दरअसल,हाल ही में आए रिजल्ट के विरोध में जूनियर डॉक्टर 3 दिन से हड़ताल पर बैठे हैं। उनकी मांग है कि उनकी कॉपियों की दोबारा जांच की जाए। हड़ताली जूनियर डॉक्टरों में से एक डॉ. सौरभ का कहना है कि” डॉक्टर विजय कुमार का तबादला किया जाना चाहिए जिन्होंने मरीजों की पर्ची में बड़े ब्रांड से जुड़ी दवाइयां ना लिखने पर कई जूनियर डॉक्टरों को परीक्षा में फेल किया है।”
राज्य के सबसे बड़े अस्पतालों में शुमार पटना मेडिकल कॉलेज में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल ( Junior Doctors Strike ) के कारण अस्पताल की चिकित्सा व्यवस्था पूरी तरह से गड़बड़ा गई है। चिकित्सा व्यवस्था को बहाल करने के लिए प्रशासन की ओर से जो इंतजाम किए गए है वह नाकाफी है। प्रशासन की ओर से सीनियर डॉक्टरों की ड्यूटी बढ़ा दी गई है। साथ ही प्रशिक्षु डॉक्टरों की मदद ली जा रही है।
मिली जानकारी के अनुसार ऑर्थोपेडिक विभाग ( Orthopedic department ) के अध्यक्ष डॉ. विजय कुमार इस विशेष फार्मा कंपनी की दवाइयां लिखते हैं। यह दवाइयां काफी महंगी होती है मरीज जिसका खर्चा उठाने में सक्षम नहीं होते है। इसी के साथ जूनियर डॉक्टरों की ओर से डॉ. विजय कुमार पर आरोप है कि वह संबंधित फार्मा कंपनी की दवाई नहीं लिखने वाले जूनियर डॉक्टर को परीक्षा में फेल कर देते हैं।
ऑपरेशन टाल दिए
राज्य के हर कोने से पटना मेडिकल कॉलेज ( Patna Medical College ) में मरीज इलाज के लिए आते हैं। ओपीडी में हजारों मरीजो के इलाज के साथ ही सैंकडों ऑपरेशन प्रतिदिन किए जाते है। पर इस हड़ताल की वजह से कई ऑपरेशन टाल दिए गए हैं।
सरकार की नजर से दूर मामला
सरकार ( Bihar government ) ने इस हड़ताल को खत्म करवाने के लिए कोई पहल नहीं की है। चमकी बुखार से बच्चों की मौत के मामले में घिरी हुई सरकार ने एक बार फिर मुद्ये की अनदेखी कर मरीजों की जान को परेशानी में डाला है।
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