बढ़ रहे हैं डिवोर्स केस डॉ. मृणालिनी ने कहा कि डिवोर्स केस लगातार बढ़ रहे हैं। मेरे पास डिवोर्स और सम्पति को लेकर हर सप्ताह दो केस आ जाते हैं। हिन्दू लॉ के मुताबिक महिला और पुरुष को मेंटीनेंस देने के लिए बराबरी का अधिकार है। यदि पति के मुकाबले पत्नी फाइनेंशियली स्ट्रॉन्ग है तो महिला को उसे मेंटीनेंस देना पड़ेगा। डिवोर्स केस में चाइल्ड कस्टडी कई आस्पेक्ट्स पर तय होती है। जैसे यदि बच्चे की उम्र ५ या ६ साल से कम है तो ९० प्रतिशत तक मदर को कस्टडी मिलती है, लेकिन एेसा नहीं है कि सात साल होने पर बच्चे की कस्टडी फादर को मिल जाएगी। इसमें फादर और मदर की फिजिकल, फाइनेंशियल और इमोशनल कंडिशन को देखा जाता है। यदि मदर बच्चे को लेकर पूरी तरह डिवोटेड और फाइनेंशियल स्ट्रॉन्ग नहीं है तो पिता को मेंटिनेंस देना होगा। ससुराल का घर यदि पति के नाम पर नहीं है तो महिला का उसमें कोई हक नहीं होता।
…. यहां नहीं चलता ब्लैंकिट फॉर्मूला
डॉ. मृणालिनी ने कहा कि डिवोर्स केसेज में ब्लैंकिट फॉर्मूला ना अपनाएं। इसमें माना जाता है कि पढ़ी-लिखी कामकाजी महिला या पुरुष ने सिर्फ मेंटिनेंस पाने के लिए नौकरी छोड़ दी है।
सेशन में ये मुख्य बातें – यदि डिवोर्स के बाद महिला फाइनेंशियली स्ट्रॉन्ग है और बच्चे को संभाल रही है तो इसका यह मतलब ना समझा जाए कि बच्चे की जिम्मेदारी सिर्फ महिला की है।
– ओवरसीज में रहने वाले इंडियंस के लिए भी डिवोर्स कानून काफी सख्त है। वीमन को इनकी जानकारी होनी चाहिए।
– शादी के बाद कपल्स की फिजिकल और मेंटल इलनेस भी डिवोर्स का कारण बनती है। एेसे में शादी के समय बिना झिझक के गर्ल और बॉय बॉडी चेकअप करवाएं
– कपल्स में से किसी मेम्बर के एलजीबीटी होने के कारण भी डिवोर्स के मामले बढ़े हैं।
– एमएनसी में वर्किंग वुमन के साथ यदि किसी भी तरह का सैक्सुअल हरेसमेंट होता है तो उसे ऑफिस की इंटरनल कमेटी को बताना चाहिए
– सरोगेसी चाइल्ड को भी नॉर्मल चाइल्ड की तरह पैरेंट्स के पूरे हक मिलते हैं
– मैरिटल रैप के लिए अलग से कानून नहीं लेकिन यह भी डोमेस्टिक वॉयलेंस में शामिल – एवरेज एलमोनी पति की इनकम का २० से ३३ प्रतिशत तक होती है