राजन मिश्रा बनारस घराने से ताल्लुक रखते थ, लेकिन उन्हें देश के अन्य संगीत घरानों की भी अच्छी जानकारी थी, जिसे वे अक्सर मंच पर प्रदर्शित किया करते थे। उन्होंने 1978 में श्रीलंका में अपना पहला संगीत कार्यक्रम दिया। इसके बाद उन्होंने जर्मनी, फ्रांस, स्विट्जरलैंड, ऑस्ट्रिया, संयुक्त राज्य अमरीका, ब्रिटेन, नीदरलैंड, यूएसएसआर, सिंगापुर, कतर, बांग्लादेश समेत दुनिया भर के कई देशों में अपनी कला का प्रदर्शन किया। दोनों भाइयों ने पूरे विश्व में खूब प्रसिद्धी हासिल की। इस जोड़ी ने जयपुर में भी कई बार परफॉर्म किया है। स्पीक मैके की म्यूजिक इन द पार्क सीरीज के तहत सेंट्रल पार्क और शहर के कई कॉलेज व स्कूलों में उन्होंने प्रस्तुति दी और शास्त्रीय संगीत के प्रोत्साहन के लिए युवाओं को जोड़ा। इन्होंने जयपुर म्यूजिक समिट में भी मॉर्निंग रागा कार्यक्रम में खास प्रस्तुति दी थी।
आपदा के लिए प्रकृति नहीं, हम जिम्मेदार पं. राजन और साजन मिश्रा का मानना था कि जैसे मनुष्य का शरीर पांच तत्वों से मिलकर बना है, वैसे ही संगीत के सात सुर ‘सारेगामापाधानीÓ पशु-पक्षियों की आवाज से बनाए गए हैं। वहीं कुछ वर्षों पहले दोनों भाइयों ने कहा था कि आपदा के लिए प्रकृति नहीं हम जिम्मेदार हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि हर इंसान को अपनी मानसिकता बदलनी ही होगी और प्रकृति का साथ देना होगा।