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Naxalites: खामोशी में छिपा हो सकता है नक्सिलयों का बडा खौफ

locationपटनाPublished: Jul 31, 2019 06:07:43 pm

Submitted by:

Navneet Sharma

शहीद दिवस तो शाति से मनाया लेकिन जल्द हो सकते हैं संपत्तियों पर हमले नक्सलियों का शहीदी दिवस सप्ताह बिना किसी बड़ी घटना के संपन्न तो हो गया पर प्रशासनिक महकमे को आशंका

Naxalites: खामोशी में छिपा हो सकता है नक्सिलयों का बडा खौफ

Naxalites: खामोशी में छिपा हो सकता है नक्सिलयों का बडा खौफ

पटना, (प्रियरंजन भारती) नक्सलियों(Naxalites) के शहीदी दिवस सप्ताह के शांतिपूर्वक संपन्न हो जाने के बावजूद पुलिस बेहद सतर्कता बरत रही है कि ये सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने वाली बड़ी घटना को अंजाम दे सकते हैं।पुलिस मुख्यालय ने सभी जिलों को इसके लिए सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं।
मुजफ्फरपुर(Muzaffarpur news) के आईजी अभियान सुशील एम खोपड़े ने सभी जिलों तथा अन्य जिलों के एसपी को भी सतर्कता बरतने की हिदायत दी थी।निर्देश में कहा गया कि नक्सली सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने के साथ पुलिस को टार्गेट कर सकते हैं। इसके लिए सभी थानों को अलर्ट किया गया।नक्सली रेल ट्रैक क्षतिग्रस्त कर रेलवे को नुकसान पहुंचाने के अलावा सरकारी प्रतिष्ठानों पर भी धावा बोल सकते हैं।नक्सलियों ने रेलवे को भी कम नुकसान नहीं पहुंचाया है।
कई बड़ी घटनाओं को नक्सलियों ने दिया अंजाम
10सितंबर 2010को माओवादी नक्सलियों(Maoists Naxalites) ने गया मुगलसराय रेल ट्रेक को क्षतिग्रस्त कर राजधानी एक्सप्रेस हादसे को अंजाम दिया था जिसमें दो सौ लोग मारे गये और डेढ़ सौ लोग जख्मी हुए थे।जहानाबाद जिले के शंकरबिगहा गांव में माओवादियों ने एक साथ दस परिवारों को मार डाला था।ये घटना एक उदाहरण भर है।इसी तरह गया के सेनारी गांव में नक्सलियों ने सवर्ण परिवारों को गांव के बागीचे में ले जाकर गोलियों से छलनी कर डाला था।भोजपुर में भी सहार,दनवार बिहटा, एकबारी जैसी हिंसक घटनाओं को अंजाम दिया गया। ज्यादातर घटनाएं लालू राबड़ी राज के दौरान ही हुईं।कांग्रेस शासन के दौरान बिहार में नक्सली हिंसा चरम पर रही।हालांकि धीरे धीरे नक्सली प्रभाव वाले इलाकों में बढ़ोत्तरी हुई। बिहार के कई जिलों में इनका फैलाव हुआ।कुल मिलाकर 22जिले नक्सलियों से प्रभावित हैं।पर इनमें भोजपुर, जमुई,गया और औरंगाबाद कुल पांच जिले अभी मुख्य रूप से माओवादियों के प्रभाव में हैं।
कम होता नक्सलियों का प्रभाव, घटता दायरा
अब नक्सली हिंसा और उपद्रव कुछ ही जिलों में केंद्रित रह गया है।इसका श्रेय संयुक्त ऑपरेशनल अभियान है।सीआरपीएफ, सैप और बिहार पुलिस के संयुक्त अभियान में नक्सलियों की कमर बुहतायत क्षेत्रों में टूट गई है।हालांकि अब भी ये पुलिस और मोबाइल टावरों को टार्गेट करते हैं।अभी तक इनका फैला व मुख्यतः सुरक्षा में चूक की वजह से ही होता रहा है।इसका असर सरकारी संपत्तियों के नुकसान में हुआ।सरकारी दावों के मुताबिक माओवादियों और नक्सलियों से बिहार को पिछले बीस बाइस वर्षों में दस करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ।
नक्सलियों के खिलाफ अभियान से उनकी कमर टूट गई और ये अब यहां से पलायन करने लगे हैं।राज्य के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय(DGP Gupteeshwar Pandey) के मुताबिक नक्सलियों माओवादियों को किसी भी हाल में अपने लक्ष्य में कामयाब नहीं होने दिया जाएगा।

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