इस कार्य की तकनीक को सीखने अधिकारियों की टीम जल्दी ही तेलंगाना जा रही है।वहां कालेश्वरम योजना(Kaleshwaram) का अध्ययन कर यह टीम लिफ्ट तकनीक से सिंचाई संसाधन जुटाने के गुर सीखेगी।तकनीक अगर कारगर हुई तो टीम नालंदा जाकर योजना का खांका तैयार करेगी।इसके बाद आगे की योजना पर काम शुरु होगा।जल संसाधन विभाग इस काम के दो विकल्पों पर विचार कर रहा है।बख्तियारपुर से नालंदा तक नहर बनाकर गंगा का पानी उसमें लिफ्ट किया जाएगा।दूसरी योजना गंगा के पानी को बरसाती नदी मुहाने में डालने की है। पानी पहुंचते ही इससे जुड़ी नदियों में जलधारा बहने लग जाएगी। तब नहरों को बनाकर पानी को ज़रूरी खेतों तक पहुंचाया जाएगा।
बता दें कि राज्य के उत्तरी जिलों में नेपाल की तराई वाले क्षेत्रों की बारिश का पानी तबाही मचा डालता है। जबकि दक्षिण और मध्य बिहार के कई जिले कम वर्षा की मार सहते हुए सूखाग्रस्त बने रहते हैं।नहरों में पानी नहीं रहने से इन इलाकों में सिंचाई के लाले पड़ जाते हैं।अभी दक्षिण बिहार के इन कई जिलों में सूखे की हालत बनी है।
पिछले दिनों पृथ्वी दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि सूखाग्रस्त इन जिलों में गंगाजल(Ganga water) से सिंचाई की जानी चाहिए।उन्होंने तेलंगाना की कालेश्वरम योजना की तरह नदी को लिफ्ट करने के गुर सीखने की सलाह भी दी।कालेश्वरम की इस योजना में नदी की धारा को लिफ्ट कर नहरों के जरिए खेतों तक पहुंचाया जाता है। यह योजना यदि कारगर हुई तो बिहार के सूखे इलाकों में गंगाजल से खेती को उन्ंत करने और जल सग्रहण के नये आयाम जुड़ जाएंगे।