प्रसून: इंडिया म्यूजिक समिट की शुरुआत पर मैंने एक लाइन लिखी थी ‘एक सच्चा सुर’। यह ‘सच्चा सुर’ सिर्फ शब्दों की बात नहीं है, वो हमारी एक भावना है। यदि आप ‘एक सच्चे सुर’ की अहमियत संगीतप्रेमियों, संगीतसाधकों से पूछेंगे तो पाएंगे कि उनके लिए इसकी अहमियत बहुत बड़ी है। उसी ‘एक सच्चे सुर’ की तलाश और सफर में एक संगीतप्रेमी, संगीतसाधक निकल पड़ता है। गुणीजनों से हमने तो सिर्फ सुना है कि जिस दिन वो सच्चा सुर उसे मिल जाता है तो वो संगीतसाधक इस स्थिति में ही नहीं रह जाता है कि वो किसी को बता भी सके कि उसे ‘सच्चा सुर’ मिल गया है। यानी जिससे भी आप मिलोगो वो खोजी ही होगा क्योंकि जो पा चुका है वो तो बताने कि स्थिति में ही नहीं है। यह समिट भी संगीतप्रेमियों का इस तरह का अनुभव देने के लिए डिजाइन की गई है।
प्रसून: समिट के पिछले दो साल के शानदार के अनुभवों के बाद लोगों की उम्मीदें बढ़ गई है। म्यूजिक समिट के मोटो ‘एक सच्चा सुर’ में किसी प्रकार का बदलाव नहीं किया जाएगा। संगीतप्रेमियों के मध्य यह आयोजन इतना प्रसिद्ध हो गया है कि वर्तमान में ‘इंडिया म्यूजिक समिट’ को परिचय की आवश्यकता नहीं है।
प्रसून: संगीतप्रेमियों को सुबह के प्रात:कालीन राग और देर रात को गाए जाने वाले राग एक ही जगह पर सुनने को मिलेंगे। मुझे वाकई में इस म्यूजिक इवेंट का इंतजार रहता है। इसमें आशा जी के अलावा संतूरवाइक शिवकुमार शर्मा हैं। इनके अलावा वेंकटेश कुमार, सुजात खान, उदय भवालकर, विक्कू विनायकरम, सुनिधि चौहान, राजन-साजन मिश्रा, राशिद खान, अरुणा साईराम, राहुल शर्मा, असलम साबरी, तौफीक कुरैशी, राधिका चौपड़ा, सुनंदा शर्मा, प्रभदीप, शशांक सुब्रमण्यम, अजय प्रसन्ना, पूरबयान चटर्जी जैसे कलाकारों की तरफ से सहमति मिल चुकी है। देशभर से १२० से ज्यादा दिग्गज संगीत विशेषज्ञ हिस्सा ले रहे हैं। शिलांग चैम्बर कोयर रविवार को होने वाली ग्रैंड फिनाले परफॉर्मेंस भी खास होने वाली है।
प्रसून: मुझे लगता है कि संगीत मेरे लिए सिर्फ कोई नया गाना, नया गीत या नया राग सुनना नहीं है, यह मेरे जीवन का एक हिस्सा है। पिछले कुछ सालों में मैंने कोशिश की है कि मैं सुबह जल्दी उठुं। इसका एक कारण यह है कि मुझे लगता था कि सुबह की जो खूबसूरती होती है, प्रात:कालीन सभा में चिडिय़ों की जो गुफ्तुगू होती है, वो एक महफिल होती है, शायद मैं उससे वंचित हो गया हूं। वहीं, एक कारण यह भी था कि मैं सुबह के जो राग हैं, वो नहीं सुन पा रहा हूं। इसी लिए शायद इन प्रात:कालीन रागों को मैंने रिडिस्कवर किया है।