बिहार के शांत जिले
1 – अरवल
2 – शिवहर
3 – लखीसराय
4 – शेखपुरा
बिहार के सबसे खराब जिले
अरवल जिला सबसे अमन पसंद
अरवल जिले में अपराध और अपराधियों की संख्या कम है। यहां वर्ष 2017 में कुल 1159 संज्ञेय अपराध हुए थे, जबकि वर्ष भर में एक भी डकैती नहीं हुई और पूरे जिले में केवल 131 चोरियां हुईं। हालांकि कम चोरी के मामले में शिवहर टॉप पर है – शिवहर में वर्ष भर में मात्र 49 चोरियां हुई थीं। शिवहर में वर्ष 2017 में सबसे कम संज्ञेय अपराध हुए – 883 कुल। शिवहर में हत्याएं 12 हुई और मात्र 2 डकैती। डकैती के मामले में लखीसराय और शेखपुरा की भी स्थिति प्रशंसनीय है – दोनों जिलों में क्रमश: 3 और 4 ही डकैतियां हुईं। इन चार जिलों के अलावा किशनगंज, जमुई में भी अपेक्षाकृत बेहतर स्थिति है। इन सभी जिलों में अपहरण की घटनाएं भी कम हैं। फिरौती के लिए अपहरण की घटनाएं इन जिलों में नहीं के बराबर है। अरवल से लगते जिले औरंगाबाद और जहानाबाद में भी अपराध की स्थिति बहुत खराब नहीं है। अरवल जिला इन्हीं दो जिलों से अलग होकर बनाया गया है।
सडक़ों पर रोज लूटमार, जहां सडक़ पर निकलते डरते हैं लोग
मैं हूं ना, बिहार मत छोडि़ए
शांत जिलों का अध्ययन होना चाहिए
जो जिले अपेक्षाकृत शांत हैं, उनका सरकार को अध्ययन करना चाहिए। पिछड़ेपन को भी अपराध का कारण माना जाता है, लेकिन इन जिलों में तो पिछड़ापन होने के बावजूद अपराध नहीं है, तो इसके क्या कारण हैं। अरवल और पटना के बीच 100 किलोमीटर की दूरी भी नहीं है, लेकिन पटना में सर्वाधिक अपराध है, जबकि अरवल में सबसे कम अपराध है।