scriptवेडिंग में गिफ्ट मिली ज्वैलरी ‘स्त्रीधन लेकिन इसकी लिस्टिंग जरूरी है | Dr. Mrinalini Deshmukh's interactions with Flow Members | Patrika News

वेडिंग में गिफ्ट मिली ज्वैलरी ‘स्त्रीधन लेकिन इसकी लिस्टिंग जरूरी है

locationजयपुरPublished: Jul 28, 2019 03:53:18 pm

Submitted by:

Jaya Sharma

देश की नामी लॉयर डॉ. मृणालिनी देशमुख का फ्लो मेम्बर्स के साथ इंट्रेक्शन
बेटी की शादी के बजट का आधा धन उसके नाम करवाएं, ताकि वह फाइनेंशियली सिक्योर रहे, हसबैंड-वाइफ की फाइनेंशियल, इमोशनल कंडीशन से तय होती चाइल्ड कस्टडी व मेंटिनेंस

ficci flo

वेडिंग में गिफ्ट मिली ज्वैलरी ‘स्त्रीधन लेकिन इसकी लिस्टिंग जरूरी है

जयपुर. ‘दुल्हन को शादी में मिला उपहार या फिर ज्वैलरी ‘स्त्रीधनÓ के दायरे में आते हैं लेकिन इसकी लिस्टिंग जरूरी हैं, क्योंकि डिवोर्स से जुड़े लीगल डिस्प्यूट्स पर लिस्ट की हुई सारी ज्वैलरी महिला की होगी फिर चाहे वह ससुराल पक्ष से मिली ज्वैलरी हो या फिर मायके से। ज्वैलरी पर हक पुख्ता करने के लिए स्टैम्प पेपर पर भी लिस्टिंग करवाई जा सकती है ताकि बाद में ज्वैलरी पर कोई अन्य दावा न कर सके।Ó यह बात देश की नामी लॉयर डॉ.मृणालिनी देशमुख ने कही। उन्होंने शनिवार को टोंक रोड स्थित एक होटल में फिक्की लेडीज ऑर्गेनाइजेशन (फ्लो) के इट्रेक्टिव सेशन ‘एडवोकेट, कम्यूनिकेट, एजुकेट इन लीगल मैटर्सÓ को एड्रेस किया। फैमिली लॉ की एक्सपर्ट डॉ. मृणालिनी ने सेशन में महिला कानूनों को लेकर भी खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि ‘बेटी के शादी में करोड़ों रुपए खर्च करने की बजाय शादी के बजट की आधी रकम बेटी के नाम करवा दें, जिस पर सिर्फ उसका हक होगा और भविष्य में उसे सिक्योर करेगा। यह भी ‘स्त्रीधनÓ के दायरे में आएगा।Ó सेशन को फ्लो की चेयरपर्सन श्वेता चोपड़ा ने मॉडरेट किया।
बढ़ रहे हैं डिवोर्स केस

डॉ. मृणालिनी ने कहा कि डिवोर्स केस लगातार बढ़ रहे हैं। मेरे पास डिवोर्स और सम्पति को लेकर हर सप्ताह दो केस आ जाते हैं। हिन्दू लॉ के मुताबिक महिला और पुरुष को मेंटीनेंस देने के लिए बराबरी का अधिकार है। यदि पति के मुकाबले पत्नी फाइनेंशियली स्ट्रॉन्ग है तो महिला को उसे मेंटीनेंस देना पड़ेगा। डिवोर्स केस में चाइल्ड कस्टडी कई आस्पेक्ट्स पर तय होती है। जैसे यदि बच्चे की उम्र ५ या ६ साल से कम है तो ९० प्रतिशत तक मदर को कस्टडी मिलती है, लेकिन एेसा नहीं है कि सात साल होने पर बच्चे की कस्टडी फादर को मिल जाएगी। इसमें फादर और मदर की फिजिकल, फाइनेंशियल और इमोशनल कंडिशन को देखा जाता है। यदि मदर बच्चे को लेकर पूरी तरह डिवोटेड और फाइनेंशियल स्ट्रॉन्ग नहीं है तो पिता को मेंटिनेंस देना होगा। ससुराल का घर यदि पति के नाम पर नहीं है तो महिला का उसमें कोई हक नहीं होता।
….

यहां नहीं चलता ब्लैंकिट फॉर्मूला
डॉ. मृणालिनी ने कहा कि डिवोर्स केसेज में ब्लैंकिट फॉर्मूला ना अपनाएं। इसमें माना जाता है कि पढ़ी-लिखी कामकाजी महिला या पुरुष ने सिर्फ मेंटिनेंस पाने के लिए नौकरी छोड़ दी है।
सेशन में ये मुख्य बातें

– यदि डिवोर्स के बाद महिला फाइनेंशियली स्ट्रॉन्ग है और बच्चे को संभाल रही है तो इसका यह मतलब ना समझा जाए कि बच्चे की जिम्मेदारी सिर्फ महिला की है।
– ओवरसीज में रहने वाले इंडियंस के लिए भी डिवोर्स कानून काफी सख्त है। वीमन को इनकी जानकारी होनी चाहिए।
– शादी के बाद कपल्स की फिजिकल और मेंटल इलनेस भी डिवोर्स का कारण बनती है। एेसे में शादी के समय बिना झिझक के गर्ल और बॉय बॉडी चेकअप करवाएं
– कपल्स में से किसी मेम्बर के एलजीबीटी होने के कारण भी डिवोर्स के मामले बढ़े हैं।
– एमएनसी में वर्किंग वुमन के साथ यदि किसी भी तरह का सैक्सुअल हरेसमेंट होता है तो उसे ऑफिस की इंटरनल कमेटी को बताना चाहिए
– सरोगेसी चाइल्ड को भी नॉर्मल चाइल्ड की तरह पैरेंट्स के पूरे हक मिलते हैं
– मैरिटल रैप के लिए अलग से कानून नहीं लेकिन यह भी डोमेस्टिक वॉयलेंस में शामिल

– एवरेज एलमोनी पति की इनकम का २० से ३३ प्रतिशत तक होती है
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो