नियमों में हुआ यह बदलाव
शराबबंदी कानून में संशोधन के विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि सरकार का इस कानून के दुरुपयोग को रोकने पर जोर है। निर्दोष लोगों को बचाने के लिए संशोधन किए जा रहे हैं। इसका मतलब यह नहीं कि पीने वाले बख्श दिए जाएंगे। नए संशोधन के मुताबिक शराब पीकर उपद्रव करने वालों पर कड़ी कार्रवाई का प्रावधान जारी रहेगा। अब शराब पीकर पहली बार पकड़े जाने पर पचास हजार का जुर्माना या तीन माह कैद की सजा होगी। जबकि दूसरी बार पकड़े जाने पर एक साल की सजा होगी। घर या किसी स्थान पर शराब मिलने पर सजा में बदलाव किया गया है। शराब मिलने पर अब जिम्मेदार व्यक्ति को ही सजा होगी। सामूहिक जुर्माना करने का प्रावधान हटा दिया गया। नए संशोधन के मुताबिक शराब लाने वाले वाहन को अब ज़ब्त नहीं किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि सर्वसम्मति से सूबे में पूर्ण शराबबंदी लागू की गई थी। शराब के खिलाफ सर्वसम्मति से ही अभियान चलाया गया। इसके लिए सूबे में मानव श्रृंखला बनाई गई जिसमें एक करोड़ लोगों ने हिस्सा लिया।
विपक्ष का वॉक आउट
भोजनावकाश के बाद ऊर्जा एवं मद्यनिषेध विभाग के मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव ने ज्यों ही मद्यनिषेध संशोधन विधेयक सदन के पटल पर रखा कि विपक्ष सूखे पर चर्चा के लिए शोर शराबा करने लग गया। अपनी मांग पर अड़े विपक्ष ने अंततः सदन से वॉक आउट कर दिया।
दो साल पूर्व लागू हुई थी शराबबंदी
नीतीश कुमार की तत्कालीन महागठबंधन सरकार ने एक अप्रैल 2016 को ग्रामीण क्षेत्रों में शराबबंदी लागू की थी। पांचवें दिन यानी पांच अप्रैल से पूरे प्रदेश में पूर्ण शराबबंदी लागू कर दी गई थी। इसके चलते सरकार को राजस्व का काफी हद तक घाटा सहना पड़ा। तब विपक्ष में रही भाजपा इस कानून के प्रावधानों को लेकर इसका विरोध करती रही। माना जा रहा है भाजपा के विरोध के चलते ही कानून में संशोधन किए हैं। अब तक हजारों लोगों को इसके चलते पुलिस की ज्यादती का शिकार होना पड़ा है। जबकि शराब के चक्कर में बड़ी संख्या में लोग अभी भी जेल में हैं।