ससुराल और मायके में विवाद जैसा
इस बहू को लगता है कि यह मामला ससुराल और मायके में विवाद जैसा है। चीन उसका मायका और भारत और उसका ससुराल। इस घटना के बाद से उसके लिए हर चीज बेस्वाद है। परिवार में जो हंसी-खुशी का माहौल था, वो इस झगड़े की भेट चढ़ गया। इस चीनी बहु का परिवार दोनों देशों के झगड़े से बेहत आहत है। पूरा परिवार मौजूदा माहौल से दुखी है। परिवार चाहता है कि दोनों पड़ौसी देशों में शांति और सौहाद्र्र कायम रहे। झगड़ा नहीं हो। दोनों तरफ से खून-खराबा नहीं हो। शायद इस बहू का संदेश चीन तक पहुंच जाए और वह रास्ते पर आ जाए।
गलवान घाटी की घटना से आहत
बिहार शरीफ में रहने वाली चीनी बहु यीन ह जिस दिन से गलवान की घाटी की घटना हुई है, उसी दिन से बेहद दुखी है। अटक-अटक कर हिन्दी बोलने वाली यीन कहती है कि जिस दिन गलवान घाटी में खून बहा, उस दिन खूब रोयी। ऐसा लगा कि मेरे माता-पिता व सास-ससुर में झगड़ा हो गया है। यीन ह कहती है कि वह बुद्ध को मानती है। भारत से ही शांति व अहिंसा का संदेश चीन गया। वह भगवान बुद्ध से प्रार्थना करती है कि दोनों देशों में शांति कायम रहे।
मित्रता का प्रतीक मैत्रेय
चीन की राजधानी बीजिंग की रहने वाली यीन का विवाह उत्तरप्रदेश के बनारस के रहने वाले अरुण कुमार से हुआ। अरूण 2011-12 में इंडो-चाइनीज स्कॉलरशिप के तहत चीनी विश्वविद्यालय में मंदारिन भाषा की पढ़ाई करने गये थे। वहीं पढ़ाई के दौरान बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन की पढ़ाई कर रही यीन ह से उनकी मुलाकात हुई. यह मुलाकात धीरे-धीरे दोस्ती में और फिर प्यार में बदल गयी। अंतत: दोनों ने विवाह करने निर्णय लिया। विवाह के बाद यीन चीन से बिहारशरीफ आ गई। इनके एक बेटा है, जिसका नाम मैत्रेय रखा है। यह नाम दोनों देशों में मित्रता बनी रहे, इसलिए रखा गया।
ह्वेनसांग ले गया पुस्तकें
यीन ह फिलहाल नव नालंदा महाविहार में पाली भाषा में डॉक्टरेट कर रही हैं। अरुण यादव व उनकी पत्नी यीन ह इस बात से बहुत आहत हैं कि प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेनसांग प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय से करीब 637 बौद्ध लिटरेचर (पुस्तकें) चीन ले गये। यीन ह बताती हैं कि उसे भारत-चीन की मित्रता पसंद है। अरुण कुमार यादव डीम्ड यूनिवर्सिटी नव नालंदा महाविहार में पाली भाषा के सहायक प्राध्यापक हैं।