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बदलाव के नायक पन्ना के खीरबाबू और महिलाबाई पारधी को वन्यजीव सेवा पुरस्कार

locationपन्नाPublished: Dec 23, 2019 03:17:04 pm

Submitted by:

Shashikant mishra

पारधी समाज को शिकारी गतिविधियों से निकालकर स्कूलों तक पहुंचाने के नायकों को मुुबई में मिला पुरस्कारपन्ना में परंपरागत शिकार का काम छोड़कर समाज को रोजगार और शिक्षा से जोडऩे में निभाई है महत्वपूर्ण भूमिका

खीरबाबू और महिलाबाई पारधी को वन्यजीव सेवा पुरस्कार

खीरबाबू और महिलाबाई पारधी को वन्यजीव सेवा पुरस्कार

पन्ना. पन्ना के पारधी समाज के खीरबाबू पारधी और उन्हीं के परिवार की बहू महिलाबाई पारधी को मुुंबई में आयोजित एक समारोह में वाइल्ड लाइफ सेवा पुरस्कार से सम्मानित किया गया। पुरस्कार वन्य जीवों के संरक्षण की दिशा में काम करने वाली संस्था सेंचुरी एशिया नेचर फाउंडेशन की ओर से दिया गया। दोनों लोगों ने यह पुरस्कार ग्रहण कर प्रसन्नता जताई और समाज के लोगों को विकास की मुख्य धारा से जोडऩे के लिए और अधिक मेहनत करने की बात कही। पारधी समाज के इन दोनों युवाओं को पुरस्कार मिलने से जिले के पारधी समाज के लोगों में भी विश्वास का भाव जागेगा और वह शिकार की गतिविधियों को छोड़कर स्वरोजगार की ओर आगे बढ़ेंगे।

गौरतलब है कि पारधी समाज आज भी शिकारी होने का कलंक लेकर जीता है। जिले में इनकी संख्या काफी है। पन्ना टाइगर रिजर्व के बाघ विहीन होने के बड़े कारणों में शिकार को भी चिन्हित किया गया था। इसी को लेकर तत्कालीन फील्ड डायरेक्टर आरश्रीनिवास मूर्ति ने पारधी समाज के लोगों को शिकार की गतिविधियों से दूर कर उनके लिए स्वरोजगार के साधन उपलब्ध कराने और बच्चों के लिए आवासीय छात्रावास बनाने की योजना बनाई। जब वे समाज के लोगों को इस काम के लिए समझाने का प्रयास कर रहे थे तब पारधी समाज के खीरबाबू और महिलाबाई पारधी यही दो लोग थे जिन्होंने सबसे पहले शिकारी होने के कलंक से पीछा छुड़ाकर कुछ अच्छा करने में सहयोग देने की ठानी थी। इसके बाद सर्व शिक्षा अभियान, वाइल्ड लाइफ फंड और लास्ट वाइल्डरनेश फाउंडेशन के सहयोग से बहेलिया छात्रावास का संचालन किया गया। अब यह बेहद सफल और चर्चित भी हो चुका है।

पारधी छात्रावास के संचालन में अहम भूमिका
पारधी समाज के उत्थान के लिए काम करने वाली संस्था लास्ट वाइल्डरनेश फाउंडेशन की विद्या व्यंकटेश ने बताया, खीरबाबू पारधी और उनके ही परिवार की बहू महिलाबाई के प्रयास से ही यह संभव हो पाया कि आज पारधी छात्रावास सफल है। पारधी छात्रावास में दोनों लोग बच्चों के केयर टेकर के रूप में काम करते हैं। यहां से दर्जनों की संख्या में बच्चे यहां से पढ़ाई करके आगे की पढ़ाई कर रहे हैं। इसके परिश्रम का ही परिणाम है कि पारधी समाज के कई परिवार शिकारी होने का कलंक मिटाने की दिशा में आगे बढ़े हैं और वे अब वन्य जीवों के शिकारी होने के बजाए संरक्षक की भूमिका निभा रहे हैं। द लास्ट वाइल्डरनेश फाउंडेशन के प्रयास से कई पारधी समाज के लोग टूरिज्म से भी जुड़ गए हैं। समाज के लोगों में इस बादलास के सूत्रधार खीरबाबू और महिलाबाई ही रही हैं। इसीलिए उन्हें इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

पारधी समाज को सम्मान जनक स्थान दिलाने का प्रयास
पारधी समाज में बदलाव के अग्रदूत खीरबाबू पारधी बताते हैं कि समाज के लोग अभी में शिकारी होने का कलंक लेकर ही जीते रहे हैं। यह दोनों लोग बहेलिया और पारधी समाज के लोगों के माथे पर लगे इस कलंक को मिटाने और समाज में सम्मान जनक स्थान दिलाने के लिए लगतार एक दशक से संघर्ष कर रहे हैं। इनके संघर्षों का ही परिणाम है कि पारधी समाज के लोगों को भी समाज के अंदर स्थान मिलने लगा है। पूर्व में ये कई तरह के उत्पीडऩ का भी शिकार रहते थे। धीरे-धीरे उनसे छुटकारा भी मिलता जा रहा है।

इस तरह का छात्रावास सिर्फ पन्ना में ही है और बहुत ही सफल है। इससे शिकार की गतिविधियों को रोकने में काफी सफलता मिली है। निश्चित ही पारधी समाज में परिवर्तन के दोनों अग्रदूत बधाई के पात्र हैं।
केएस भदौरिया, फील्ड डायरेक्टर पन्ना टाइगर रिजर्व
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