यह पुल निर्माण का एक बड़ा प्रोजेक्ट है, जिसमें कुल 14.500 किलोमीटर लंबे क्षेत्र में काम होगा। अनेक छोटे पुल, फ्लाइअवर, बस स्टॉप इस प्रोजेक्ट के तहत निर्मित होंगे। यह प्रोजेक्ट समय से काफी पीछे चल रहा है, क्योंकि भूमि का अधिग्रहण होने के बावजूद इसके लिए धन मंजूर नहीं हुआ था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बिहार के लिए जिस पैकेज की घोषणा की थी, उसमें इस पुल के निर्माण की घोषणा भी शामिल थी। इस पुल के बन जाने से महात्मा गांधी सेतु पर दबाव कम होगा। गांधी सेतु पर अभी ट्रैफिक जाम की स्थिति रहती है और उस पर लगातार निर्माण व सुधार का काम चलता रहता है। उल्लेखनीय है कि गांधी सेतु को भी 4 लेन किया जा रहा है। गांधी सेतु के साथ नया सेतु जुड़ा हुआ होगा, ताकि जाम की स्थिति से बचा जा सके, ट्रैफिक आसान रहे।
गांधी सेतु : नाव-जहाज से पार करते थे गंगा
पटना से हाजीपुर और सोनपुर के बीच पानी के जहाज चला करते थे। पटना घाट से पहलेजा घाट तक। वर्ष 1982 में 5.750 किलोमीटर लंबे महात्मा गांधी सेतु के बनने के बाद नाव और जहाज पर निर्भरता खत्म हो गई। काफी लंबे समय तक अकेले गांधी सेतु ने दक्षिण और उत्तरी बिहार को जोडऩे का काम किया।
राजेन्दु सेतु : पटना में गंगा पर पहला पुल
राजेन्द्र सेतु का निर्माण 1959 में हुआ था। आरा-पटना रूट पर एक ऐसी जगह की तलाश प्रख्यात इंजीनियर विश्वसरैया ने की थी, जहां गंगा का पाट ज्यादा चौड़ा नहीं था। राजेन्द्र सेतु की लंबाई 1.9 किलोमीटर है। यह पुल पुराना पड़ गया है। इस पुल पर नीचे ट्रेन पटरी और ऊपर सडक़ मार्ग है। इसके बगल में ही एक नया पुल बन रहा है, जो 2 किलोमीटर लंबा है, इसमें दो लेन सडक़ और एक लेन रेल पटरी होगी।
जेपी सेतु : दीघा-सोनपुर रेल सह सडक़ पुल
पटना और सोनपुर-हाजीपुर के बीच गंगा बहुत चौड़ी और इस मार्ग पर परिवहन का दबाव बहुत ज्यादा है। जेपी सेतु पर 2016 से ट्रेन चल रही है। यह उत्तरी और दक्षिणी बिहार को जोडऩे वाला दूसरा रेल पुल है। इस पुल की लंबाई 4.556 किलोमीटर है। इस पर बने सडक़ पुल को दोनों ओर से हाईवे से जोडऩे का काम चल रहा है। बिहार में गंगा नदी पर अब तक 6 पुल बन चुके हैं और करीब 4 का निर्माण चल रहा है।