पटना

शहीदों के गांव से….दो जांबाज दोनों की अपनी-अपनी कहानी, शहीदों के परिजनों को शहादत पर गर्व,पूरे प्रदेश में गुस्सा

विशेष संवाददाता प्रियरंजन भारती की रिपोर्ट…
 

पटनाFeb 15, 2019 / 07:56 pm

Prateek

martrys

(पटना): पुलवामा हादसे के बाद पूरे बिहार के लोग गुस्से से लाल हो रहे हैं। जगह—जगह प्रदर्शन कर लोगों ने गुस्से का इजहार करते हुए पाकिस्तान विरोधी नारेबाजी की। बिहार के दो जवानों के शहीद होने पर विधानसभा और विधान परिषद में बिहार के दोनों जवानों समेत सभी शहीदों के प्रति शोक संवेदना प्रकट की गई। सदस्यों ने एक मिनट का मौन रखा और दोनों सदनों की कार्यवाही दोपहर भोजनावकाश तक स्थगित कर दी गई।

 

दूसरे बेटे को भी सेना में भेजने के लिए तैयार है

 

शहीद रतनकुमार ठाकुर-भागलपुर IMAGE CREDIT:

बिहार के दो जवान पुलवामा में शहीद हुए। शहीद रतन कुमार ठाकुर भागलपुर के अमडंडा इलाके के मदारगंज के रहने वाले थे। उनके पिता रतन कुमार ठाकुर नम आंखों के साथ कहा कि बेटे की शहादत पर मुझे गर्व है। एक बेटे को खोने के बाद भी देश के प्रति उनका जज्बा कम नहीं हुआ है उनका कहना है कि दूसरे बेटे को भी सेना में भेजने के लिए तैयार है। रतन का परिवार इशाचक के भट्ठा रोड में किराए के मकान में रहता है। वह परिवार के एकमात्र कमाऊ सदस्य थे। हमले की खबर छोटे भाई नीरज ने फोन पर सुनी तो परिवार में हाहाकार मच गया। रतन ठाकुर ने दिन में पत्नी राजनंदनी को फोन कर बताया था कि श्रीनगर जा रहा हूं। पिता का कहना है कि आतंकवादियों ने कायरतापूर्ण कार्रवाई की है। इसका बदला जरूर लेना चाहिए। रतन ठाकुर की शादी 2014 में बांका के बौंसी की राजनंदनी से हुई थी। इन्हें एक तीन साल का बेटा कृष्णा है। राजनंदनी पांच माह की गर्भवती है।

 

बेटी की शादी तय करने के लिए जल्दी आने का किया था वादा

 

martry
शहीद संजयकुमार सिन्हा-मसौढ़ी IMAGE CREDIT:

बिहार के दूसरे शहीद पटना जिले के मसौढ़ी निवासी संजय कुमार सिन्हा हैं। परिवार तारेगना मठ स्थित मकान में रहता है। पिता महेंद्र सिंह ने शहादत की खबर वाला फोन रिसीव किया लेकिन दुखद समाचार की जानकारी मिलने से पहले ही फोन उन्होंने परिजन को पकड़ा दिया। शहीद के परिजनों के आंसू थम नहीं रहे हैं। पिता महेंद्र सिंह को गर्व है। मलाल इस बात का है कि बेटा अपनी बड़ी बेटी की शादी तय करने के लिए दोबारा नहीं आ सका।


शहीद की पत्नी बबीता ने जब पति के शहादत की ख़बर सुनी तो उसके हाथ से खाने की थाली छूट गई। वह बार—बार भरे गले से कह रही है कि पंद्रह दिनों में बेटी की शादी तय करने वापस आने को बोल गए थे पर मौत की खबर आ गई। संजय को दो बेटियां और एक बेटा सोनू है जो कोटा में रहकर मेडिकल की तैयारी कर रहा है। एक माह की छुट्टी बिताकर संजय आठ फरवरी को ड्यूटी के लिए यह कहकर गए थे कि पंद्रह दिनों में फिर आऊंगा और बड़ी बेटी की शादी तय कर ही जाऊंगा। 45वर्षीय संजय सिन्हा 176 वीं बटालियन में हवलदार थे। उनके छोटे भाई भी सीआरपीएफ में हैं। वह दूसरे मकान में रहते हैं। संजय कुमार सिन्हा मिलनसार स्वभाव और सभी की मदद करने वाले थे। मौत की खबर सुनकर पूरा गांव गम में डूब गया। किसी ने भी रात का खाना नहीं खाया।

 

 

देर रात शव आने की उम्मीद

दोनों शहीदों के शव देर शुक्रवार रात तक विशेष विमान से पटना पहुंचने वाले हैं। सरकार की ओर से परिजनों के सहायतार्थ किसी तरह की मदद की कोई घोषणा अभी तक नहीं की गई है। हालांकि राज्यपाल, मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और अन्य नेताओं मंत्रियों ने घटना पर दुख व्यक्त करते हुए शोक संवेदना प्रकट की है।

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.