दुकान पर ही गिरकर मरा मरीज
भागलपुर की मशहूर दवा दुकान आत्माराम मेडिकल हॉल के बाहर भीड़ काफी थी। इनहेलर लेने गए खांसी का एक मरीज दवा लेने के इंतजार करने के दौरान ही गिरा। डर से किसी ने उठाया नहीं। उसने वहीं दम तोड़ दिया। मृतक का शव घंटों तक दुकान के बाहर पड़ा रहा। दवा दुकानदार कृष्ण कुमार ने नगर निगम, स्वास्थ्य विभाग, पुलिस सभी को खबर दी। स्वास्थ्य विभाग की टीम कोरोना एंबुलेंस के साथ पहुंची और अपना मामला न बताते हुए बैरंग वापस लौट गई। पुलिस ने भी हाथ नहीं लगाया। नतीजन देने वालों की भीड़ बढ़ती गई और शव घंटों वहीं पड़ा रहा।
डिप्टी मेयर ने पहल की तो उठा शव
डिप्टी मेयर और स्थानीय वार्ड पार्षद राजेश वर्मा की पहल पर शव को उठाया जा सका। वर्मा ने मजदूरों को पीपीपी किट देकर शव को शव वाहन से उठवाया। सैंपल जांच दिए जाने के बाद शव का पोस्टमॉर्टम किया गया।बाद में मरीज की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव पाई गई। उसकी पहचान 47 वर्षीय मो.तनवीर के रूप में की गई। वह18मई को दिल्ली से लौटा था। उसे खांसी थी और सांस लेने में लंबे समय से तकलीफ बनी हुई थी।
विधायक ने उठाए सवाल
भागलपुर के स्थानीय विधायक अजित शर्मा ने मरीजों की मौत और सरकार के दावों पर सवाल खड़े किए। शर्मा ने कहा कि सरकार कोरोना महामारी में बेहतर स्वास्थ्य प्रबंधन के दावे कर रही है। यही सच्चाई है कि मरीजों को पूछने वाला तक कोई नहीं। शव पड़े रह जा रहे कोई उठाने वाला भी घंटों तक नहीं आता। विधायक शर्मा ने कहा कि चुनाव कराने की तत्परता ही सरकार को सूझ रही है। आम आदमी को कोई नहीं पूछने वाला।
हालात विस्फोटक, अस्पतालों मे मरीजों की भर्ती नहीं
बिहार में लाकडाउन के बीच भी हालात संभालने नहीं संभल रहे। अस्पताल मरीजों को भर्ती करने से साफ मना किया जा रहा है। जिलों और ग्रामीण क्षेत्रों में और भयावह हालत है। घरों में बीमार पड़े लोग आसक्त होकर किसी तरह अस्पताल पहुंच तो रहे हैं पर वहां उन्हें दाखिला नहीं मिल रहा। पटना के आइजीआइएमएस में एक मरीज के परिजन भर्ती करने को गिड़गिड़ाते रह गये पर उसे भर्ती करने की बजाय एमरसन अथवा एन एमसीएच जाने को कहकर टरका दिया गया। परिजनों की चीख पुकार तब और कारूणिक हो गई जब अस्पताल की दहलीज पर ही मरीज ने दम तोड़ दिया। राजधानी में एक शख्स की शनिवार को मौत हो गई। वह पिछले तीन दिनों से कोविड-19 की जांच के लिए अस्पतालों और सेंटर्स की दौड़ लगाता रहा पर स्वास्थ्यकर्मी उसे टरकाते रहे। यह हालत राजधानी पटना की है तो ग्रामीण और बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की कैसी होगी इसका अंदाजा भर लगाकर रूह कांप जाती है। हालत यह है कि सुदूर इलाकों में संदिग्ध मरीज बड़ी संख्या में दम तोड़ रहे पर जांच नहीं होने से सरकार के रिकॉर्ड में उनकी गिनती नहीं की जा रही।