पूजा के लिए यह मुहूर्त सवश्रेष्ठ
भगवान विश्वकर्मा की पूजा विशेष रुप से ज्येष्ठा नक्षत्र और आयुष्मान योग में दोपहर 11 बजे के बाद शुभ मुहूर्त में की गई। बिहार के कल कारखानों,औद्योगिक संस्थानों, प्रिटिंग प्रेसों तथा शिल्प और उद्योग से जुड़े प्रायः सभी संस्थाओं और स्थानों में की गई। निर्माण क्षेत्र और कला से जुड़े लोगों ने घरों में भी पूजा अर्चना की गई और भगवान विश्वकर्मा का आर्शिवाद लिया।
बिहार में कई प्रतिष्ठानों का एक दिन का अवकाश
भगवान विश्वकर्मा की जयंति बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर क्षेत्रों में प्रतिवर्ष 17 सितंबर को धूमधाम से मनाई जाती है। इसके लिए लंबे समय से तैयारियां की जाती हैं। पूजा के दिन कल कारखानों और औद्योगिक प्रतिष्ठानों में अवकाश रहता है। सूबे से प्रकाशित होने वाले सभी अखबारों में सोमवार को एक दिन का अवकाश घोषित कर दिया गया। सभी प्रेसों में विश्वकर्मा की मूर्ति स्थापित कर विधिवत पूजा की गई और अखबारों का प्रकाशन बंद रखा गया।
विश्वकर्मा की पूजा से खुश होते है शिव
भगवान विश्वकर्मा की विशेष महिमा है। इन्हें दुनिया को पहला वास्तुकार भी कहा जाता है।मान्यताओं के अनुसार भगवान विश्वकर्मा देवताओं के शिल्पकार और देव इंजीनियर हैं। माना जाता है कि उन्होंने सतयुग में स्वर्ग लोक,त्रेता में लंका ,द्वापर में द्वारिका और कलयुग में हस्तिनापुर का निर्माण किया। उनकी पूजा से भगवान शिव की विशेष कृपा बनी रहती बताई गई है।
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