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बच्चों को ऑनलाइन मिली ‘फड़ पेंटिंग’ की नॉलेज

locationजयपुरPublished: May 25, 2020 04:49:22 pm

Submitted by:

Anurag Trivedi

– जेकेके में ऑनलाइन लर्निंग – चिल्ड्रन्स समर फेस्टिवल में रूबरू हुए मनोज जोशी- हरिशंकर बालोठिया ने कैलिग्राफी आर्ट की दी जानकारी

बच्चों को ऑनलाइन मिली 'फड़ पेंटिंग' की नॉलेज

बच्चों को ऑनलाइन मिली ‘फड़ पेंटिंग’ की नॉलेज

जयपुर. जवाहर कला केन्द्र की ओर से आयोजित ‘ऑनलाइन लर्निंग – चिल्ड्रन्स समर फेस्टिवल’ के पांचवें दिन मंगलवार को प्रतिभागियों ने राजस्थान की धार्मिक लोक कला ‘फड़ पेंटिंग’ बनाने के गुर सीखे। इस सेशन का संचालन चित्तौडग़ढ़ के विजुअल आर्टिस्ट मनोज जोशी ने किया। सेशन के दौरान प्रतिभागियों ने फड़ पेंटिंग के इतिहास के बारे में जाना और इसकी मौखिक परंपराओं, कैनवास को तैयार करने के गुर, फड़ पेंटिंग के तत्वों के साथ ही पेंटिंग में उपयोग में आने वाले रंगों के बारे में जानकारी हासिल की। सेशन में करीब 280 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।
सेशन की शुरूआत में आर्टिस्ट ने फड़ पेंटिंग से जुड़े लगभग 700 साल पुराने इतिहास के बारे में चर्चा की। ये पेंटिंग्स पौराणिक लोक देवता पाबूजी और देवनारायण के गीतों पर आधारित हैं, जिन्हें भोपा गायक गाते हैं। यह कला न केवल अपने जीवंत रंगों के लिए जानी जाती है, बल्कि इसकी गाथा (लोकगीत) को प्रस्तुत करने की मौखिक परंपरा भी मशहूर है। आर्टिस्ट ने बताया कि पहले जानवरों के बालों से बने नेचरल ब्रश का उपयोग किया जाता था, लेकिन अब पर्यावरण जागरूकता के कारण आर्टिस्ट प्लास्टिक ब्रश का उपयोग करने लगे हैं। पेंटिंग के दौरान पारंपरिक फड़ कैनवास पर मोटे और पतले ब्रश का उपयोग किया जाता है। सेशन में बताया गया कि पेंटिंग में कैसे आकृति, हाथ, गहने और परिधान तैयार किए जाते हैं।
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