पन्ना के भू-गर्म में ग्राउंड वाटर नहीं है। इसी को देखते हुए यहां सरफेस वाटर बैंक बनाने के लिए राजशाही जमाने में तालाब, तलैया का बड़ी संख्या में निर्माण कराया गया था। इन तालाबों और तलैया से अंडरग्राउंड कैनाल के माध्यम से शहर के एक सैकड़ा से भी अधिक कुओं को जोड़ा गया था। इन कुओं की अपनी झिर नहीं हैं। तालाबों के पानी से इन कुओं को भरा जाता है। प्राचीन इंजीनियरिंग का यह बेजोड़ उदाहरण अब उपेक्षा के शिकार हैं। बुजुर्ग बताते हैं कि पहले भीषण गर्मी और सूखे के सालों में भी यह कुएं नहीं सूखते थे। बारिश के दिनों में तो इनमें इतना पानी होता था कि रस्सी की भी जरूरत नहीं पड़ती थी। हाथ से कुएं में बाल्टी डालकर ही लोग पानी भर लेते थे।
करीब डेढ़ दशक पूर्व हुए जडिय़ा हत्याकांड के दौरान आरोपियों ने कलेक्ट्रेट परिसर में बने एक कुए में हथियार फेक दिए थे। आरोपियों की निशानदेही पर हथियार जब्त करने कुए को खाली किया जा रहा था। दो दिन तक लागातार पानी निकालने के बाद भी कुआ खाली नहीं हुआ था। इससे मोटर पंपों की क्षमता बढ़ाने पड़ गई थी। वहां भी इसी तरह की कैनाल मिली थी। इसके अलावा पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष बृजेंद्र बुंदेला के नगर परिषद अध्यक्ष रहते बेनीसागर तालाब का गहरीकरण कराने को तालाब को खाली कराया गया था। जिसके बाद पाया गया कि बस स्टैंड और इसके आसपास के करीब आधा सैकड़ा कुएं पूरी तरह से सूख गए थे। बाद में जो तालाब भरने के साथ ही फिर लबालब हो गए थे।