मौसम पूर्वानुमान भी झूठा हुआ
मौसम विज्ञानियों के पूर्वानुमान भी झूठे साबित हो रहे हैं। मौसम वैज्ञानिकों ने बारिश होने की अलग अलग तीन भार भविष्यवाणी की लेकिन बादल आकर निकल गए। जुलाई महीने में 42 डिग्री तापमान पहुंच जाना भी इस बार रिकॉर्ड बन गया। इससे पहले 1982 में तापमान इस महीने इतना चढ़ पाया था। अब दावा किया जा रहा कि इस बार क्यूमलो निंबस बादलों के बनने से मानसून का मिजाज बिगड़ गया है। सीयूएसबी के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ.प्रधान पार्थ सारथी बताते हैं कि जिस वर्ष क्यूमलो निंबस बादल बनते हैं उस साल मॉनसून की रफ्तार बिगड़ जाती है। वैज्ञानिक ने कहा कि मॉनसून की टर्फ लाइन बिहार की ओर शिफ्ट ही नहीं हो रही। फिर दावा किया गया कि सप्ताह बाद बारिश के आसार बन सकते हैं।
बारिश नहीं होने से खेती बदहाल
बारिश के नहीं होने से खेतों में दरारें पड़ गई हैं। धान की पैदावार के लिए विख्यात दक्षिण बिहार के पटना, नालंदा, गया,जहानाबाद, भोजपुर, रोहतास, कैमूर समेत उत्तर बिहार के वैशाली, मुजफ्फरपुर, सारण,सिवान आदि कई जिले सूखे की चपेट में आ गये हैं। अररिया और कटिहार जैसे बाढ़ग्रस्त रहने वाले जिलों में खेतों और घरों में पड़ आई दरार से लोग डर गए हैं। धान की बुआई के दिनों में ऐसी हालत हो जाने से किसान परेशान हैं। धान के बिचड़े ज्यादातर सूखे के कारण नषट हो गये हैं।
भूगर्भ जलस्तर पहुंच से बाहर
पानी नहीं होने से भूगर्भीय जलस्तर का पाताल से भी गायब होता जाना बड़ा संकट बन गया है। मध्य दक्षिण, पूर्वी और पश्चिमी बिहार के कई इलाकों में हैंडपंप भी जवाब दे चुके हैं। भोजपुर और पटना के कई इलाकों में ट्यूबवेल से भी पानी नहीं आ रहा। जुलाई में ऐसी हालत होने से धान का कटोर कहे जाने वाले इलाकों के किसानों की चिंताएं बढ़ गयी हैं।
सरकार की अभी तक कोई योजना नहीं
सूखे की भयंकर हालत पैदा हो आने के बावजूद राज्य सरकार की अभी तक कोई कार्ययोजना जमीन पर उतारने के लिए बनी नहीं लगती है। केंद्र सरकार ने लोकसभा में आंकड़ों के आधार पर विश्वास मत बेशक जीत लिया पर केंद्रीय कृषि मंत्री के बिहार से होने के बावजूद सरकार समस्या के निदान के लिए अभी तक तत्पर नहीं दिखाई दे रही। सत्तारूढ़ एनडीए के घटक दल इस समस्या से इतर आगामी लोकसभा चुनाव में सीट शेयरिंग और जीत की राह आसान बनाने के उपायों में ही जुटी हुई है।
विपक्ष हमलावर बना
मौसम के साथ सरकार की अब तक की बेरुखी से विपक्ष भी हमलावर है। विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि सूबे में सूखे के भयंकर हालात के बावजूद सरकार की कोई तैयारी नहीं नज़र आ रही। यह और बात है कि विपक्ष भी सीट शेयरिंग और तालमेल के चक्करों में ही उलझा हुआ है। इस बीच हजारों एकड़ में धान की खेती का जायका बिगड़ जाने के खतरों के बीच अनाज की पैदावार पर बुरा असर पड़ने से मंहगाई बढ़ने का खतरा भी आम लोगों को सताने लगा है। कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि अगले दस दिनों तक यदि हालत में कोई सुधार नहीं हुआ और बारिश नहीं हो पाई तो बिहार भयंकर सूखे की चपेट में आ जाएगा।