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पटना

बिहार में लिखी जा रही है राजनीतिक पटकथा! चेहरा नीतीश बाबू का, तो दिमाग ‘पीके’ का

जदयू की एनडीए में सीट शेयरिंग और नीतीश कुमार के चेहरे को आगे कर लोकसभा चुनाव में जाने के भाजपा पर दबाव की रणनीति प्रशांत किशोर के ही दिमाग की उपज है

पटनाJun 14, 2018 / 05:20 pm

Shailesh pandey

prashant kishor

prashant kishor

(प्रियरंजन भारती की रिपोर्ट) पटना । क्या राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर एक बार फिर जदयू नेता और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जीत की राह दिखाएंगे? सूत्रों का दावा है कि जदयू की एनडीए में सीट शेयरिंग और नीतीश कुमार के चेहरे को आगे कर लोकसभा चुनाव में जाने के भाजपा पर दबाव की रणनीति प्रशांत किशोर के ही दिमाग की उपज है। दोनों की इधर दिल्ली और पटना में दो दौर की मुलाकात हो चुकी है। जदयू की बैठक में केसी त्यागी, आरसीपी सिंह और पवन वर्मा भी साथ रह चुके हैं।
बिहार में सत्तारूढ़ जदयू के भरोसेमंद सूत्र बताते हैं कि जेडीयू एनडीए में
सीटों के तालमेल और नीतीश कुमार के नेतृत्व को लेकर भाजपा पर जो दबाव बना रहा, उसके पीछे प्रशांत किशोर का ही दिमाग है। हाल में जदयू की बैठक के दौरान प्रशांत किशोर ने पार्टी नेताओं को नीतीश कुमार के चेहरे की चमक बढ़ाने की नसीहत दी। जानकारी के मुताबिक बैठक में पार्टी नेता आरसीपी सिंह, केसी त्यागी और पवन वर्मा भी मौजूद रहे हैं। दिल्ली के बिहार भवन में भी पिछले दिनों इन्हीं नेताओं की मौजूदगी में नीतीश कुमार की किशोर से मुलाकात हो चुकी है। प्रशांत किशोर ने 2015 के विधानसभा चुनाव के दौरान ‘बिहार में बहार है नीतीश कुमार है’ नारा तैयार किया जो बेहद चर्चित हुआ था।

 

भाजपा और जदयू में चेहरे को लेकर खींचतान


हाल के दिनों में बिहार में चेहरे को लेकर जदयू, भाजपा और रालोसपा के बीच बयानबाजी काफी तेज हुई है। सभी पार्टियां अपने नेता के चेहरे को आगे कर लोकसभा चुनाव में उतरने के दावे कर रही हैं। कांग्रेस छोड़ जदयू में आए पूर्व मंत्री अशोक चौधरी कह चुके हैं कि अगर अगला चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में नहीं लड़ा गया तो एनडीए को नुकसान होगा। जवाब में भाजपा ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में ही एनडीए के चुनाव में उतरने की बात कही।


प्रशांत को लेकर भाजपा से किचकिच

प्रशांत किशोर की जदयू नेता नीतीश कुमार से नजदीकी भाजपा को अखरती रही है। विधानसभा चुनाव के बाद नीतीश ने प्रशांत को राज्यमंत्री का दर्जा दे दिया था जिसका भाजपा ने बार बार विरोध किया। फिर से भाजपा के साथ सरकार बनने के बाद नीतीश ने प्रशांत को हटा दिया था। प्रशांत किशोर ने 2014 के लोकसभा चुनाव में पहली बार राजनीतिक रणनीतिकार के रूप में नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनवाने के लिए काम किया। सिटिजन फॉर अकाउंटेबल गवर्नमेंट (सीएजी) नाम की संस्था के जरिए प्रशांत की टीम भाजपा के लिए काम करती रही। लेकिन चुनाव के बाद प्रशांत के अमित शाह से मतभेद बढ़े। पार्टी ने इन्हें अपने से अलग कर दिया।

 

चर्चित हो चुकी है फोटो


2014 के चुनाव में जदयू की हार के बाद प्रशांत किशोर 2015 के विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार के लिए काम करने लगे। चुनाव में भारी बहुमत से महागठबंधन की भाजपा गठबंधन पर जीत हुई। जीत के बाद प्रशांत किशोर की नीतीश के साथ कुर्ता पायजामा में ली गई तस्वीर काफी चर्चित हुई थी। वह बिहार में महागठबंधन टूटने से नाराज हुए क्योंकि चुनाव के दौरान इन्हीं की योजना पर अमल करते हुए आरजेडी, कांग्रेस और जदयू को साथ लाकर महागठबंधन बनाया गया था।

 

पंजाब और आंध्र प्रदेश में काम किया

भाजपा और नीतीश के बाद प्रशांत किशोर ने पंजाब में कांग्रेस के लिए काम
किया। पंजाब में काम करने के लिए प्रशांत ने पटना छोड़ दिया। सूत्र बताते हैं कि पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह की जीत के बाद प्रशांत किशोर इसी साल अप्रैल में पटना आए और कुछ घंटे नीतीश कुमार के सरकारी आवास पर ही रुके। फिलहाल प्रशांत किशोर आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस के जगमोहन रेड्डी के लिए काम कर रहे हैं। प्रशांत की नीतीश कुमार से नजदीकी भाजपा को अखरती रही है। अब आगामी लोकसभा चुनाव में प्रशांत किशोर यदि एनडीए में नीतीश कुमार को भाजपा पर भारी बनाने की रणनीति पर काम करेंगे तो निश्चय ही यह कलहकारी साबित हो सकता है।

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