कुशवाहा को अमित शाह ने शुक्रवार को ही फोन कर बातचीत के लिए दिल्ली बुलाया, पर वह साफ कह गए कि सोमवार को ही आ पाऊंगा। उन्होंने शाह से कहा कि अभी वह पार्टी के कुछ कार्यक्रमों में व्यस्त हैं। सूत्रों का कहना है कि कुशवाहा सोमवार देर शाम या मंगलवार को अमित शाह से मुलाकात कर सीट शेयरिंग पर बातचीत करेंगे। इससे पहले नीतीश कुमार और शाह की मुलाकात में जदयू-भाजपा की बराबर सीटों पर तालमेल के फैसले किए जा चुके हैं।
गौरतलब है कि शाह-नीतीश की मुलाकात के बीच ही कुशवाहा तेजस्वी मुलाकात भी हुई, जिसे लेकर खूब कयास लगाए जा रहे हैं। हालांकि कुशवाहा ने इस बाबत स्पष्ट कहा कि वह एनडीए में हैं और रहेंगे। यह भी कहा कि तेजस्वी सें भेंट एक संयोग भर है। इसके राजनीतिक मायने नहीं निकाले जाने चाहिए। हालांकि पार्टी अध्यक्ष नागमणि जदयू को मिले तवज्जो पर आग बबूला भी खूब हुए।
भाजपा से नहीं जदयू से खफा
कुशवाहा की खुन्नस भाजपा नहीं जदयू से है। नीतीश कुमार के वोट बैंक से कहीं अधिक वोट होने का खम ठोकते रहे कुशवाहा की नाराजगी इस बात को लेकर अधिक है कि उनके दल की सीटें कम कर दी जा रहीं हैं, जबकि भाजपा अपना नुकसान उठाकर नीतीश कुमार को सिरमौर बना रही। रालोसपा नेताओं का दावा है कि लोकसभा चुनावों में रालोसपा को जदयू से ज्यादा वोट मिले, मगर जदयू को अधिक महत्व दिया जा रहा।
भाजपा रहेगी घाटे में?
इधर जानकारों का कहना है कि भाजपा ने नीतीश कुमार को अधिक महत्व देकर यह मान लिया कि महागठबंधन में उन्हें न जाने देकर बड़ी सफलता अर्जित कर ली। यह भाजपा की जबर्दस्त भूल है। कहा तो यह भी जा रहा कि नीतीश कुमार अभी तक महागठबंधन में आने की तिकड़मों में लगे रहे। उनके राजनीतिक सलाहकार प्रशांत किशोर हाल तक कई मर्तबा लालू यादव से मुलाकात कर चुके हैं। इस बात पर भी जानकारों को अचरज है कि भाजपा ने अपना नुकसान सहकर जदयू को कैसे इतना महत्व दिया, जबकि प्रधानमंत्री बनने की महात्वाकांक्षा अब भी नीतीश के मन में बसी है और चुनाव बाद जरा सा भी मौका पाकर कांग्रेस का दामन पकड़ सकते हैं। इस बीच रालोसपा के दूसरे गुट के नेता और जहानाबाद से सांसद अरूण कुमार ने लालू यादव की सराहना शुरू कर दी है। उन्होंने स्पष्ट कर दिया था कि नीतीश कुमार जहां रहे, वहां वह नहीं जाएंगे।