300 खदानें बंद
कार्रवाई के बाद से रमखिरिया की खदानों सहित बडग़ड़ी, सिरस्वाहा डैम, रहुनिया, पल्थरा आदि क्षेत्रों की करीब 300 हीरा खदानें बंद पड़़ी हैं। दो दिन पूर्व तक जिस छोटे से क्षेत्र में दिनरात जेसीबी और एलएनटी मशीनें चल रही थीं वहां गुरुवार को सन्नाटा पसरा था। गौरतलब है कि एक दिन पूर्व बुधवार को प्रशासन द्वारा रमखिरिया के पास अमला में संचालित वैध और अवैध हीरा खदानों के खिलाफ छापामार कार्रवाई करते हुए 10 बड़ी मशीनें जब्त की थीं।
कार्रवाई के बाद से रमखिरिया की खदानों सहित बडग़ड़ी, सिरस्वाहा डैम, रहुनिया, पल्थरा आदि क्षेत्रों की करीब 300 हीरा खदानें बंद पड़़ी हैं। दो दिन पूर्व तक जिस छोटे से क्षेत्र में दिनरात जेसीबी और एलएनटी मशीनें चल रही थीं वहां गुरुवार को सन्नाटा पसरा था। गौरतलब है कि एक दिन पूर्व बुधवार को प्रशासन द्वारा रमखिरिया के पास अमला में संचालित वैध और अवैध हीरा खदानों के खिलाफ छापामार कार्रवाई करते हुए 10 बड़ी मशीनें जब्त की थीं।
कुछ मशीनें अभी वहीं पड़ीं
तकनीकी कारण से कुछ मशीनें अभी भी संबंधित क्षेत्र में ही पड़ी हैं। जिनकी सुरक्षा के लिए प्रशासन की ओर से एसएफ के गार्डों को तैनात किया गया है। वहीं बृजपुर थाने की पुलिस भी मशीनों की सतत निगरानी कर रही है। गुरुवार दोपहर बृजपुर थाना प्रभारी भी क्षेत्र में गए थे। उन्होंने मौके पर लोगों से जानकारी ली।
तकनीकी कारण से कुछ मशीनें अभी भी संबंधित क्षेत्र में ही पड़ी हैं। जिनकी सुरक्षा के लिए प्रशासन की ओर से एसएफ के गार्डों को तैनात किया गया है। वहीं बृजपुर थाने की पुलिस भी मशीनों की सतत निगरानी कर रही है। गुरुवार दोपहर बृजपुर थाना प्रभारी भी क्षेत्र में गए थे। उन्होंने मौके पर लोगों से जानकारी ली।
मशीनों की बजाय मजदूरों से हो काम
नियमानुसार हीरा खदानों के संचालन के लिए सिर्फ ८ मीटर की गहराई तक खोदने की अनुमति दी जाती है। जिसमें भारी मशीनों के उपयोग की जरूरत नहीं पड़ती है, लेकिन यहां आठ मीटर की गहराई तक खुदाई का पट्टा लेकर लोग 100 मीटर से भी गहरी खदानें खोद रहे हैं। इतनी गहराई तक खोदने में भारी मशीनों की जरूरत तो पड़ेगी ही। इसके साथ ही खदान के लिए स्वीकृत क्षेत्र से 100 गुना बड़े क्षेत्र का उपयोग किया जाता है। इससे हालात खराब हैं। इनसे निकलने वाला अधिकांश हीरा भी कार्यालय में जमा नहीं होता है। अच्छा यह हो कि कार्रवाई के बाद बेरोजगार मजदूरों को खदानों में काम कराया जाए। भारी मशीनों के उपयोग को सख्ती के साथ रोका जाए। जिससे सैकड़ों लोगों को रोजगार ? मिल सके।
नियमानुसार हीरा खदानों के संचालन के लिए सिर्फ ८ मीटर की गहराई तक खोदने की अनुमति दी जाती है। जिसमें भारी मशीनों के उपयोग की जरूरत नहीं पड़ती है, लेकिन यहां आठ मीटर की गहराई तक खुदाई का पट्टा लेकर लोग 100 मीटर से भी गहरी खदानें खोद रहे हैं। इतनी गहराई तक खोदने में भारी मशीनों की जरूरत तो पड़ेगी ही। इसके साथ ही खदान के लिए स्वीकृत क्षेत्र से 100 गुना बड़े क्षेत्र का उपयोग किया जाता है। इससे हालात खराब हैं। इनसे निकलने वाला अधिकांश हीरा भी कार्यालय में जमा नहीं होता है। अच्छा यह हो कि कार्रवाई के बाद बेरोजगार मजदूरों को खदानों में काम कराया जाए। भारी मशीनों के उपयोग को सख्ती के साथ रोका जाए। जिससे सैकड़ों लोगों को रोजगार ? मिल सके।