नवजात और समय पूर्व प्रसव से होने वाले बच्चे (जिनकी उम्र दो से पांच साल तक हो) के फेफड़े पूरी तरह विकसित नहीं हों तो उन्हें निमोनिया का खतरा ज्यादा रहता है। सांस-नली में अवरोध और कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले बच्चों को भी निमोनिया की आशंका रहती है। अस्वस्थ व अस्वच्छ वातावरण, कुपोषण और स्तनपान की कमी से भी निमोनिया से पीडि़त बच्चों की अधिक खतरा रहता है। ऐसे में माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों को सही समय पर जरूरी वैक्सीन लगवाएं।
निमोनिया होने की स्थिति में डॉक्टर की सलाह से बच्चे को नैबुलाइजर भी दिया जाता है। ऐसे में घरवालों को चाहिए कि वे बच्चे को नैबुलाइज करने के बाद मशीन का पाइप और मास्क अच्छी तरह से साफ करें जिससे संक्रमण का खतरा नहीं रहता।
प्री-मैच्योर बेबी
समय से पूर्व जन्मे बच्चों (प्री-मैच्योर बेबी) की रोग प्रतिरोधक क्षमता सामान्य शिशुओं की तुलना में कम होती है इसलिए इन्हें निमोनिया का खतरा अधिक होता है। ऐसे में घरवालों को यदि बुखार, खांसी या सर्दी-जुकाम की तकलीफ है तो वे अपना इलाज कराएं ताकि बच्चे में संक्रमण न फैले। साथ ही साफ-सफाई का भी विशेष ध्यान रखें।
कपड़े न लादें
सर्दी के नाम पर माता-पिता अक्सर बच्चों को कपड़ों से लाद देते हैं। ऐसा न करें, बच्चे को ऐसे कपड़े पहनाएं जो उनके लिए आरामदायक हों। कई बार ज्यादा तंग कपड़े होने पर बच्चे की जांघों और घुटनों के पीछे वाले हिस्से में पसीना आने लगता है और उस अंग की त्वचा कमजोर पड़ सकती है।
बच्चे को सुलाते समय
इस मौसम में बच्चे को सुलाते हुए कंबल आदि ओढ़ाने के बाद कमरा एकदम बंद न करें। हवा की आवाजाही के लिए दरवाजा या खिड़की थोड़ी खुली रखें। इसके अलावा बच्चे को धूप में बिठाना या लेटाना चाहते हैं तो उसकी प्राकृतिक तेल जैसे सरसों या नारियल से मालिश करें क्योंकि ये तेल त्वचा में अच्छी तरह से एब्जॉर्ब होकर शरीर के तापमान को नियंत्रित रखते हैं। बच्चे को सर्दी लगने के डर से 24 घंटे कमरे में बंद न रखें। ऐसा केवल तभी करें जब बाहर तेज हवा हो।
जब न नहलाएं
सर्दी अधिक होने पर यदि आप बच्चे को नहलाना नहीं चाहते तो उसे स्पंज कर सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे कि पानी न तो अधिक ठंडा और न ही ज्यादा गर्म।
प्रिवेंटिव डोज
डेढ़, ढाई और साढ़े तीन माह पर बच्चों को निमोनिया से बचाव के लिए टीका लगाया जाता है। इसके अलावा छह महीने के बाद फ्लू का टीका भी उनके लिए सुरक्षा कवच का काम करता है।