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चुनावी चकल्लस में जल संरक्षण भूला प्रशासन, समझिए सुधार के उपाय

locationपन्नाPublished: May 09, 2019 12:04:52 am

Submitted by:

Bajrangi rathore

चुनावी चकल्लस में जल संरक्षण भूला प्रशासन, समझिए सुधार के उपाय

water problem in panna

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पन्ना। मप्र के पन्ना जिले में जिला प्रशासन बीते करीब दो माह से लोकसभा चुनाव की तैयारियों में लगा है। चुनावी तैयारी के चलते इस साल जल संरक्षण के प्रयास अभी तक शुरू नहीं किए जा सके हैं, जबकि अभी एक माह से भी अधिक गर्मी का सीजन बाकी है। जिले के अधिकांश जलस्रोत सूखे चुके हैं। जहां पानी बचा भी है वह इतना नहीं है कि उसमें गहरीकरण व सफाई का काम नहीं किया जा सके। इसके बाद भी प्रशासन का ध्यान अभी तक इस ओर नहीं गया है। यदि अभी भी इस दिशा में काम शुरू कर दिया जाए तो कुओं, बावडिय़ों, तालाबों और चौपड़ा आदि की हालत में सुधार हो सकता है।
गौरतलब है कि बीते कुछ सालों से ऐसी परंपरा बन गई थी कि गर्मी में जलस्रोतों का पानी कम होने के साथ ही प्रशासन द्वारा उनके गहरीकरण के काम प्रारंभ करा दिए जाते थे। इससे बारिश के दिन में जल भराव की क्षमता में वृद्धि का लाभ मिलता था। तत्कालीन कलेक्टर शिवनारायण सिंह चौहान के समय में धरम सागर तालाब का गहरीकरण किया गया था। तीन माह तक लगातार चले गहरीकरण कार्य से तालाब की जल भराव क्षमता में काफी वृद्धि हुई थी।
इसका फायदा शहर को अभी भी मिल रहा है। नगर पालिका तालाब के पानी से नगर को पेयजल की सप्लाई करती है। बीते साल कम बारिश होने से यह पूरा नहीं भर पाया था। अभी यह करीब 15 फीट तक खाली हो गया है। इसी तरह बीते साल लोकपाल सागर तालाब के गहरीकरण के लिए रेलवे का काम कर रही ठेकेदार एजेंसी को तालाब से मिट्टी खोदने की अनुमति दी गई थी। इससे इसका एक कोना करीब 2 से 3 फीट तक गहरा हुआ था।
हालांकि अभी तालाब में सिर्फ एक कोने में ही पानी बचा है। करीब 400 एकड़ में फैला यह तालाब अब पूरी तरह से सूखने की कगार पर है। उक्त तालाब को भरने के लिए पहाड़कोठी में बारिश में बहने वाले कुडिय़ा नाला को बांधा गया था। नाले के बहाव स्थल से एक नहर बनाकर तालाब तक पानी लाने के प्रयास किए गए थे, लकिन बारिश कम होने से इनका लाभ नहीं मिल पाया।
अजयगढ़-गुनौर में भी हुआ था काम

बीते साल अजयगढ़ के हजूरी तालाब और गुनौर के गुनू सागर सहित पवई एवं बनौली के कुआंताल की भी कुछ खुदाई कराई गई थी, लेकिन संसाधनों की कमी के कारण इनके गहरीकरण का काम पूरा नहीं हो सका। तत्कालीन मंत्री कुुसुम महदेले ने अजयगढ़ के तालाब के सौंदर्यीकरण के लिए पांच लाख रुपए भी दिए थे।
फिलहाल इस तालाब में पानी नहीं है। बनौली के तालाब में चैत्र नवरात्र में जवारे विसर्जन के लिए तालाब के एक कोने को गहरा करके उसे बोरिंग से भरा गया था। यदि इस साल गर्मी में तालाब को गहरा कर दिया जाता तो यहां कई दशकों तक लोगों को पानी की समस्या से नहीं जूझना पड़ेगा। इसी तरह सूखे पड़े जिलेभर के सैकड़ों तालाबों का गहरीकरण और सफाई कार्य कर दिया जाए तो पेयजल समस्या का काफी हद तक समाधान हो सकता है।
मानसून आने में अभी एक माह से अधिक का समय

गौरतलब है कि जिल में करीब 15 जून से मानसून आने की संभावना रहती है। इसे देखते हुए अभी भी मानसून आने में एक माह से अधिक का समय बाकी है। जिला प्रशासन द्वारा यदि सूखे पड़े और सूखने की कगार पर पहुंच चुके जलस्रोतों का अभी से गहरीकरण और सफाई शुरू करा दिया जाए तो काफी हद तक जलस्रोतों को साफ किया जा सकता है। छोटे तालाब, कुएं और बावड़ी आदि तो सभी साफ किए जा सकते हैं। बड़े तालाबों को भी साफ किया जा सकता है। इन जलस्रोतों की सफाई और गहरीकरण कार्य के लिए जल्द ही प्रयास करने की जरूरत है।
मानसून आने में अभी एक माह से अधिक का समय है। जिला प्रशासन को चाहिए कि सूखे पेड़ों, तालाबों, बावड़ी, कुआं और चौपड़ा आदि के गहरीकरण एवं सफाई का काम युद्ध स्तर पर शुरू करा दिया जाए। इससे एक माह में काफी हद तक जलस्रोतों को साफ कर लिया जाएगा। बारिश के समय इनके भर जाने से आगामी साल में पेयजल की किल्लत नहीं होगी।
यूसुफ बेग, समाजसेवी

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