script15 साल की उम्र में ग्रीटिंग कार्ड बनाकर बेचते थे, आज अपनी क्रिएटिविटी से बनाई पहचान | At the age of 15, he used to make and sell greeting cards | Patrika News

15 साल की उम्र में ग्रीटिंग कार्ड बनाकर बेचते थे, आज अपनी क्रिएटिविटी से बनाई पहचान

locationजयपुरPublished: Aug 12, 2019 02:11:42 pm

Submitted by:

Anurag Trivedi

– मंडे मोटिवेशन – इंटीरियर डिजाइनर, पेंटिंग-स्कल्प्चर आर्टिस्ट, आर्ट कलेक्टर, लेखक और गजल गायक के रूप में पहचान रखते हैं नरेन्द्र जैन, स्ट्रगल के दौरान ग्रीटिंग कार्ड बनाने के साथ, ट्यूशन और होटल में वेटर की भी नौकरी कर परिवार की जिम्मेदारी उठाई

narendra jain

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जयपुर. कहते हैं मुश्किलें कितनी भी कठिन हो, लेकिन मंजिल पर नजर पक्की हो तो, मुश्किलें भी आपके रास्ते को मजबूत बना देती है… कुछ ऐसी ही सोच के साथ मुश्किलों को पीछे छोड़ अपनी पहचान बनाई है नरेन्द्र जैन ने। मंडे मोटिवेशन सीरीज में इस बार नरेन्द्र जैन रूबरू हुए हैं, नरेन्द्र पेशे से इंटीरियर और फर्नीचर डिजाइनर हैं, लेकिन इनकी पहचान पेंटिंग-स्कल्प्चर आर्टिस्ट , आर्ट कलेक्टर, लेखक और गजल गायक के रूप में भी बनी हुई है।
नरेन्द्र ने बताया कि मेरा जन्म जयपुर के एक धनाड्य परिवार में हुआ, लेकिन परिस्थियां ऐसी बनी कि पिता की मृत्यु के बाद हमारा सारा बिजनेस खत्म हो गया और परिवार की जिम्मेदारी मुझ पर आ गई। उस वक्त मेरी उम्र १३ साल की थी। उस उम्र में मैंने पहला काम ग्रीटिंग कार्ड बनाने और उसे बेचने का किया। जयपुर में पढऩे के साथ ट्यूशन पढ़ाना भी शुरू किया और परिवार की जिम्मेदारी उठाई। परिवार में मां और छोटा भाई था। इसके बाद जेएलएन मार्ग स्थित एक बड़े होटल में वेटर की नौकरी की। 12वीं के बाद एजी ऑफिस में क्लर्क की नौकरी लग गई, लेकिन उस दौर की तनख्वाह भी हमारे लिए उपयुक्त नहीं थी।
कॉलेज में हुआ आर्ट से जुड़ाव
नौकरी के साथ मैंने अपनी पढ़ाई जारी रखी, राजस्थान कॉलेज में पहली बार पेंटिंग्स बनाना सीखा। यहां वरिष्ठ आर्टिस्ट चिन्मय मेहता की एक आर्ट वर्कशॉप जॉइन की। यहां से आर्ट की तरफ जुड़ाव हो गया। परिवार को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के लिए सरकारी नौकरी छोड़कर एक प्राइवेट कंपनी में सेल्स की नौकरी कर ली, यहां सैलेरी भी अच्छी थी और प्रमोशन की भी अच्छी संभावना थी। यह काम पेंटिंग और पेंट्स से जुड़ा था, ऐसे में मेरी रूचि से जुड़ गया। कुछ साल काम करने के बाद मैंने खुद की फर्नीचर कंपनी शुरू की और इसमें अपनी क्रिएटिविटी से दुनियाभर में पहचान मिली।
गजलों ने दी नई जिन्दगी
जयपुर में होने वाले गजल प्रोग्राम्स को बहुत सुना करता था, ऐसे में मैंने गजलें भी लिखना शुरू किया और वे लोगों को बहुत पसंद आने लगी। फिर मैंने इन्हें मीटर में लिखने लगा और 2012 में गजल और नज्म पर मेरी पहली किताब ‘दिल दर्द और दुआÓ प्रकाशित हुई। इस दौरान मैं शोकिया गजल गाने भी लगा। पेंटिंग बनाने का सिलसिला तो आज तक चल रहा है। फर्नीचर डिजाइन से पहले मैं उसका स्केच ड्रॉइंग करता हूं। पिछले साल मैंने गजल सीखना शुरू किया और पहला सोलो कॉन्सर्ट किया। यहां जबरदस्त रेस्पॉन्स मिला। यह कॉन्सर्ट इस साल भी होगा।
सैनिकों के कोट के बटन का कलेक्शन
नरेन्द्र जैन के पास सैकंड वल्र्ड वॉर और फस्र्ट वल्र्ड वॉर में शामिल हुए सैनिकों के कोट के बटन्स का भी कलेक्शन है। अलग-अलग तरह के इनके पास लगभग 300 बटन्स हैं और ये बटन इन्होंने दुनियाभर से इकट्ठा किए हैं। नरेन्द्र ने राज्यपाल और मुख्यमंत्री की पर्सनल चेयर डिजाइन के साथ विधानसभा में मंत्री कक्ष और कॉन्फ्रेंस रूम का इंटीरियर डिजाइन किया है। ये ‘टीपू सुल्तानÓ टीवी शो में भी काम कर चुके हैं और तलत अजीज जैसे सिंगर्स के शो को होस्ट कर चुके हैं।
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