एलडीएम मोना कुमारी ने बताया कि सुल्तानगंज में श्रावणी मेले में आए सिक्कों की गिनती का काम अभी चल ही रहा है।मशीन नहीं होने से इसमें समय लग रहा है और बैंकों का काम प्रभावित हो रहा है।उन्होंने बताया कि ग्राहक आरबीआई गाइडलाइंस का हवाला देकर सिक्के जमा तो करा ले रहे हैं लेकिन लेने के लिए वो तैयार नहीं होते।नतीजा यह कि बैंकों में बड़ी मात्रा में सिक्के जमा हो गये हैं।इसके लिए ज़रूरी है कि ग्राहक बैंकों से सिक्के डिमांड करें ताकि वे डंप न रहें।
ईस्टर्न बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष अशोक भिवानीवाला ने बताया कि अकेले भागलपुर में ही तीस हजार से अधिक छोटे बड़े दुकानदार हैं।यहां एक एक.सब्जी विक्रेता के यहां दस से पंद्रह हजार के सिक्के जमा हो गये हैं।यह हाल सीर्फ भागलपुर का है।सभी 38जिलों को जोड़कर देखा जाए तो सिक्के जमा हो जाने से अरबों का कारोबार प्रभावित हो रहा है।
कागज कारोबार से जुड़े अशोक खेतड़ीवाल बताते हैं कि यहां ढाई सौ बड़े व्यापारियों के ***** बीस करोड़ से ज्यादा के सिक्के डंप पड़े हैं।इन्हें खपाने के लिए कारोबारी कम रुपये लेकर भी देने को तैयार हैं।एक हजार सिक्कों के लिए ये नौ सौ रुपये लेने को तैयार हैं।खेतड़ीवाल ने कहा कि बैंकों को रास्ता निकालना चाहिए।
अर्थशास्त्र के जानकार प्रोफेसर आरडी शर्मा कहते हैं कि इतने. सिक्कों का डंप होना आर्थिक मंदी(financial crisis) का बड़ा कारण बन रहा है।इसका असर क्रयशक्ति और बाजार पर पड़ रहा है।किसी का खर्च दूसरे की आमदनी का हिस्सा होती है।यदि एक सिक्का दिन भल में दस हाथों से गुजरता है तो उसका हिसाब दस रुपये के बराबर होता है।इस तरह पूरे देश में अरबों के सिक्कों का डंप होना अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर डाल रहा है।प्रदीप झुनझुनवाला कहते हैं कि सिक्कों का चलन नहीं हो पाने से बड़ी राशि जाम हो रही है।इससे बाजार बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।देश में आर्थिक मंदी का यह बड़े कारणों में से एक महत्वपूर्ण कारण है।