scriptआइडेंटिटी मत मांगिए और कपडे से मत पहचानिए | Do not ask for identity and do not identify with clothes | Patrika News

आइडेंटिटी मत मांगिए और कपडे से मत पहचानिए

locationजयपुरPublished: Jan 26, 2020 03:00:44 pm

Submitted by:

Anurag Trivedi

बोलना ही है: वाट मस्ट बी सेडरवीश कुमार इन कन्वर्शेसन विद निलांजना एस रॉय

आइडेंटिटी मत मांगिए और कपडे से मत पहचानिए

आइडेंटिटी मत मांगिए और कपडे से मत पहचानिए

जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में काले कपड़ों को पहचान बताने वालों और वर्तमान देश की हालात पर रमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित रवीश कुमार ने जमकर आवाज उठाई’। रवीश ने कहा कि अच्छे दिन तो नहीं आएंगे, आप अच्छे दिन बन जाइए। किसी से वतनपरस्ती का सबूत मत माँगिए, न किसी को कपड़े से पहचानिए। मैं नेता जैसा बहरुपिया नहीं हूं, एक नागरिक की तरह सोचता हूं, जो एक सिपाही की तरह चौकस होता है। अपने आस—पास के लोगों से दूरी मत बनाए, उन्हें अपना ही हिस्सा मानिए। आज आप लोग ही देखिए कि आपके ही बच्चे खराब भाषा बोलने लगे है। क्या ऐसा हो सकता है कि राजनीति में आप अलोकतांत्रिक भाषा का इस्तेमाल करें और घर आते ही संस्कारी हो जाएं ? ऐसा नहीं हो सकता है। बोलना शुरू कीजिए, नहीं बोल
सकते तो जो बोल रहा है? उसके साथ खड़े हो जाइये। आपको इस राजनीति ने खराब बनाया है। मैं यही कह रहा हूं कि आप उसी राजनीति में रहिए लेकिन अच्छे बन जाइए। आपमें संभावनाएं हैं। आज कपड़े से पहचानने की भाषा पर काम किया जा रहा है। यह सिर्फ मुसलमान के लिए नहीं है. आप कहीं जाएँ और आपको कपड़े से आँका जाने लगे तो अपमानित महसूस करेंगे कि नहीं है। कपड़ों का वर्गीकरण सिर्फ़ हिन्दू और मुसलमान के बीच ही नहीं हो सकता। वह अमीर और गरीब के बीच भी हो सकता है, हमारे और आपके बीच हो सकता है। खून का रिश्ता नहीं बदल सकता, हिन्दू और मुसलमान का इस भारत से खून का रिश्ता है, कपड़ों का नहीं है। याद कीजिए, आप कहीं गए हों और आपके कपड़े से आपके बारे में अंदाज़ा लगाया गया हो तो क्या आप उस वाकये को भूल पाएंगे? याद करते ही कितनी पीड़ा होती है।
रवीश ने कहा कि देश के वर्तमान हालातों पर चिंता कीजिए, उन्होनें दिल्ली की शाहीनबाग पर चल रहे धरने—प्रदर्शन का समर्थन करते हुए कहा कि ये वो महिलाएं है, जो देश को कुछ कहना चाहती है। सरकार से पूछे जाने वाले सवाल शाहीनबाग से पूछे जा रहे है और उन्हें जवाब भी मिल रहा है। दिल्ली में पहले भी अदालते तक बंद हो गई, लेकिन सिर्फ आज शाहीनबाग के जाम की ही चिन्ता है। इस दौरान रवीश ने मीडिया की कार्यशैली को कटघरे में खड़ा किया
गांधी को बार—बार मारा जा रहा है
उन्होंने कहा कि आज कपडो से लोगों की पहचान साबित की जा रही है, महात्मा गांधी को सूट पहने अंग्रेजों ने पहचाना था, उस महान व्यक्ति ने अपने कपडे ही उतार दिए और बिना कपडों के ही आगे बढा और लोग उनके पीछे चलते रहे। आज उसी गांधी को बार—बार मारा जा रहा है। सरकार ने पिछले पांच साल में गांधी का नाम लेकर खूब झूठ बोला है, आज गंणतंत्र दिवस है और आज से पांच दिन बाद फिर गांधी को एक बार और मारा जाएगा। उन्होंने कहा कि टुकडे टुकडे गेंग और अवॉर्ड वापसी गेंग का नाम उस गेंग ने दिया है, जो कपडों से पहचान करती है। प्रधानमंत्री मुझे इंटरव्यू नहीं देते, अक्षय कुमार और प्रसून जोशी को ही दे पाएंगे। यदि मुझे इंटरव्यू के लिए बुलांएगे तो मैं अब सवाल नहीं पूछूंगा, उन्हें गले लगाकर आउंगा। उन्हें प्यार चाहिए, ताकि नफरत ना फैला सके।

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