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बच्चों के लिए घातक साबित हो रहा है मोबाइल, जानिए क्या है बचने के उपाय सेहतमंद रहते हैं खेलने-कूदने से बच्चे मजबूत बनते हैं और उनमें शारीरिक श्रम की क्षमता भी बढ़ती है। इस तरह सक्रिय रहने से बच्चे किसी भी काम लिए मना नहीं करते। साथ ही साथ गिरने या चोट लगने से उनकी दर्द सहने की क्षमता बढ़ती है। इसका बच्चों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता हैं और बच्चे स्वस्थ रहते हैं।
रचनात्मकता का विकास होता है खेलने से बच्चे का मानसिक विकास होता है। मानसिक विकास के कारण वे खेल के मैदान में किसी भी परिस्थिति का सामना करने के लिए तैयार होते हैं। अक्सर बच्चे अपने बड़ों की नक्ल उतारते रहते हैं, इस पर उन्हें डांटने के बजाय उनकी इस तरह की क्रिएटीविटी पर ध्यान देना चाहिए। बच्चों से हो सके तो ग्रुप में खेलने के लिए कहना चाहिए, क्योंकि इससे उसमें सोचने और मनन करने की क्षमता बढ़ती है। इस तरह की रचनात्मकता के लिए उसे प्रोत्साहित करना चाहिए।
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गेम एडिक्शन का शिकार हो रहे हैं बच्चे, एक साल में बढ़ गए 60 परसेंट केस चिड़चिड़ापन कम होता है जो बच्चे नियमित रूप से खेलते हैं उनमें शारीरिक और मानसिक विकास तो होता ही है, साथ में वे चिड़चिड़ापन, तनाव से भी मुक्त रहते हैं। खेल के जरिए बच्चे जीवन की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होते हैं। खेलने के दौरान बच्चे उत्साहित होते हैं।
मस्तिष्क का विकास होता है खेलने से बच्चों के मस्तिष्क का विकास भी होता है। जीवन के संघर्षों के सामने टिकने के लिए बच्चों का मानसिक रूप से मजबूत होना भी जरूरी होता है। खेल में मिली हार उन्हें हर तरह की चुनौतियों का सामना करने और हार स्वीरकार करने के लिए मानसिक रूप से तैयार करती है। खेलने के समय बच्चे एक-दूसरे से जुड़ते हैं और इन खेलों के माध्यम से ही वे आत्म-नियंत्रण भी सीखते हैं।