कांग्रेस को ग्यारह देकर फिर बड़े भाई बने लालू
माना जा रहा था कि सजायाफ्ता लालू यादव जेल में होने के चलते इस बार चुनाव में मुख्य भूमिका से अलग होंगे। पर ऐसा हुआ नहीं। कांग्रेस उनकी झिड़की के बाद आनन फानन दबाव में आई और सीट शेयरिंग का मामला दिल्ली में आखिरकार तय हुआ। आरजेडी ने कांग्रेस के खाते में कुल ग्यारह सीटें डालीं और शेष 29 पर वह हम, रालोसपा तथा मुकेश सहनी के बीच सीटें बांटकर खुद बीस या इक्कीस सीटों पर लड़ेगा। सूत्रों के अनुसार हिंदुस्तान आवामी मोर्चा(हम) को तीन, रालोसपा को चार और मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) को दो सीटें दी जा रही हैं। आरजेडी सूत्रों के अनुसार सहयोगी दलों के खाते में कई प्रत्याशियों को समायोजित किया जा रहा है। उदय नारायण चौधरी और अर्जुन राय को आरजेडी प्रत्याशी बनाया जा सकता है। ये नेता जदयू छोड़कर बाहर निकले हैं। मांझी और कुशवाहा की सीटें चिन्हित कर दी गई हैं। कुछ सीटों पर जिच अभी कायम है। आरजेडी सीटों और उम्मीदवारों का अंतिम रूप हालांकि लालू प्रसाद रांची के रिम्स में ही तय करेंगे। शरद यादव को मधेपुरा से आरजेडी उम्मीदवार के रूप में ही चुनाव मैदान में उतरने के लिए अभी समझाया जा रहा है। आरजेडी सूत्रों का दावा है कि रविवार को सीट शेयरिंग की घोषणा दिल्ली में साझा प्रेस कांफ्रेंस कर की जाए।
बातचीत से अलग रहे वामदल
लालू यादव ने वामदलों में सीपीआई-सीपीएम को पहले ही खारिज कर दिया है। वह भाकपा-माले को साथ करना चाह रहे थे। आरजेडी का प्रस्ताव लेकर जगदानंद सिंह पिछले दिनों माले नेताओं से मिले और आरा सीट का प्रस्ताव दिया। पर माले ने आरजेडी के प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया। माले पहले ही आरा, काराकाट, जहानाबाद समेत छः सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर चुका है।
पप्पू की नहीं बनी बात
आरजेडी कांग्रेस के बीच बड़ा विवाद मधेपुरा और दरभंगा को लेकर है। कांग्रेस पप्पू यादव को लेकर अड़ी हुई थी।लेकिन आरजेडी उन्हें सहारा देने को कतई तैयार नहीं रहा। आखिरकार शरद यादव के लिए ही मधेपुरा सीट निश्चित की गई। पप्पू की गाड़ी मंझधार में फंस गई है। इसी तरह दरभंगा सीट भी कांग्रेस को नहीं दी गई। यहां से पूर्व भाजपा सांसद कीर्ति आजाद कांग्रेस के उम्मीदवार बनकर मैदान में उतरना चाह रहे थे। दोनों दलों में इस पर जिच बना हुआ है। आरजेडी यह सीट मुकेश साहनी को देना चाह रही है।