दरअसल पिछले दिनों भारतीय मानक ब्यूरो ने विभिन शहरों से पानी के नमूने लेकर उसकी गुणवत्ता स्तर की जांच कर यह रिपोर्ट जारी की है। जांच रिपोर्ट में पटना, लखनऊ तथा देहरि के पानी के लिए गए सभी दस नमूने फेल हो गये। मालूम हो कि भारतीय मानक ब्यूरो के हिसाब से पेयजल की गुणवत्ता के भारतीय मानक 10500:2012 का पालन अनिवार्य है।
बिहार के ग्रामीण इलाकों के 30497 वार्डों के पानी की गुणवत्ता प्रभावित है, इनमें सबसे अधिक 21598 वार्डों के पानी में आयरन है। कोसी और आसपास के नौ जिलों के पानी में भारी मात्रा में आयरन है जो कि सेहत के लिए काफी नुकसानदायक है। गंगा किनारे के 12 जिले आर्सेनिक प्रभावित हैं। जबकि पहाड़ी क्षेत्र व उसके आसपास के नं जिलों के 5085 वार्डों में आर्सेनिक की मात्र काफी ज्यादा पाई गई है, जो कि आम आदमी के लिए नुकसानदायक है। प्रो. नवल के मुताबिक ऐसे प्रदूषित जल से लीवर बीमार होता है। प्रदूषित जल से किडनी और आंतों को भी दूरगामी बुरा प्रभाव झेलना पड़ता है।