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केन-बेतवा लिंक परियोजना पर अनिश्चितता के छाए बादल, सीईसी ने सरकारों के फैसले पर उठाए सवाल

locationपन्नाPublished: Sep 23, 2019 06:44:43 pm

Submitted by:

Anil singh kushwah

30 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट को सौंपी गई है रिपोर्ट

Uncertainty over Panna Cane-Betwa Link Project

Uncertainty over Panna Cane-Betwa Link Project

पन्ना. नदियों को जोडऩे के महत्वकांक्षी प्रोजैक्ट में केन-बेतवा लिंक परियोजना भी है। लेकिन, इस परियोजना पर अनिश्चितता के बादल मंडराने लगे हैं। क्रियान्वयन शुरू होने के अंतिम समय में ये स्थिति दिख रही है। करीब दो दशक से परिजयोजना में बांधाएं आती रही हैं। अब नया मामला सीईसी का है, जिसने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर क्षेत्र का जायजा लिया और अपनी रिपोर्ट 30 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट के समाने प्रस्तुत कर दी है। बताया जा रहा है कि इसमें कई गंभीर सवाल खड़े किए गए हैं। सीईसी ने स्पष्ट कर दिया है कि पर्यावरण स्वीकृति देने में जैव विविधता को नजर अंदाज किया गया है। वहीं बाघों व गिद्धों के रहवास पर व्यापक असर पडऩे वाला है। इस रिपोर्ट के बाद सरकारों के सामने दुविधा की स्थिति है।
बाघ व गिद्ध के रहवास के लिए बताया खतरा
कमेटी ने परियोजना में शामिल किए जा रहे पन्ना टाइगर रिजर्व पर चिंता जताते हुए कहा है कि यह अनूठा है। इसे पुन: विकसित नहीं किया जा सकता। वर्तमान स्थिति में परियोजना को बिल्कुल भी अनुमति नहीं दी जा सकती। उल्लेखनीय है, करीब दो दशक पूर्व अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने देश की प्रमुख नदियों को आपस में जोडऩे की परियोजना को मंजूरी दी थी। इसमें केन-बेतवा लिंक परियोजना प्रमुख थी। इसकी प्रक्रिया सबसे पहले शुरू हुई। लेकिन, इस परियोजना को लेकर पर्यावरण क्षेत्र से जुड़े कई संगठनों ने विरोध शुरू कर दिया।
कोर्ट में लगी याचिका
इस परियोजना को लेकर बांदा के समाजसेवी आशीष सागर ने भी विरोध किया था। वहीं मप्र के मनोज मिश्रा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी। इस पर सुप्रीमकोर्ट ने उच्चस्तरीय कमेटी (सीईसी) गठित कर मौके पर जाकर जांच-पड़ताल के आदेश दिए थे। समिति ने इसी वर्ष मार्च के अंतिम सप्ताह में परियोजना स्थल का निरीक्षण किया था। खासतौर पर इस परियोजना में शामिल किए जा रहे पन्ना रिजर्व टाइगर की जांच की थी।
93 पृष्ठ की रिपोर्ट
बताया जा रहा है कि कि सीईसी ने 30 अगस्त को जांच रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपी है। 93 पृष्ठ की इस रिपोर्ट में समिति ने केन-बेतवा लिंक परियोजना को लेकर कई सवाल उठाए हैं। पन्ना रिजर्व टाइगर के अस्तित्व को लेकर कहा है कि यह बाघों का निवास स्थान है। ऐसे जंगल क्षेत्रों में इस तरह की परियोजनाओं से परहेज होना चाहिए।
सवाल उठाए कमेटी ने
01. पन्ना रिजर्व टाइगर देश का महत्वपूर्ण बाघ रिहायशी पार्क है। इस परियोजना में वन्य जीवों के आवास का 10,500 हेक्टेयर क्षेत्र का नुकसान होगा। यह डूब क्षेत्र में आ जाएगा। यहां ऐसी परियोजना के निर्माण का औचित्य नहीं है। कहा कि यहां गिद्धों के निवास स्थान पर भी असर पड़ेगा। सभी प्रजातियों को पृथ्वी पर मौजूद रहने का समान अधिकार है।
02. केन-बेतवा लिंक से मप्र-उप्र क्षेत्रों में जो सिंचाई के अनुमानित आंकड़े बताए गए हैं, उनका जोड़ शुद्ध नहीं है।
03. सीईसी ने नेशनल बोर्ड ऑफ वाइल्ड लाइफ द्वारा इस परियोजना पर अपनी सहमति देने पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि वन्य प्राणियों को निवास और अनूठे परिस्थितिकीय तंत्र व जैव विविधता को अनदेखा किया गया है।

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