ने नेशनल बोर्ड ऑफ वाइल्ड लाइफ द्वारा इस परियोजना पर अपनी सहमति देने पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि वन्य प्राणियों को निवास और अनूठे परिस्थितिकीय तंत्र व जैव विविधता को अनदेखा किया गया है।
01. पन्ना रिजर्व टाइगर देश का महत्वपूर्ण बाघ रिहायशी पार्क है। इस परियोजना में वन्य जीवों के आवास का 10,500 हेक्टेयर क्षेत्र का नुकसान होगा। यह डूब क्षेत्र में आ जाएगा। यहां ऐसी परियोजना के निर्माण का औचित्य नहीं है। कहा कि यहां गिद्धों के निवास स्थान पर भी असर पड़ेगा। सभी प्रजातियों को पृथ्वी पर मौजूद रहने का समान अधिकार है।
02. केन-बेतवा लिंक से मप्र-उप्र क्षेत्रों में जो सिंचाई के अनुमानित आंकड़े बताए गए हैं, उनका जोड़ शुद्ध नहीं है।
03. सीईसी ने नेशनल बोर्ड ऑफ वाइल्ड लाइफ द्वारा इस परियोजना पर अपनी सहमति देने पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि वन्य प्राणियों को निवास और अनूठे परिस्थितिकीय तंत्र व जैव विविधता को अनदेखा किया गया है।