scriptदेखते देखते गायब हुए 20 करोड से ज्यादा के सिक्के | More than 20 crore coins disappeared | Patrika News

देखते देखते गायब हुए 20 करोड से ज्यादा के सिक्के

locationपटनाPublished: Sep 05, 2019 06:18:50 pm

Submitted by:

Navneet Sharma

financial crisis : बैंक ग्राहकों से सिक्के लेने को कतरा रहे हैं तो ग्राहक भी बैंक से सिक्के लेना नहीं चाहते। चलन में होते हुए भी ये सिक्के बाजार से बाहर हो गये हैं बीस करोड़ से अधिक के सिक्के कारोबारियों के यहां डंप

देखते देखते गायब हुए 20 करोड से ज्यादा के सिक्के

देखते देखते गायब हुए 20 करोड से ज्यादा के सिक्के

भागलपुर.प्रियरंजन भारती। बिहार की आर्थिक राजधानी कहलाने वाले भागलपुर में बीस करोड़(20 crore coins disappeared) से अधिक के सिक्के बैंकों और कारोबारियों के यहां डंप हो गये हैं।बैंक ग्राहकों से सिक्के लेने को कतरा रहे हैं तो ग्राहक भी बैंक से सिक्के लेना नहीं चाहते। ये सिक्के सबसे अधिक एक रुपये के हैं।इस तरह चलन में होते हुए भी ये सिक्के बाजार से बाहर हो गये हैं। इससे बाजार में आर्थिक मंदी को बढ़ावा मिल रहा है।
बिहार प्रोविंसियल बैंक इम्प्लाइज एशोसिएशन के उप महासचिव अरविंद कुमार रामा ने बताया कि देश में पहले 15लाख 44हजार करोड़ रुपये ही चलन में थे। नोटबंदी के बाद सरकार ने छह लाख अतिरिक्त नोट व सिक्के छाप दिए।इसके साथ ही आरबीआई ने बैंकों को बिना डिमांड के सिक्के भेज दिए।
एलडीएम मोना कुमारी ने बताया कि सुल्तानगंज में श्रावणी मेले में आए सिक्कों की गिनती का काम अभी चल ही रहा है।मशीन नहीं होने से इसमें समय लग रहा है और बैंकों का काम प्रभावित हो रहा है।उन्होंने बताया कि ग्राहक आरबीआई गाइडलाइंस का हवाला देकर सिक्के जमा तो करा ले रहे हैं लेकिन लेने के लिए वो तैयार नहीं होते।नतीजा यह कि बैंकों में बड़ी मात्रा में सिक्के जमा हो गये हैं।इसके लिए ज़रूरी है कि ग्राहक बैंकों से सिक्के डिमांड करें ताकि वे डंप न रहें।
पंद्रह करोड़ से ज्यादा सिक्के दुकानदारों के यहां
ईस्टर्न बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष अशोक भिवानीवाला ने बताया कि अकेले भागलपुर में ही तीस हजार से अधिक छोटे बड़े दुकानदार हैं।यहां एक एक.सब्जी विक्रेता के यहां दस से पंद्रह हजार के सिक्के जमा हो गये हैं।यह हाल सीर्फ भागलपुर का है।सभी 38जिलों को जोड़कर देखा जाए तो सिक्के जमा हो जाने से अरबों का कारोबार प्रभावित हो रहा है।
कागज कारोबार से जुड़े अशोक खेतड़ीवाल बताते हैं कि यहां ढाई सौ बड़े व्यापारियों के ***** बीस करोड़ से ज्यादा के सिक्के डंप पड़े हैं।इन्हें खपाने के लिए कारोबारी कम रुपये लेकर भी देने को तैयार हैं।एक हजार सिक्कों के लिए ये नौ सौ रुपये लेने को तैयार हैं।खेतड़ीवाल ने कहा कि बैंकों को रास्ता निकालना चाहिए।
आर्थिक मंदी का बड़ा कारण
अर्थशास्त्र के जानकार प्रोफेसर आरडी शर्मा कहते हैं कि इतने. सिक्कों का डंप होना आर्थिक मंदी(financial crisis) का बड़ा कारण बन रहा है।इसका असर क्रयशक्ति और बाजार पर पड़ रहा है।किसी का खर्च दूसरे की आमदनी का हिस्सा होती है।यदि एक सिक्का दिन भल में दस हाथों से गुजरता है तो उसका हिसाब दस रुपये के बराबर होता है।इस तरह पूरे देश में अरबों के सिक्कों का डंप होना अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर डाल रहा है।प्रदीप झुनझुनवाला कहते हैं कि सिक्कों का चलन नहीं हो पाने से बड़ी राशि जाम हो रही है।इससे बाजार बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।देश में आर्थिक मंदी का यह बड़े कारणों में से एक महत्वपूर्ण कारण है।
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