जी हां, हम बात कर रहे हैं मध्यप्रदेश के पन्ना जिले की। जहां के जमीन के अंदर दफन हैं अरबों का खजाना। यहां हर महीने किसी न किसी की किस्मत चमकती है। यहां धरती हीरा उगल रही है। पिछले कुछ महीनों का रिकॉर्ड देखें तो हर महीने किसी न किसी मजदूर की किस्मत चमकी है। शुक्रवार को पन्ना में खदान संचालक राहुल अग्रवाल की किस्मत भी ऐसे ही अचानक चमक गई। राहुल को 13.21 कैरेट का हीरा मिला है। कहा जा रहा है कि नीलामी के समय उसकी बोली 50 लाख से 1 करोड़ रुपये तक लग सकती है।
पन्ना में पूरी होती तमन्ना
दरअसल, किस्मत का सीक्रेट गुफा पन्ना के जमीन के अंदर दफन है। जहां पहुंचना हर किसी के लिए आसान नहीं है। लेकिन जो सीक्रेट गुफा तक पहुंच जाता है उसकी तमन्ना पूरी हो जाती है। सुबह से ही पन्ना स्थित हीरे के खदानों में सैकड़ों की संख्या में मजदूर किस्मत अजमाने के लिए पहुंच जाते हैं। हर दिन सैकड़ों फीट की खुदाई करते हैं। लेकिन जरूरी नहीं कि उनका किस्मत का ताला खुल ही जाए। लेकिन उम्मीद रहती है कि किसी न किसी दिन चमकीली रोशनी से हमारी किस्मत भी चमकेगी।
दरअसल, किस्मत का सीक्रेट गुफा पन्ना के जमीन के अंदर दफन है। जहां पहुंचना हर किसी के लिए आसान नहीं है। लेकिन जो सीक्रेट गुफा तक पहुंच जाता है उसकी तमन्ना पूरी हो जाती है। सुबह से ही पन्ना स्थित हीरे के खदानों में सैकड़ों की संख्या में मजदूर किस्मत अजमाने के लिए पहुंच जाते हैं। हर दिन सैकड़ों फीट की खुदाई करते हैं। लेकिन जरूरी नहीं कि उनका किस्मत का ताला खुल ही जाए। लेकिन उम्मीद रहती है कि किसी न किसी दिन चमकीली रोशनी से हमारी किस्मत भी चमकेगी।
हर साल निकलता है करोड़ों का हीरा
पन्ना की धरती हीरा उगलती है। हर साल यहां से करोड़ों रुपये के हीरे निकलते हैं। अगर पिछले पांच महीनों का बात करें तो पांच से ज्यादा मजदूर रातोंरात लाखपति बन गए हैं। मजदूरों को खदान में जो हीरा मिलती हैं, उन्हें वह हीरा कार्यालय में जमा करते हैं। वहां से उसकी बोली लगती है, उसके बाद मजदूरों को पैसा मिलता है। लेकिन किसी-किसी के तुरंत तो किसी के किस्मत के ताले खुलने में सालों लग जाते हैं। अभी पन्ना जिले में एशिया की एकमात्र मैकेनाइज्ड हीरा खदान के अलावा करीब 750 उथली खदानें चल रही हैं।
पन्ना की धरती हीरा उगलती है। हर साल यहां से करोड़ों रुपये के हीरे निकलते हैं। अगर पिछले पांच महीनों का बात करें तो पांच से ज्यादा मजदूर रातोंरात लाखपति बन गए हैं। मजदूरों को खदान में जो हीरा मिलती हैं, उन्हें वह हीरा कार्यालय में जमा करते हैं। वहां से उसकी बोली लगती है, उसके बाद मजदूरों को पैसा मिलता है। लेकिन किसी-किसी के तुरंत तो किसी के किस्मत के ताले खुलने में सालों लग जाते हैं। अभी पन्ना जिले में एशिया की एकमात्र मैकेनाइज्ड हीरा खदान के अलावा करीब 750 उथली खदानें चल रही हैं।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में काफी है मांग
यहां करीब 50 वर्ग किलोमीटर में हीरे की खनन होती है। कुछ निजी कंपनियों के हाथ में हैं तो कुछ सरकारी कब्जे में। साथ ही कुछ खदानों पर अवैध कब्जा भी है। बताया जाता है कि यहां काफी उतम किस्म की हीरा निकलती है। जिसकी अंतरराष्ट्रीय बाजारों में काफी मांग है। अगर किसी मजदूर को एक छोटा टुकड़ा भी हाथ लग जाए तो वह लाखपति बन जाता है।
यहां करीब 50 वर्ग किलोमीटर में हीरे की खनन होती है। कुछ निजी कंपनियों के हाथ में हैं तो कुछ सरकारी कब्जे में। साथ ही कुछ खदानों पर अवैध कब्जा भी है। बताया जाता है कि यहां काफी उतम किस्म की हीरा निकलती है। जिसकी अंतरराष्ट्रीय बाजारों में काफी मांग है। अगर किसी मजदूर को एक छोटा टुकड़ा भी हाथ लग जाए तो वह लाखपति बन जाता है।
पत्थर समझ फेंक देते थे लोग
पन्ना की धरती हीरा उगल रही है। इससे वर्षों तक यहां के लोग अनजान थे। इसके पीछे की कहानी भी बेहद दिलचस्प है। स्थानीय लोग बताते हैं कि पहले इसकी कोई पहचान करने वाला नहीं था। यह अवारा पत्थरों की तरह पड़ा रहता था। महामति प्राणनाथ जी के आगमन के बाद इन हीरों की पहचान हुई है। उन्हें नगों की पहचान थी। उसके बाद पता चला कि यहां हीरा का खदान है।
पन्ना की धरती हीरा उगल रही है। इससे वर्षों तक यहां के लोग अनजान थे। इसके पीछे की कहानी भी बेहद दिलचस्प है। स्थानीय लोग बताते हैं कि पहले इसकी कोई पहचान करने वाला नहीं था। यह अवारा पत्थरों की तरह पड़ा रहता था। महामति प्राणनाथ जी के आगमन के बाद इन हीरों की पहचान हुई है। उन्हें नगों की पहचान थी। उसके बाद पता चला कि यहां हीरा का खदान है।
हीरा का इतिहास
इतिहास के अनुसार जब प्राणनाथ यहां आए थे तो पन्ना में महाराज छत्रसाल का शासन हुआ करता था। कहा जाता है कि एक वक्त में महाराज छत्रसाल ने औरंगजेब के खिलाफ बिगुल फूंक दिया। उस दौरान उन्हें बड़ी दौलत की जरूरत थी। मुसीबत यह थी कि उनका राज खजाना बिल्कुल खाली था। इस दौरान उन्होंने अपने गुरु से मदद मांगी। गुरु ने ही उन्हें आशीर्वाद दिया था, उसके बाद से पन्ना की धरती हीरा उगलने लगी।
इतिहास के अनुसार जब प्राणनाथ यहां आए थे तो पन्ना में महाराज छत्रसाल का शासन हुआ करता था। कहा जाता है कि एक वक्त में महाराज छत्रसाल ने औरंगजेब के खिलाफ बिगुल फूंक दिया। उस दौरान उन्हें बड़ी दौलत की जरूरत थी। मुसीबत यह थी कि उनका राज खजाना बिल्कुल खाली था। इस दौरान उन्होंने अपने गुरु से मदद मांगी। गुरु ने ही उन्हें आशीर्वाद दिया था, उसके बाद से पन्ना की धरती हीरा उगलने लगी।
महामति प्राणनाथ ने दिए आशीर्वाद
राजा छत्रसाल के गुरु महामति प्राणनाथ ने उन्हें यह आशीर्वाद दिया कि छत्ता तेरे राज में, धक-धक धरती होय |जित-जित घोड़ा पग धरे तित-तित हीरा होय। यानी कि छत्रसाल जी का घोड़ा जहां-जहां गया, वहां-वहां यह धरती हीरा उगल रही है। हालांकि विज्ञान का कहना है कि हजारों साल पहले से पन्ना की धरती हीरा उगल रही है। इंटरनेट पर मौजूद तथ्यों में दो हजार साल पहले भी यहां से हीरा मिलने के साक्ष्य हैं।
छतरपुर में भी मिला हीरा खदान
अब मध्यप्रदेश में सिर्फ पन्ना की धरती ही नहीं छतरपुर की धरती भी हीरा उगलेगी। इस खदान की कीमत 55 हजार करोड़ रुपये आंकी गई है। इस खदान को लेकर दुनियाभर के दौलतमंद लोगों में होड़ मची है। नीलामी प्रक्रिया में देश ही नहीं विदेशी कंपनियां भी भाग ले रही हैं। इससे पहले रियो टिंटो नाम की कंपनी यहां खनन करती थी। लेकिन स्थानीय विरोध की वजह से उसने खदान अधूरी छोड़ दी थी।
अब मध्यप्रदेश में सिर्फ पन्ना की धरती ही नहीं छतरपुर की धरती भी हीरा उगलेगी। इस खदान की कीमत 55 हजार करोड़ रुपये आंकी गई है। इस खदान को लेकर दुनियाभर के दौलतमंद लोगों में होड़ मची है। नीलामी प्रक्रिया में देश ही नहीं विदेशी कंपनियां भी भाग ले रही हैं। इससे पहले रियो टिंटो नाम की कंपनी यहां खनन करती थी। लेकिन स्थानीय विरोध की वजह से उसने खदान अधूरी छोड़ दी थी।