रिपोर्ट असर2019के मुताबिक नालंदा जिले आठ साल के 56.6फीसदी बच्चे खुशी, दुख,क्रोध और डर नहीं पहचानते।हालांकि छोटे बच्चों के सामाजिक, शैक्षिक और मानसिक विकास के लिए इन मनोभावों का छोटे बच्चों में होना शिक्षा विज्ञानी जरूरी मानते हैं। सर्वे के क्रम में टास्क के तहत चार भावों से जुड़े प्ले कार्ड बच्चों के सामने रखे गये।
चार साल के महज़ 9.8फीसदी,पांच साल के 25.1,6साल के 36.7जबकि सात साल के 53.3प्रतिशत बच्चों ने ही प्लेकार्ड के भावों की सही पहचान की।हालांकि खुशी के भावों को86.2फीसदी बच्चों ने पहचान लिया।
नालंदा जिले के साठ गांवों के बच्चों ने सर्वेक्षण के दौरान एक अंक के जोड़ घटाव को मौखिक और लिखित में ठीक ठाक तो कर दिया पर दो अंकों में उलझ गये।कक्षा एक के 24.9,कक्षा दो के 32.9,जबकि कक्षा तीन के 43फीसदी बच्चों ने ही दो के जोड़ सही बनाए।