बताया गया कि रैपुरा के जितेंद्र कुमार जैन के डाकघर के खाते में 9 लाख रुपए जमा थे। पत्नी के बीमार होने पर एक सप्ताह पहले वे खाते में जमा रुपए निकालने आए थे। रुपए निकालने के लिए उन्होंने फॉर्म भरा तो उन्हें बताया गया कि उनके खाते में इतने रुपए ही नहीं हैं। जैन बताते हैं कि एक साल पूर्व 28 मई 2021 को उन्होंने 35 हजार रुपए निकाले थे। अब स्टेटमेंट निकालने पर पता चला कि 35 हजार की जगह उनके खाते से तीन लाख पचास हजार रुपए निकाल लिए गए और उन्हें सिर्फ 35 हजार रुपए दे दिए गए। उनके फर्जी हस्ताक्षर कर उसी तारीख को एक लाख और 3 सितंबर 2021 को तीन लाख की राशि पुन: निकाली गई। इस तरह सात लाख रुपए खाते से डाकघर ने गायब कर दिए। इसी तरह एक अन्य खाताधारक श्रुति धुर्वे ने बताया, उनके पिता की मृत्यु 2019 में हो गई थी। पिताजी ने फिक्स डिपॉजिट के एक खाते में दो लाख और एक खाते में तीन लाख जमा किए थे। अभी कुछ दिन पहले ही एफडी का समय पूरा होने पर जब वह पता करने पहुंचीं तो बताया गया कि उनकी दोनों एफडी तो पहले ही टूट चुकी है और पैसे निकाल लिए गए हैं। दोनों मामले की शिकायत के बाद डाक प्रशासन हरकत में आया। मामले की जांच के लिए सहायक डाक अधीक्षक पीएस अग्निहोत्री को रैपुरा भेजा गया है।
दो माह में पैसे वापस करने का आश्वासन
बताया गया कि आरोपी काफी समय से फर्जी तरीके से उपभोक्ताओं के रुपए निकाल रहा था। जांच पूरी होने के बाद भी यह पता चल सकेगा कि कुल कितनी राशि फर्जी तरीके से निकाली गई है। डाकघर प्रशासन ने खाताधारकों को दो माह में पैसे वापस करने का आश्वासन दिया है। उनसे क्लेम फार्म भरने की अपील की है।
एक माह पहले ही रैपुरा डाक घर में कुछ गलतियां पकड़ी थी जिसकी वजह से उप डाक सहायक शिव पाल सिंह को पहले ही सस्पेंड किया जा चुका है। अभी जांच जारी है, बहुत बड़ी राशि के गबन की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। प्रारंभिक जांच में 14 लाख रुपए निकाला जाना पाया गया है।
पीएस अग्निहोत्री, सहायक डाक अधीक्षक