शनिवार देर रात तक कोसी में चार लाख क्यूसेक पानी निकासी की गई। यह डिस्चार्ज अपना ही रिकॉर्ड तोड़ गया। इससे पहले 2004 में पानी डिस्चार्ज इस सीमा तक पहुंचा था। बैराज के सभी फाटक खोल दिए जाने से बसंतपुर, सुपौल, सरायगढ़, भपटियाही किसनपुर, मरौना और निर्मली प्रखंड के दर्जनों गांवों में पानी भर गया। सिकरहना मझारी लो बांध के 6.40 और 9.40 बिंदुओं पर दबाव बढ़ जाने से तटबंध टूटने के खतरे बढ़ गए।किसनपुर प्रखंड के नौआबाखर में बांध टूट जाने से कई गांव जलमग्न हो गए। लोगों में 2008 की प्रलयंकारी बाढ़ की आशंका गहराने लग गई। तब कोसी की बाढ़ में हजारों लोग बह गए थे और 23 लाख से अधिक आबादी प्रभावित हुई थी।
कोसी की विभीषिका के मारों को आज भी पुनर्वासित करने के सरकारी वादे पूरे नहीं हो पाए हैं। कोसी के साथ पूर्णिया और मधेपुरा की नदियां भी उफान मारने लग गईं हैं। महानंदा, बकरा, कनकई आदि नदियां भी खतरे को पार कर गईं। मधेपुरा के आलमनगर और कुमारखंड प्रखंडों के गांवों में सुरसर तथा कोसी की सहायक नदियों का पानी भर गया। सहरसा के नवहट्टा, महिषी और सलखुआ के गांवों में पानी भर गया।इससे लोगों में सुरक्षित स्थानों पर पहुंचने की होड़ लग गई। राज्य सरकार ने प्रभावित इलाकों में एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के जवानों को तैनात कर लोगों के राहत और बचाव कार्यों में उतार दिया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ( CM NITISH KUMAR ) ने कहा सरकार लोगों की हिफाजत में हरसंभव मदद को जुटी रहेगी।