scriptपटना साहिब और पाटलीपुत्र से स्पेशल रिपोर्ट…शत्रु का शत्रु हुआ पटना तो पाटलीपुत्र में पुराने प्रतिद्वंदियों में फिर सीधी टक्कर | special ground report of patna sahib and patliputra before election | Patrika News

पटना साहिब और पाटलीपुत्र से स्पेशल रिपोर्ट…शत्रु का शत्रु हुआ पटना तो पाटलीपुत्र में पुराने प्रतिद्वंदियों में फिर सीधी टक्कर

locationपटनाPublished: Apr 29, 2019 04:09:41 pm

Submitted by:

Prateek

बिहार की पटना साहिब और पाटलीपुत्र सीट पर लोकसभा चुनाव के सातवें और अंतिम चरण के तहत 19 मई को वोट डाले जाएंगे। जब पत्रिका के राजेश शर्मा दोनों संसदीय क्षेत्रों में पहुंचे और मतदाताओं का मिजाज जानने की कोशिश की तो कुछ ऐसी तस्वीर सामने आईं…
 

shatrughan sinha file photo

shatrughan sinha file photo

(पटना,राजेश शर्मा): पटना स्टेशन पर उतरते ही बदले हुए माहौल का अहसास हो जाता है। हरेक रास्ते पर इतने ओवरब्रिज और पुल हो गए हैं कि अब पटना पुलों का शहर लगने लगा है। बड़े बड़े मॉल दिखाई देने लगे हैं। कई सारे नए होटल भी बन गए हैं। बाजारों में रौनक है। स्वच्छता अभियान का असर दिख रहा है। पटना की दीवारों को मधुबनी शैली की पेंटिंग से रंगा गया है। हालांकि सार्वजनिक वाहन व्यवस्था और यातायात के हालात लचर है। तेज हार्न के कारण स्टेशन के आसपास तो कुछ सुनाई देना भी मुश्किल हो जाता है। पूरे पटना जिले में एक ही मुद्दा सबसे बड़ा है और वह साफ पेयजल। चारों तरफ लोग यही शिकायत करते नजर आते हैं कि सांसद और सरकार दोनों ने ही साफ पानी को लेकर गंभीर नहीं है। नलों से सीवर के साथ मिलकर गंदला पानी आ रहा है। घूमते हुए मेरी मुलाकात अखबार के एक हाकर से हो जाती है नाम है अशोक कुमार सिन्हा। वो ठेठ बिहारी अंदाज में कहता है कि पटना साहिब में एक फिल्म स्टार है और दूसरा राजनीति का स्टार। फिल्मी स्टार को दो बार देख लिया लेकिन वो अपने सांसद फण्ड का भी उपयोग नहीं किया। पांच साल में वोट लेने आ जाता है लेकिन लोगों से मिलता नहीं है। शत्रुघ्न सिन्हा नेगेटिव राजनीति किए हैं और अब बिहार नेगेटिव राजनीति के पक्ष में नहीं है।


पटना स्टेशन के सामने हनुमानजी के मन्दिर के सामने जब ये चर्चा चल रही थी तो मन्दिर दर्शन करके लौट रहे आनंद कुमार झा भी शामिल हो जाते हैं। झा कहते हैं कि लालू की राजनीति का दौर अब समाप्त होने को है। कांग्रेस बिहार में ज्यादा मजबूत नहीं है और दो चार छोटे दल है लेकिन वो अपनी जाति तक ही सीमित है। नीतीश कुमार ने राजद से गठबंधन तोडक़र मोदी का साथ लिया तो बिहार की जनता को विकास मिला है। पटना ही नहीं पूरे बिहार में आपको मोदी के पक्ष और विपक्ष की ही बात सुनने को मिलेगी, इसके अलावा कुछ नहीं है।


चलते—चलते एक कोचिंग सेन्टर के पास खड़े लड़कियों के झुण्ड से पूछता हूं कि किसका माहौल है तो एक साथ कहती है मोदीजी ही हैं। ऐसा क्यों, जब ये पूछता हूं तो कहती है कि पहले अंधेरा होने से पहले घर पहुंचना होता था लेकिन अब ऐसा नहीं है। महिला सुरक्षा के प्रयास हुए हैं और मोदी ने देश की सुरक्षा का बड़ा काम किया है। गंगा किनारे जाकर देखता हूं तो गंगाजी की धारा कुछ बदली बदली सी दिखाई दी। पूछता हूं तो पता लगता है कि मरिन ड्राइव की तरह इस तट को विकसित किया जा रहा है। गुरू गोविन्दसिंहजी की जन्मस्थली पटना साहिब पहुंचता हू। पटना साहिब के दर्शन के बाद बाहर आकर पंजाब के आए एक सिक्ख परिवार से बात होती है। परिवार इस बात से अभिभूत था कि गुरूजी के जन्मस्थान पर 300 वें वर्ष के उपलक्ष में तीन सौ कमरों की सर्वसुविधा सम्पन्न एक सराय बनाई गई है और इसमें केन्द्र व राज्य की सरकार का योगदान है। पटना साहिब के पास ही नीतिन कुमार ने बताया कि मोदी से यहां किसी की कोई नाराजगी नहीं है। शत्रुघ्न सिन्हा के नकारात्मक होने के बाद भी पटनासाहिब में विकास हुआ है। सुरक्षा, सर्जिकल स्ट्राइक का लाभ भी मिलेगा लेकिन शराब बंदी के नकारात्मक प्रभावों के कारण वोट कटेगा।

 

राजनीति की दृष्टि से देखें तो कांग्रेस कार्यकर्ताओं की अजीब सी स्थिति हो गई है। मैं ऐसी ही एक बैठक में पहुंचा तो एक कांग्रेस कार्यकर्ता रविनंदन झा ने कहा कि अभी तो यह ही स्पष्ट नहीं है, शत्रुघ्न सिन्हा चुनाव भी लड़ पाएंगे या नहीं। लखनऊ से सपा की प्रत्याशी अपनी धर्मपतनी के प्रचार के लिए चले गए। अब ऐसी स्थिति में असमंजस ही है। यह भी चर्चा है कि दिल्ली में आप के उम्मीदवार बनने के लिए भी सिन्हा प्रयास कर रहे हैं। इस कारण पटना साहिब में कांग्रेस का प्रचार विधिवत आरंभ नहीं हो पाया। कांग्रेस के कार्यकर्ता सिन्हा की उम्मीदवारी का विरोध भी कर रहे हैं। हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि सिन्हा को लालू के परिवार का भी यहां पर सहयोग मिलेगा। यादव और मुसलमान और सरकार से नाराज मतदाताओं का वोट मिलेगा।


कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने नामांकन भरने से पहले ही अपने चुनाव कार्यालय खोलकर प्रचार शुरू कर दिया है। पहले उनकी उम्मीदवारी को लेकर आर के सिन्हा के समर्थक माहौल बना रहे थे। लेकिन अब माहौल शांत है। नाराज लोगों को मना लिया गया है। राज्यसभा से जाने के बावजूद उनका लोगों से सीधा सम्पर्क है। स्वभाव से कडक़ होने पर भी लोगों की मदद का भाव उन्हें विरोधियों से आगे कर दे रहा है। रविशंकर प्रसाद जनसम्पर्क और छोटी सभाओं तथा बैठकों में एक काम और कर रहे हैं। माला पहनने की बजाय प्रभावशाली और वृद्धों को अपने हाथ से माला पहनाते हैं। युवाओं से बात करते हैं। रविशंकर एक बात युवाओं से कहते हैं कि मोदीजी के अधूरे काम पूरे करने और बिहार को विकास के रास्ते पर ले जाना है। वो ये भी वादा करते हैं कि युवाओं को ज्यादा से ज्यादा रोजगार मिले, इसके भरपूर प्रयास होंगे।


पटनासाहिब के पूरे इलाके में घूमने पर एक बात स्पष्ट हो जाती है कि मतदाताओं की नाराजगी दूर करने के लिए शत्रुघ्न सिन्हा को ऐडी चोटी का जोर लगाना होगा क्योंकि अपने पराए सभी उनसे शत्रुओं जैसा व्यवहार कर रहे हैं जबकि रविशंकर प्रसाद को संसद पहुंचने की राह आसान लग रही है।

 

पाटलीपुत्र

 

ram kripal yadav

पटना की दूसरी लोकसभा सीट है पाटलीपुत्र। यहां पर राजद की मीसा और भाजपा के रामकृपाल यादव की सीधी टक्कर है। पूरे इलाके में सबसे बड़ा मुद्दा पानी ही है। पटना में साफ पानी की आपूर्ति नहीं होने के कारण लोगों में नाराजगी है। साथ ही शराबबंदी के कारण गरीबों के पकड़े जाने का मुद्दा है। सब्जी बेचने वाली रामजानकी देवी कहती है कि पुलिस ने अवैध शराब बेचने का झूंठा मुकदमा बना दिया। बहुत पैसा खर्चा हो गया फिर भी पुलिस से पीछा नहीं छूटा। आए दिन पुलिस अवैध शराब की तलाशी लेने आ जाती है। विकास की दृष्टि से देखा जाए तो अच्छी सडकें, फ्लाईओवर, गंगा पर पुलों की लम्बी कतारें हैं। रेल से यात्रा करने का आदी बिहारवासी अब बसों में भी यात्रा फोरलेन हाइवे और फ्लाईओवर के कारण ही कर पा रहे है। इसी के कारण उद्योग भी खुल रहे हैं। व्यावसायिक गतिविधियां बढ़ी है।


दानापुर रोड़ पर चाय की स्टाल पर बात करते हैं तो चाय वाला रंजन कुमार कहता है कि विकास खूब हुआ है। रोजगार मिला है। खाते में योजनाओं के पैसे भी आ रहे हैं। सबसे बड़ी बात ये हैं कि मोदीजी के हाथों में देश सुरक्षित लग रहा है। इस बीच एक अधेड़ वय का आदमी सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर कहता है कि सुने ही है कितना मरा, सरकार ने बताया नहीं। मारा है कि नहीं मारा है ये भी नहीं पता। उसके ये कहते ही एकसाथ कई लोग एकसाथ जोर जोर से बोलने लगते है, एई बुडबक, का बात करता है। फिर लोग कहते है कि राजद का वोटर है ऐसे इ न बोलेगा लेकिन आप तय मानिये कि यहां कोई भाजपा या एनडीए के प्रत्याशी का नाम भी कोई नहीं पूछेगा। सब लोग मोदीजी को एक बार फिर प्रधानमंत्री की कुरसी पर बैठाना चाहता है। सारे बिहार में यही हवा है। मैं आगे बढ़ जाता हूं। जब मैं लोगों में प्रत्याशियों के बारे में सवाल करता हूं तो कहते हैं कि रामकृपाल यादव बढिय़ा आदमी है। बहुत काम किये हैं। क्षेत्र में लोगों से सम्पर्क में रहते हैं। काम करने वाले सांसद की छवि है। रामकृपाल यादव ने दलबल के साथ नामांकन भरा है। यादव के समर्थक कहते हैं कि रामकृपाल को छत्तीसों कौम का वोट मिलेगा। मोदी के नाम पर अबकि बार जीतने का रेकार्ड बनाएंगे।


वहीं दूसरी और राजद कार्यकर्ता रामकृपाल यादव का नाम लेते ही भडक़ते हैं। कोई उसे गद्दार कहता है कि तो कोई कुछ ओर। लालू यादव की सबसे बड़ी बेटी मीसा यहां से राजद की प्रत्याशी है। पिछली बार भी रामकृपाल यादव के हाथों हार गई थी। लालू यादव का परिवार रामकृपाल की बात सामने आते ही उसे गलियाने लगता है। यही बात रामकृपाल के पक्ष में चली जाती है क्योंकि वो जवाब देने की बजाय चुप रहते हैं।


राजद में लालू परिवार में अभी वर्चस्व का संघर्ष छिड़ा हुआ है। मीसा और तेजस्वी के बीच मनमुटाव की भी खबरें आ रही है। मीसा के साथ राबड़ी और तेजप्रताप है। नामांकन के दौरान भी ये तीनों मीसा के साथ आए थे लेकिन तेजस्वी नदारद थे। कहा ये गया कि तेजस्वी राजद के दूसरे प्रत्याशियों के प्रचार में व्यस्त होने के कारण नहीं आए हैं। तेजप्रताप ने तेजस्वी के समर्थक प्रत्याशियों के खिलाफ लालू राबडी विचार मंच के नाम से अपने समर्थकों से नामांकन भरवा दिए और प्रचार भी कर रहे हैं। क्षेत्र के लोगों को कहना है कि वैसे भी लालू का दौर अब समाप्त हो गया है। परिवार में छिड़ा यादवी संघर्ष राजद को पूर्ण विराम की और ले जाएगा।


पाटलीपुत्र सीट पर मीसा और रामकृपाल दोनों का ही कड़ा मुकाबला है। मीसा ने यादव वोटों को टूटने नहीं दिया और मुस्लिम वोट पूरी तरह मिल जाते हैं तो रामकृपाल यादव को पसीने छूट सकते हैं वहीं मोदी वोटों की लहर रामकृपाल यादव को चुनावी वैतरणी पार करा सकती है।

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