सॉफ्ट एडवेंचर प्रोग्राम
माउंटेयरिंग एंड एडवेंचर इंस्टीट्यूट ऑफ राजस्थान फाउंडर डायरेक्टर के.एन.सिंह बताते हैं कि समर्स में बच्चों का खास रूझान देखने को मिलता है। इस समय सॉफ्ट एडवेंचर प्रोग्राम चल रहा है, जिसमें बच्चों को रॉक क्लाम्बिंग, रैपलिंग और कैम्प क्राफ्टिंग के बारे में बताया जाता है। बच्चों में रॉक क्लाम्बिंग का रूझान इस हद तक है, कि वह सुबह साढ़े पांच बजे से आना शुरू कर देते हैं।पर्वतारोही दीपक शर्मा कहते हैं कि बच्चों में माउंटेयरिंग का स्कोप इसीलिए भी बढ़ गया है क्योंकि इसे गेम के रूप में पसंद किया जाने लगा है। बच्चों को आर्टिफिशियल और नेचुरल रॉक्स पर क्लाइम्बिंग करवाई जा रही हैं। चोगान स्टेडियम में आर्टिफिशियल रॉक्स पर क्लाम्बिंग की जाती है, वहीं झालाना और चूलगीरी की पहाडिय़ों पर नैचुलर क्लाइम्बिंग होती है। इस दौरान बच्चे न सिर्फ एडवेंचर का मजा लेते हैं, बल्कि पहाड़ को प्लास्टिक फ्री बनाने में हेल्प करते हैं।
शहर में स्केटिंग में भी काफी इनोवेशंस देखे जा रहे हैं। ट्रैनर अनिल कुमार कहते हैं कि पिछले तीन सालों में स्केटिंग को लेकर बच्चों का उत्साह बढ़ा है। इसकी वजह एशियन और ओलम्पिक्स गेम्स हैं, जहां स्केटिंग में विभिन्न कैटेगिरीज को जगह मिल रही है। यही वजह है कि जयपुर में डांस, रोलर बास्केटबॉल और स्केट बोर्डिंग करवाई जा रही हैं। समर वेकेशंस में स्केटिंग में नए ट्रेंड्स बच्चों का रोमांच बढ़ा रहे हैं।
शूटिंग में आगे जयपुर के बच्चे
समर वेकेशंस में कुछ नया सीखने की चाह में बच्चे ‘शूटिंग’ कोर्स में भी दिलचस्पी बढ़ा रहे हैं। शूटिंग के प्रति बच्चों का रूझान पिछले सालों की तुलना में दुगना तेजी से बढ़ा है। शूटिंग ट्रेनर महावीर सिंह शेखावत बताते हैं कि १० साल से ज्यादा उम्र के बच्चों को शूटिंग सीखने के लिए मान्य माना जाता है। बॉयज ही नहीं, बल्कि गल्र्स में शूटिंग का क्रे ज बढ़ा है। १० से २० साल तक के यंगस्टर्स शूटिंग सीख रहे हैं।