पन्ना विधायक बृजेन्द्र प्रताप सिंह ने ध्यानाकर्षण लगाकर सदन का ध्यान आकृष्ट कराते हुये बताया कि राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे स्थित मड़ला गांव से अजयगढ़ जाने वाले मार्ग पर वन विभाग के दो बैरियर लगे हैं। पहला बैरियर राष्ट्रीय राजमार्ग के पास ही हरसा मोड़ पर है, जहां से ग्रामीण सिर्फ दिन के समय ही आवागमन कर सकते हैं।
सूर्यास्त के बाद यहां से आवागमन पूरी तरह बन्द कर दिया जाता है। विधायक ने बताया कि हरसा मोड़ से अजयगढ़ के बीच तकरीबन 20 गांव आते हैं, जहां निवास करने वाले लोगों को इस तरह की बंदिशें झेलनी पड़ रही हैं। सबसे अधिक समस्या तब होती है जब इन गांवों का कोई व्यक्ति बीमार हो जाता है।
ऐसी स्थिति में भी बीमार पड़े व्यक्ति को अस्पताल ले जाने के लिये ग्रामीणों को सुबह का इंतजार करना पड़ता है। इसे कई लोगों के विवाह तक टूट गए हैं। बताया कि वन विभाग की आपत्तियों के चलते पक्का मार्ग नहीं बन पा रहा। जिससे डेढ़ दर्जन से भी अधिक ग्रामों के लोगों को बारिश के मौसम में भारी मुसीबत झेलनी पड़ती है।
सड़क बनाने में रोक नहीं, क्षेत्र में बाघ का रहवास विधायक द्वारा उठाई गई ग्रामीणों की इस समस्या के संबंध में प्रदेश के वन मंत्री उमंग सिंघार ने बताया, सड़क बनाने पर किसी प्रकार की रोक नहीं है। मड़ला-अजयगढ़ मार्ग पर 13 किमी कच्चा मार्ग है। इसमें लगभग 2.2 किमी लम्बा एरिया बाघों का प्राकृतिक रहवास है।
यही वजह है कि सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के परिपालन में कुछ बंदिशें लगाई गई हैं। वन मंत्री ने बताया कि यह एरिया वन्य प्राणियों की सुरक्षाए रेत के अवैध उत्खनन व शिकार की दृष्टि से अति संवेदनशील है। उन्होंने इन आरोपों को गलत और निराधार बताया है कि वन क्षेत्र में निवास करने वाले ग्रामीणों से बैरियर में पैसा लिया जाता है। वन मंत्री ने कहा कि सिर्फ व्यवसायिक वाहनों से ही शुल्क लिया जाता है।
13 किमी है कच्चा मार्ग, होती है परेशानी छतरपुर राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे स्थित हरसा मोड़ फारेस्ट बैरियर से अजयगढ़ की दूरी तकरीबन 30 किमी है। यहां से सलैया गांव तक लगभग 13 किमी कच्चा मार्ग है और सलैया से अजयगढ़ तक डामर रोड बना हुआ है। मुख्य समस्या हरसा मोड़ से सलैया तक है, जो बारिश के समय कीचड़ युक्त हो जाता है, जिससे आवागमन में असुविधा होती है। इस मार्ग पर ग्रामीणों की सुविधा के लिये एक यात्री बस भी चलती है जो बारिश के मौसम में पहाड़ी नालों पर पानी आ जाने के कारण बन्द हो जाती है।
मार्ग पर डेढ़ दर्जन से भी अधिक नाले हैं जो थोड़ी बारिश में ही मार्ग के ऊपर से बहने लगते हैं। यदि हरसा मोड़ से सलैया तक पक्का मार्ग बन जाये तो बारिश के मौसम में भी आवागमन सुगम हो सकता है।इस मार्ग पर आने वाले गांव हरसा, बगौंहा, नहरी, सलैया, झिन्ना व बघा के लोगों को बारिश में सबसे ज्यादा परेशानी होती है।
गांव में रुककर बनाएं योजना विधायक के निवेदन पर मप्र विधानसभा के अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने राजस्व, वन व लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे गंगऊ अभ्यारण्य के अन्तर्गत बसे ग्रामों तथा वहां निवासरत लोगों की समस्याओं को समझने व उनके निदान हेतु क्षेत्र में 15 दिन तक प्रवास करें।
विधानसभा अध्यक्ष ने मामले को गंभीरता से लेते हुये समस्या के निराकरण ण्क कमेटी गठित करने के भी निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा, संबंधित क्षेत्र के डिप्टी कलेक्टर, लोक निर्माण विभाग के कार्यपालन यंत्री व वन विभाग के उच्च अधिकारी समस्याग्रस्त क्षेत्र में जाकर 15 दिन रहें और कार्य योजना बनायें ताकि इस अंचल के रहवासियों को बुनियादी और मूलभूत सुविधायें उपलब्ध हो सकें।