मनीषा को बचाने में आईएएस और आईपीएस भी
पटना में पदस्थापित दो आईएएस और एक आईपीएस अधिकारी मनीषा को बचाने में जुटे हैं। उनके हस्तक्षेप के बाद ही दो संवासिनों की मौत का मामला रफा-दफा करने की साजिश होने लगी थी। पुलिस और मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में ही एक मृतक पूनम का शव आनन फानन में जला दिया गया था। संस्था से तीनों अफसरों के संपर्क की जानकारी स्पेशल ब्रांच और आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) के वरिष्ठ अधिकारियों को भी हो गई है। सूत्रों के अनुसार दोनों आईएएस अफसरों की मेहरबानी से ही मनीषा को आसरा शेल्टर होम के संचालन का काम मिला था। इसके लिए मोटी रकम के लेनदेन का भी पता चला है। गिरफ्तारी के बाद उसी आईपीएस अधिकारी ने मनीषा को मुखबिर के माध्यम से खबर भिजवाई कि वह अपना फेसबुक अकाउंट बंद कर दे। खाना लेकर थाने में आए बेटे को उसने बातों बातों में अपना पासवर्ड बताया और फेसबुक अकाउंट बंद करवा दिया। वह थाने में बार बार आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के साथ गहरे रिश्ते का जिक्र करती रही और मोबाइल में सेव उनका नंबर भी पुलिस को दिखाया।
आसरा गृह की लडकी ने दिया बयान
पुलिस ने आसरा गृह में रहने वाली गोपालगंज की एक लड़की का ऐडीजेएम-3 शशि मिश्रा की अदालत में बयान दर्ज करवाया। उसने आसरा गृह में लड़कियों के साथ हो रहे गंदे खेल का खुलासा किया है। आसपास के लोगों ने भी पुलिस को बताया कि यहां देर रात लग्जरी गाड़ियां आतीं और महिलाओं को ले जाती थीं फिर सुबह होते ही उन्हें यहां पहुंचा दिया जाता था। स्थानीय लोगों ने बताया कि कई बार राह चलते लोगों से यहां की महिलाएं खाने के लिए मांगती तो कभी रोने लग जाती थीं। एक सेविका ने बताया कि यहां का महौल गंदा है लेकिन मनीषा दयाल ओर चितरंजन की खौफ से कोई मुंह नहीं खोल पाता था।