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विश्व सर्वाधिक गरुडों की संख्या भागलपुर में, पहुंची 550 तक

locationपटनाPublished: Sep 27, 2019 06:28:30 pm

Submitted by:

Yogendra Yogi

Bihar News: भागलपुर के सुंदरवन में गरुड़ों की संख्या 78 से बढ़कर 550 हो गई है। दुनिया भर में इसकी संख्या बढ़कर अब दोगुनी हो गई है। विश्व में गरुडों की संख्या 600 – 800

विश्व सर्वाधिक गरुडों की संख्या भागलपुर में, पहुंची 550 तक

विश्व सर्वाधिक गरुडों की संख्या भागलपुर में, पहुंची 550 तक

Bihar News: भागलपुर (प्रियरंजन भारती ): सुंदरवन गरुड़ पुनर्वास केंद्र जल्द ही स्वस्थ पांच गरुड़ों को कदवा दियारा में छोड़ेगा। पुनर्वास केंद्र में अभी आठ गरुड़ों का इलाज चल रहा है। ये सभी उड़ान भरने और गले में कांटा फंस जाने से जख्मी हो गये थे। पिछले तेरह सालों में भागलपुर के सुंदरवन में गरुड़ों की संख्या 78 से बढ़कर 550 हो गई है। बिहार में 99.90 फीसदी गरुड़ भागलपुर के कोसी के कदवा दियारा में पाए जाते हैं।

विश्व में गरूड़ों की संख्या करीब 800
पर्यावरणविद और मंदार नेचर क्लब के संस्थापक अरविंद मिश्रा बताते हैं कि 2006 में गंगा के कोसी दियारा में 18 घोसलों के अंदर 78 गरुड़ देखे गये थे। 2019 में सवा सौ घोसलों में गरुड़ों की संख्या बढ़कर 550 हो गई। 2018-19 में तकरीबन 160 गरुड़ों के जन्म हुए। भागलपुर में गरुड़ों की संख्या बढऩे के साथ ही दुनिया भर में इसकी संख्या बढ़कर अब दोगुनी हो गई है। अरविंद मिश्रा बताते हैं कि विश्व में गरुडों की संख्या 600 से 800 के बीच थी।

गरूड अभयारण्य
भागलपुर के निकट नवगछिया का कदवा दियारा गरुड़ अभयारण्य के रूप में विकसित हो गया है। यहां 550 गरुड़ हैं। असम के कामरुप वन में सबसे अधिक 650 गरुड़ हैं। इसके बाद भागलपुर का नंबर है। विश्व में इसके बाद कंबोडिया में 150 गरुड़ पाए गये हैं। पर्यावरणविद बताते हैं गरुड़ों की देखभाल और पर्याप्त चिकित्सा हो तो यहां गरुड़ों की संख्या बढ़ती जाएगी।

पूरे भारत पाई जाती हैं छह प्रजातियां
कंबोडिया और असम के अलावा भागलपुर का कदवा दियारा एक मात्र इलाका है, जहां गरुड़ों की संख्या बढ़ रही है। पूरे भारत में गरुड़ों की 6 प्रजातिया पाई जाती हैं, जिसमें भागलपुर का यह कदवा दियारा एक मात्र ऐसा स्थल है जहां बड़ा गरुड़, छोटा गरुड़ एवं जाघिल देखे जा रहे हैं। आश्रम टोला, बगरी टोला, कासिमपुर में कदंब के पेड़ों पर गरुड़ों को देखा गया। बगरी टोला में जाघिल प्रजाति के गरुड़ों के कई घोंसले देखे गए। कदंब के पेड़ में एक ही स्थान से चारों दिशाओं में शाखायें निकलती हैं, इससे गरुड़ों को घोंसला बनाने में आसानी होती है। एक गरुड़ ढाई-तीन किलो तक की मछली चोंच में लेकर घोंसले में बच्चों को खिलाती है।

सारस परिवार का सदस्य है
गरुड (लेप्टॉपिलोस डबियस) सारस परिवार के एक सदस्य हैं, सिकोनिडे। इसके जीनस में एशिया और अफ्रीका का मारबौ स्टॉर्क शामिल है। अब केवल तीन प्रजनन आबादी के साथ एक बहुत छोटी सीमा तक सीमित है। भारत में दो, असम में सबसे बड़ी कॉलोनी के साथ, भागलपुर के आसपास कोई 400 और कंबोडिया में एक और प्रजनन आबादी है। प्रजनन के मौसम के गरुड तेजी से बड़े होते हैं। इस बड़े सारस में एक विशाल पच्चर के आकार का बिल, एक नंगे सिर और एक विशिष्ट गर्दन की थैली होती है।

विशाल पक्षी होता है
गरुड एक विशाल पक्षी है, जो 145-150 सेमी (57-59 इंच) तक लंबा होता है। इसकी औसत लंबाई 136 सेमी (54 इंच) और औसत विंगस्पैन 250 सेमी (98.5 इंच) तक होते है। सारस प्रजातियों की तुलना में औसतन अधिक हैं। इसके नंगे पीले से लाल-चमड़ी वाले गर्दन के आधार पर एक सफेद कॉलर रफ इसे गिद्ध जैसी उपस्थिति देता है। प्रजनन के मौसम में, थैली और गर्दन चमकीले नारंगी हो जाते हैं और ग्रे पैरों की ऊपरी जांघें लाल हो जाती हैं।

परजीवी, रोग और मृत्यु दर
स्वस्थ वयस्क पक्षियों में कोई प्राकृतिक शिकारी नहीं होता है, और समय से पहले मृत्यु का केवल दर्ज कारण मनुष्यों के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष कार्यों के कारण होता है; जब पक्षी गलती से ओवरहेड बिजली के तारों में उड़ जाते हैं, तो जहर देना, गोली मारना या इलेक्ट्रोक्यूशन करना। कैप्टिव पक्षियों को एवियन इन्फ्लूएंजा के लिए अतिसंवेदनशील पाया गया है। कंबोडिया में इनकी उच्च मृत्यु दर पर ध्यान दिया गया, जिसमें दो-तिहाई संक्रमित पक्षी मर रहे थे।

गरूड़ है वायु शक्ति का प्रतीक
भारतीय वायु सेना ने गरुड़ को अपने हथियारों के कोट में भी इस्तेमाल किया और यहां तक कि गरुड़ कमांडो फोर्स के रूप में अपनी विशेष संचालन इकाई का नाम भी दिया। गरुड़ इंडोनेशिया एयरलाइन्स इंडोनेशिया की राष्ट्रीय विमान सेवा है। इसका नामकरण इंडोनेशिया के राष्ट्रीय प्रतीक में शामिल पवित्र पक्षी गरुड़ के नाम पर है।

हिंदू मान्यताओं में गरुड़
यह भगवान विष्णु का वाहन हैं। गरूड़ को विनायक, गरुत्मत्, ताक्ष्र्य, वैनतेय, नागान्तक, विष्णुरथ, खगेश्वर, सुपर्ण और पन्नगाशन नाम से भी जाना जाता है। गरूड़ हिन्दू धर्म के साथ ही बौद्ध धर्म में भी महत्वपूर्ण पक्षी माना गया है। बौद्ध ग्रंथों के अनुसार गरूड़ को सुपर्ण (अच्छे पंख वाला) कहा गया है। जातक कथाओं में भी गरूड़ के बारे में कई कहानियां हैं।

गरुड़ हैं देव पक्षी
हिन्दू मान्यताओं के मुताबिक गरूड़ का जन्म सतयुग में हुआ था, लेकिन वे त्रेता और द्वापर में भी देखे गए थे। दक्ष प्रजापति की विनिता या विनता नामक कन्या का विवाह कश्यप ऋषि के साथ हुआ। विनिता ने प्रसव के दौरान दो अंडे दिए। एक से अरुण का और दूसरे से गरुढ़ का जन्म हुआ। अरुण तो सूर्य के रथ के सारथी बन गए तो गरुड़ ने भगवान विष्णु का वाहन होना स्वीकार किया।

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