विद्यार्थियों को निर्धारित पाठ्यक्रम के अनुसार शिक्षित करने के साथ-साथ उनमें सामाजिक कार्य करने के प्रति रुझान पैदा करना आवश्यक है। उन्होंने महाविद्यालयों में प्रवेशित होने वाले विद्यार्थियों की जानकारी लेने के बाद कहा कि कक्षा 12वीं उत्तीर्ण होने के बाद कम बच्चे उच्च शिक्षा के लिए महाविद्यालयों में प्रवेश ले रहे हैं।
वहीं लड़कियों के उच्च शिक्षा प्राप्त करने का प्रतिशत कम है। उन्होंने निर्देश दिए कि कक्षा 12वीं के बाद उच्च शिक्षा न लेने के कारणों का पता लगाकर जानकारी देें। उन्होंने कहा कि महाविद्यालयों में अध्ययनरत विद्यार्थियों के बीच अनुशासन पहली प्राथमिकता है।
इसके उपरांत विद्यार्थियों की ऊर्जा सही दिशा में खर्च हो इस ओर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। इसलिए विद्यार्थियों को सामाजिक कार्यो में भी जोडऩा चाहिए। जिले में अनेक तरह की समस्याएं और कुप्रथाएं प्रचलित हैं उन्हें दूर करने के लिए विद्यार्थियों की ऊर्जा का उपयोग किया जाना चाहिए। इनमें कुपोषण, जल संरक्षण, स्वच्छता आदि के साथ वर्तमान में चल रहे दस्तक अभियान से बच्चों को जोडा जाना चाहिए।
पठन-पाठन के साथ बच्चों के भविष्य निर्माण के लिए विभिन्न तरह के केरियर संबंधी जानकारी दी जाए। इसके अलावा महाविद्यालयों में भारत सरकार एवं राज्य सरकार द्वारा संचालित की जा रही विभिन्न तरह की जनकल्याणकारी स्वरोजगारमूलक योजनाओं की विस्तारपूर्वक जानकारी दी जाए।