उन्होंने कहा कि मेरे सबसे पहले बेटी हुई थी, लेकिन उसकी भी तीन महीने बाद मृत्यू हो गई थी। इसके बाद बेटे का जन्म हुआ और उसके साथ जन्म से गंभीर बीमारी जुड़ गई। जन्म के समय जब बेटे को देखा तो मैंं निराश हो गई। भगवान से दोष देने लगी कि ऐसा मेरे साथ क्यों हुआ? मन में निराशा का भाव ऐसा जागा कि अपने साथ परिवार और समाज से भी नाराज हो गईं। बेटे के लिए मैंने किसी की नहीं सुनी, सिर्फ उसके ईलाज पर ध्यान देने लगी। एेसे में पति ने बेटा या खुद को चुनने की शर्त रख दी। एेसे में मैंने बेटे की खातिर सब को छोड़ दिया।
अर्पिता ने बताया कि बेटे के लिए दिल्ली में स्पेशल एजुकेशन की पढ़ाई की और फिर वहां “आदि” एनजीओ में जॉब करने लगी। स्पेशल बच्चों को शिक्षित-प्रशिक्षित करने के साथ डॉक्टर की सलाह पर बेटे निर्भय की डाइटिंग पर ध्यान दिया। इसके बाद जयपुर में दिशा संस्थान से जुड़ गई और बेटे के साथ यहां शिफ्ट हो गई। इसके बाद स्पेशल बच्चों के लिए खुद का स्कूल शुरू हुआ और अभी ४० बच्चे यहां शिक्षा ले रहे हैं। शो में मेरे साथ मां कमलेश यादव भी शामिल हुईं।