कौने खेलूं रे कानूड़ा इस अवसर पर आयोजित राजस्थानी काव्य पाठ में कवि कल्याण सिंह शेखावत ने कौने खेलूं रे कानूड़ा बदरंग होली व एक बिदाई गीत चिड़कली रातां कि करने, कवि किशोर जी किशोर ने म्हाकों कान्हों सगला ब्रह्मांड का नज़ारा में छे , हास्य गीत म्हारी कविता पोथी पाना रद्दी आला ने बेच आई, कविता तो म्हारी सौतन छे घर आली कहती गुर्राई व बेटयां पूजी जाई वठे भगवान छे, बेटयाँ बिना लुणों घर छे, मीठा बिना पकवान छे, कवयित्री कामना राजावत ने गड़ तुम्बा ही गड़ तुम्बा दाता थारी बाड़ी में व हांथाई आली चूंतरी कठई गई को सुनाकर तालियां बटोरी। कार्यक्रम का संचालन अभिलाषा पारीक ने किया।