50 हजार कामगार अटके हैं
विधानसभा अध्यक्ष ने ‘पत्रिका’ को बताया कि बिड़ला ने उन्हें कोटा में पढ़ रहे बच्चों की व्यवस्था को लेकर आश्वस्त किया है। चौधरी ने उन्हें बताया कि बिहार समेत अन्य राज्यों के बड़ी संख्या में बच्चे कोटा में तैयारी के लिए रहते हैं। लॉकडाउन के कारण बच्चों समेत लगभग 50 हजार बिहारी कामगार घर नहीं आ पा रहे हैं। प्रधानमंत्री की लॉकडाउन में घरों से बाहर नहीं निकलने की अपील को देखते हुए स्थानीय प्रशासन को वहां रह रहे बच्चों तथा कामगारों की भरपूर मदद करनी चाहिए।
राजस्थान की सरकार करे देखभाल
चौधरी ने लोकसभाध्यक्ष से यह भी कहा कि बिहार में रह रहे दूसरे प्रदेशों के लोगों की यहां की सरकार हर तरह की मदद कर रही है। लिहाजा ऐसा करना राजस्थान सरकार की भी बड़ी जिम्मेवारी है। राजस्थान में फंसे बच्चों और अन्य कामगार जनों को लॉकडाउन खत्म होने के बाद बिहार बुला लिया जाएगा। चौधरी ने बताया कि बिहार में कोरोना संक्रमण से बचाव के सभी उपाय समय रहते कर लिए गए हैं। कोरोना उन्मूलन कोष का भी गठन कर लिया गया, जिसमें सभी विधायकों ने अपने फंड से 50-50लाख रुपये दिए हैं। सबसे पहले बिहार ने ही राज्य के बाहर फंसे बिहारियों के लिए मुख्यमंत्री के निर्देश पर ‘विशेष सहायता योजना शुरु कर सभी के खाते में एक एक हजार रुपये डाले गए।
बिहार सरकार नहीं बुलाएगी विद्यार्थियों को
दूसरे राज्यों में फंसे बारह लाख से अधिक के बैंक खातों में एक एक हजार रुपये बिहार सरकार ने सहायतार्थ डाले हैं। घर-घर सर्वे कराए जा रहे हैं और बिना राशनकाडज़् वालों को भी राशन दिए जा रहे हैं। चौधरी ने लोकसभाध्यक्ष को बताया कि बिहार के कोटा में फंसे बच्चों की चिंता बिहार सरकार को है। इसलिए राजस्थान सरकार पर उनकी देखभाल करने का दबाव दिया जाना चाहिए। बता दें कि कोटा के सांसद बिड़ला ने ही वहां रह रहे बाहर के बच्चों को अपने घर ले जाने की राज्य सरकारों से अपील की थी।
योगी की आलोचना
इसके बाद यूपी सरकार समेत अन्य राज्यों सरकारों ने अपने यहां के बच्चों को वापस लाने का क्रम शुरु किया। जबकि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसे लॉकडाउन की मयार्दा के खिलाफ माना और योगी सरकार की पहल की भी आलोचना कर डाली। बावजूद एक विधायक समेत कुछ लोगों ने कोटा से बच्चों को घर वापस लाने वाले कदम उठाए जिसे बिहार सरकार ने सर्वथा अनुचित मानते हुए कई सख्त निर्देश जारी किए हैं।