तुषार ने रविवार को आश्रम मार्ग िस्थत एक होटल में मथुरादास माथुर चैरेटेबल ट्रस्ट की ओर से आयोजित कार्यक्रम में अपनी बुक बैचलर डेड को लॉन्च किया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. सुधीर भंडारी मौजूद रहे। इस दौरान आयोजक विशाल माथुर और ऋषि मिग्लानी ने सभी का स्वागत किया और आभार प्रकट किया।
लॉकडाउन के दौरान लिखी पुस्तक
उन्होंने बताया कि यह किताब मेरे लिए बहुत खास है। इसे मैंने खुद लिखा है किसी प्रोफेशनल से नहीं लिखवाया है। मैंने फर्स्ट पर्सन में अपने अंदाज में लिखा है। इस किताब को लिखने में मुझे 11 महीने लगे। पहले मैं इस किताब को लाॅकडाउन से पहले लिखने वाला था, लेकिन फिर लाॅकडाउन हो गया तो इसमें मुझे दो चैप्टर अतिरिक्त मिल गए। इन दो चैप्टर में मैंने अपना लाॅकडाउन का अनुभव भी बताया है। हमारी जिंदगी कैसी रही, हमने क्या किया। इसमें कुल दस चैप्टर है। मैंने ज्यादातर रात में बैठकर इस किताब को लिखा है।
फाइनेंशियल एनालिस्ट के बाद एक्टिंग
तुषार ने बताया कि मैंने शुरुआत में अमरीका में फाइनेंशियल एनालिस्ट के तौर पर काम किया। पर वह काम रास नहीं आ रहा था। मुझे लगा कि अगर मैं इंडिया में आकर फिल्म इंडस्ट्री में काम करुंगा, तो शायद एक्टिंग, डायरेक्शन या बतौर प्रोड्यूसर अपना कॅरियर बना सकूंगा। उस समय मेरी पढ़ाई पूरी हो चुकी थी। सोचा कि पहले फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखते हैं, बिजनेस तो बाद में कर सकते हैं। यहां आने के बाद बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर काम काम करना शुरू किया। फिर मुझे मेरी पहली फिल्म मिली। तब एक्टिंग में कॅरियर बनाने का सोचा। यह डेस्टिनी थी, जो मुझ जैसे सीरियर और शाय एक्टर को कॉमिक के जरिए पहचान मिली।
बेटे ने नहीं देखी अभी फिल्में
उन्होंने कहा कि मेरा बेटा लक्ष्य मेरी तरह मैथ में अव्वल है, डांस, आर्ट एंड क्राफ्ट, ड्रामा का बहुत शौक है। उसे फुटबाल का बहुत शौक है। कोरियन बैंड बीटीएस का दीवाना है। उनके पोस्टर कमरे में दीवार पर लगा दिए हैं। उसने अभी मेरी फिल्में नहीं देखी है, ऐसे में उनके बारे में कभी चर्चा नहीं हुई। हालांकि मेरी पहली फिल्म का गाना जरूर देखा है, उसके बारे में जरूर चर्चा की है।
लॉकडाउन के दौरान लिखी पुस्तक
उन्होंने बताया कि यह किताब मेरे लिए बहुत खास है। इसे मैंने खुद लिखा है किसी प्रोफेशनल से नहीं लिखवाया है। मैंने फर्स्ट पर्सन में अपने अंदाज में लिखा है। इस किताब को लिखने में मुझे 11 महीने लगे। पहले मैं इस किताब को लाॅकडाउन से पहले लिखने वाला था, लेकिन फिर लाॅकडाउन हो गया तो इसमें मुझे दो चैप्टर अतिरिक्त मिल गए। इन दो चैप्टर में मैंने अपना लाॅकडाउन का अनुभव भी बताया है। हमारी जिंदगी कैसी रही, हमने क्या किया। इसमें कुल दस चैप्टर है। मैंने ज्यादातर रात में बैठकर इस किताब को लिखा है।
फाइनेंशियल एनालिस्ट के बाद एक्टिंग
तुषार ने बताया कि मैंने शुरुआत में अमरीका में फाइनेंशियल एनालिस्ट के तौर पर काम किया। पर वह काम रास नहीं आ रहा था। मुझे लगा कि अगर मैं इंडिया में आकर फिल्म इंडस्ट्री में काम करुंगा, तो शायद एक्टिंग, डायरेक्शन या बतौर प्रोड्यूसर अपना कॅरियर बना सकूंगा। उस समय मेरी पढ़ाई पूरी हो चुकी थी। सोचा कि पहले फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखते हैं, बिजनेस तो बाद में कर सकते हैं। यहां आने के बाद बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर काम काम करना शुरू किया। फिर मुझे मेरी पहली फिल्म मिली। तब एक्टिंग में कॅरियर बनाने का सोचा। यह डेस्टिनी थी, जो मुझ जैसे सीरियर और शाय एक्टर को कॉमिक के जरिए पहचान मिली।
बेटे ने नहीं देखी अभी फिल्में
उन्होंने कहा कि मेरा बेटा लक्ष्य मेरी तरह मैथ में अव्वल है, डांस, आर्ट एंड क्राफ्ट, ड्रामा का बहुत शौक है। उसे फुटबाल का बहुत शौक है। कोरियन बैंड बीटीएस का दीवाना है। उनके पोस्टर कमरे में दीवार पर लगा दिए हैं। उसने अभी मेरी फिल्में नहीं देखी है, ऐसे में उनके बारे में कभी चर्चा नहीं हुई। हालांकि मेरी पहली फिल्म का गाना जरूर देखा है, उसके बारे में जरूर चर्चा की है।