हत्याओं का दौर चिंता की बात
वर्ष 2001 में राबड़ी देवी मुख्यमंत्री थीं, तब वर्ष भर में 3619 हत्याएं दर्ज हुई थीं। नीतीश कुमार जिस वर्ष 2005 में मुख्यमंत्री बने, उस वर्ष 3225 हत्याएं हुईं। वर्ष 2010 में जब वे दोबारा मुख्यमंत्री बने, तब 3362 हत्याएं हुई थीं। वर्ष 2015 में जब वे तीसरी बार मुख्यमंत्री बने, तब 3178 हत्याएं हुई थीं। वर्ष 2017 में 2803 और वर्ष 2018 सितंबर तक बिहार में 2295 हत्याएं हो चुकी हैं। हत्या पर काबू पाने में पुलिस नाकाम है, जो सुधार हुआ है, वह बहुत मामूली है। हत्यारों पर कोई अंकुश नहीं दिखता।
अपराधी हुए बुलंद, क्योंकि पुलिस की बंदूकें हुई खामोश
बिहार में बढ़ रही हैं चोरियां
यह बिहार के लिए बड़ी चिंता की बात है। पुलिस के आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2001 में 9489 चोरियां हुई थीं, जबकि वर्ष 2017 में चोरी के मामले बढक़र 27029 हो गए। चोरी में लगभग तीन गुना वृद्धि हुई है।
वर्ष और चोरी के दर्ज मामले
2001 – 9489
2005 – 11809
2010 – 15544
2015 – 22461
2017 – 27029
सितंबर 2018 तक – 22645 चोरियां
फिरौती घटी, अपहरण बढ़ा
बिहार पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, फिरौती के लिए अपहरण की संख्या में काफी कमी आई है, लेकिन अपहरण की संख्या में काफी इजाफा हुआ है।
वर्ष और अपहरण के दर्ज मामले
2001 – 1689
2005 – 2226
2010 – 3602
2015 – 7127
2017 – 8972
सितंबर 2018 तक – 7977 मामले दर्ज।