नौकरी के साथ मैंने अपनी पढ़ाई जारी रखी, राजस्थान कॉलेज में पहली बार पेंटिंग्स बनाना सीखा। यहां वरिष्ठ आर्टिस्ट चिन्मय मेहता की एक आर्ट वर्कशॉप जॉइन की। यहां से आर्ट की तरफ जुड़ाव हो गया। परिवार को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के लिए सरकारी नौकरी छोड़कर एक प्राइवेट कंपनी में सेल्स की नौकरी कर ली, यहां सैलेरी भी अच्छी थी और प्रमोशन की भी अच्छी संभावना थी। यह काम पेंटिंग और पेंट्स से जुड़ा था, ऐसे में मेरी रूचि से जुड़ गया। कुछ साल काम करने के बाद मैंने खुद की फर्नीचर कंपनी शुरू की और इसमें अपनी क्रिएटिविटी से दुनियाभर में पहचान मिली।
जयपुर में होने वाले गजल प्रोग्राम्स को बहुत सुना करता था, ऐसे में मैंने गजलें भी लिखना शुरू किया और वे लोगों को बहुत पसंद आने लगी। फिर मैंने इन्हें मीटर में लिखने लगा और 2012 में गजल और नज्म पर मेरी पहली किताब ‘दिल दर्द और दुआÓ प्रकाशित हुई। इस दौरान मैं शोकिया गजल गाने भी लगा। पेंटिंग बनाने का सिलसिला तो आज तक चल रहा है। फर्नीचर डिजाइन से पहले मैं उसका स्केच ड्रॉइंग करता हूं। पिछले साल मैंने गजल सीखना शुरू किया और पहला सोलो कॉन्सर्ट किया। यहां जबरदस्त रेस्पॉन्स मिला। यह कॉन्सर्ट इस साल भी होगा।
नरेन्द्र जैन के पास सैकंड वल्र्ड वॉर और फस्र्ट वल्र्ड वॉर में शामिल हुए सैनिकों के कोट के बटन्स का भी कलेक्शन है। अलग-अलग तरह के इनके पास लगभग 300 बटन्स हैं और ये बटन इन्होंने दुनियाभर से इकट्ठा किए हैं। नरेन्द्र ने राज्यपाल और मुख्यमंत्री की पर्सनल चेयर डिजाइन के साथ विधानसभा में मंत्री कक्ष और कॉन्फ्रेंस रूम का इंटीरियर डिजाइन किया है। ये ‘टीपू सुल्तानÓ टीवी शो में भी काम कर चुके हैं और तलत अजीज जैसे सिंगर्स के शो को होस्ट कर चुके हैं।