ये है मामला
गौरतलब है कि पन्ना में हीरा रोजगार का प्रमुख साधनों में से एक है। यही कारण है कि यहां प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से हजारों की संख्या में लोग हीरा के खनन, उसकी धुलाई और विक्रय आदि कार्यों में लगे हैं। जिले के बृजपुर, पहाड़ीखेड़ा और पन्ना क्षेत्र में ही 100 लोग हीरे की खरीदी और विक्रय का कारोबार करते हैं। जंगल से लगे क्षेत्रों में भी एक ही स्थान पर कई-कई लोगों की ओर से अवैध रूप से हीरे की खदानें लगाई गईं। बारिश के दिनों में नालों में पानी आ गया है, इसलिए सबसे अधिक खदानों में नालों के आसपास ही लगाई जाती हैं। जिससे चाल को धोने में ज्यादा परेशानी नहीं हो।
गौरतलब है कि पन्ना में हीरा रोजगार का प्रमुख साधनों में से एक है। यही कारण है कि यहां प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से हजारों की संख्या में लोग हीरा के खनन, उसकी धुलाई और विक्रय आदि कार्यों में लगे हैं। जिले के बृजपुर, पहाड़ीखेड़ा और पन्ना क्षेत्र में ही 100 लोग हीरे की खरीदी और विक्रय का कारोबार करते हैं। जंगल से लगे क्षेत्रों में भी एक ही स्थान पर कई-कई लोगों की ओर से अवैध रूप से हीरे की खदानें लगाई गईं। बारिश के दिनों में नालों में पानी आ गया है, इसलिए सबसे अधिक खदानों में नालों के आसपास ही लगाई जाती हैं। जिससे चाल को धोने में ज्यादा परेशानी नहीं हो।
यहां सबसे ज्यादा अवैध खदान
जिले में वैधानिक रूप से चलने वाली हीरा खदानों के साथ ही बड़ी संख्या में अवैध खदान भी चलती हैं। इससे निकलने वाला शत प्रतिशत हीरा अवैध मार्केेट में बिकता है। सड़कों के किनारे राहचलते लोग हीरे की अवैध खरीदारी कर लेते हैं और किसी को भनक तक नहीं लग पाती है। हीराा कारोबार से जुड़े सूत्रों के अनुसार जिले के हीरा धारित पट्टी क्षेत्र में वृहस्पति कुंड के नीचे वाले क्षेत्र, पत्तालिया, गलासा, बैबई, बुंदनी, सठनागर, सूढ़ा, घिनौचीधार जोहद, इनवास सहित दर्जनों ऐसे क्षेत्र हैं, जहां अभी भी बड़़ी संख्या में हीरे की अवैध खदानें चल रही हैं। हीरे के करोड़ों के काले कारोबार की जानकारी एसपी विवेक सिंह को भी दी गई है। फिलहाल इस दिशा में उन्होंने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है।
जिले में वैधानिक रूप से चलने वाली हीरा खदानों के साथ ही बड़ी संख्या में अवैध खदान भी चलती हैं। इससे निकलने वाला शत प्रतिशत हीरा अवैध मार्केेट में बिकता है। सड़कों के किनारे राहचलते लोग हीरे की अवैध खरीदारी कर लेते हैं और किसी को भनक तक नहीं लग पाती है। हीराा कारोबार से जुड़े सूत्रों के अनुसार जिले के हीरा धारित पट्टी क्षेत्र में वृहस्पति कुंड के नीचे वाले क्षेत्र, पत्तालिया, गलासा, बैबई, बुंदनी, सठनागर, सूढ़ा, घिनौचीधार जोहद, इनवास सहित दर्जनों ऐसे क्षेत्र हैं, जहां अभी भी बड़़ी संख्या में हीरे की अवैध खदानें चल रही हैं। हीरे के करोड़ों के काले कारोबार की जानकारी एसपी विवेक सिंह को भी दी गई है। फिलहाल इस दिशा में उन्होंने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है।
एक खदान में औसतन 20 श्रमिक कर रहे काम
उथली हीरा खदानों के संचालकों ने पूरे गर्मी के सीजन में हीरे की चाल को खोदकर सुरक्षित स्थानों पर डंप कर लिया था। चाल को ऐसे स्थानों पर डंप किया गया था। जहां बारिश का पानी सहजता से पहुंच सके। बीते दिनों जिले में हुई अच्छी बारिश के बाद नालों और गड्ढ़ों में पानी आ गया है। जिससे अब उस पानी का उपयोग हीरे की चाल की धुलाई के लिये किया जा रहा है। इससे इन दिनों सुबह पांच बजे से शाम 10 बजे तक हीरा धारित पट्टी क्षेत्र में हीरे के चाल धुलाई का काम तेज हो गया है। इस काम को करने वाले मजदूरों की मांग भी बढ़ी।
उथली हीरा खदानों के संचालकों ने पूरे गर्मी के सीजन में हीरे की चाल को खोदकर सुरक्षित स्थानों पर डंप कर लिया था। चाल को ऐसे स्थानों पर डंप किया गया था। जहां बारिश का पानी सहजता से पहुंच सके। बीते दिनों जिले में हुई अच्छी बारिश के बाद नालों और गड्ढ़ों में पानी आ गया है। जिससे अब उस पानी का उपयोग हीरे की चाल की धुलाई के लिये किया जा रहा है। इससे इन दिनों सुबह पांच बजे से शाम 10 बजे तक हीरा धारित पट्टी क्षेत्र में हीरे के चाल धुलाई का काम तेज हो गया है। इस काम को करने वाले मजदूरों की मांग भी बढ़ी।
हर साल चाल की धुलाई तेज
सुबह हालत यह होती है कि एक-एक खदान में 15-20 लोग तक काम कर रहे होते हैं। हीरा कारोबार से जुड़े लोगों का कहना है कि बारिश के सीजन में हर साल चाल की धुलाई तेज होती है। इससे इस सीजन में हीरा कार्यालय में जमा होने वाले हीरों की संख्या भी अधिक होती है। नियमानुसार हीरे की बिनाई के समय हीरा विभाग के एक कर्मचारी को मौके पर मौजूद रहना चाहिये। लेकिन मैदानी अमले की कमी से विभाग के पास इतने कर्मचारी ही नहीं हैं।
सुबह हालत यह होती है कि एक-एक खदान में 15-20 लोग तक काम कर रहे होते हैं। हीरा कारोबार से जुड़े लोगों का कहना है कि बारिश के सीजन में हर साल चाल की धुलाई तेज होती है। इससे इस सीजन में हीरा कार्यालय में जमा होने वाले हीरों की संख्या भी अधिक होती है। नियमानुसार हीरे की बिनाई के समय हीरा विभाग के एक कर्मचारी को मौके पर मौजूद रहना चाहिये। लेकिन मैदानी अमले की कमी से विभाग के पास इतने कर्मचारी ही नहीं हैं।