क्रिएटिव आर्ट का खजाना है म्यूजियम
पेपरमैन के नाम से पहचाने जाने वाले सीनियर आर्टिस्ट विनय शर्मा ने अपने घर में ही अमूल्य म्यूजियम ‘अतीत रागÓ बना रखा हैं, जिसमें सदियों पुराने प्रोडक्ट्स भी देखने को मिल जाएंगे। वे बताते हैं कि म्यूजियम में बचपन से अभी तक हमारे जीवन में काम आने वाले प्रोडक्ट्स को सहेज रखा है। घडिय़ां, ग्रामोफोन, चरखा, लैम्प, रेडियो, पियानो, धार्मिक ग्रंथ, पिंजरे, टेलीफोन,कैमरे, म्यूजिक इंस्ट्रमेंट्स और पैन सहित करीब पांच हजार एंटीक पीस यहां देखने को मिल जाएंगे। इनमें जर्मनी की सेना में काम आने वाला पोर्टेबल फोन हो या फिर ऑस्ट्रिया के बरसों पुराने लैम्प। वे कहते हैं ‘मैं अपने विदेशी यात्राओं के दौरान कुछ ना कुछ एंटीक चीज जरूर लेकर आता हूं। मुझे लगता है कि जब तक हम खुद को अतीत से नहीं जोड़ेगे, तब तक भविष्य की संभावनाओं पर काम नहीं कर सकेंगे। मेरे म्यूजियम का भी यहीं उद्देश्य है कि नई पीढ़ी अपने अतीत की खूबसूरत और क्रिएटिव चीजों को देख सके।
….
गांव-देहात के सुरों की रंगत है यहां
जयपुर में एक ऐसा म्यूजियम हैं, जहां वाद्ययंत्रों का अनोखा खजाना है। यह है ‘वाद्यमÓ म्यूजिक इंस्ट्रूमेंट म्यूजियम , जहां बरसों पुराने फोक एंड क्लासिकल म्यूजिक इंस्ट्रूमेंट्स की खूबसूरती देखी जा सकती है। इसे ललित कला अकादमी के पूर्व चेयरमैन अश्विन एम दलवी ने तैयार किया है। वे बताते हैं कि म्यूजियम में रखे एक-एक वाद्ययंत्र का संग्रहण मैंने खुद ने किया है। गांव-गांव जाकर फोक म्यूजिक सुना है, वहां से क्लासिकल म्यूजिक इंस्ट्रमेंट्स की जानकारी मिली। म्यूजियम में रावणहत्था, सिंधी सारंगी, जोगिया सांरगी, चिकारा, इकतारा, नागपानी और सुरइंदा सहित ५०० म्यूजिक इंस्ट्रूमेंट्स हैं। सोडाला में स्थिति इस म्यूजियम को १९९८ में डवलप किया था। म्यूजियम में म्यूजिक में रूचि रखने वाले लोग और रिसर्चर्स अध्ययन के आते हैं।
पेपरमैन के नाम से पहचाने जाने वाले सीनियर आर्टिस्ट विनय शर्मा ने अपने घर में ही अमूल्य म्यूजियम ‘अतीत रागÓ बना रखा हैं, जिसमें सदियों पुराने प्रोडक्ट्स भी देखने को मिल जाएंगे। वे बताते हैं कि म्यूजियम में बचपन से अभी तक हमारे जीवन में काम आने वाले प्रोडक्ट्स को सहेज रखा है। घडिय़ां, ग्रामोफोन, चरखा, लैम्प, रेडियो, पियानो, धार्मिक ग्रंथ, पिंजरे, टेलीफोन,कैमरे, म्यूजिक इंस्ट्रमेंट्स और पैन सहित करीब पांच हजार एंटीक पीस यहां देखने को मिल जाएंगे। इनमें जर्मनी की सेना में काम आने वाला पोर्टेबल फोन हो या फिर ऑस्ट्रिया के बरसों पुराने लैम्प। वे कहते हैं ‘मैं अपने विदेशी यात्राओं के दौरान कुछ ना कुछ एंटीक चीज जरूर लेकर आता हूं। मुझे लगता है कि जब तक हम खुद को अतीत से नहीं जोड़ेगे, तब तक भविष्य की संभावनाओं पर काम नहीं कर सकेंगे। मेरे म्यूजियम का भी यहीं उद्देश्य है कि नई पीढ़ी अपने अतीत की खूबसूरत और क्रिएटिव चीजों को देख सके।
….
गांव-देहात के सुरों की रंगत है यहां
जयपुर में एक ऐसा म्यूजियम हैं, जहां वाद्ययंत्रों का अनोखा खजाना है। यह है ‘वाद्यमÓ म्यूजिक इंस्ट्रूमेंट म्यूजियम , जहां बरसों पुराने फोक एंड क्लासिकल म्यूजिक इंस्ट्रूमेंट्स की खूबसूरती देखी जा सकती है। इसे ललित कला अकादमी के पूर्व चेयरमैन अश्विन एम दलवी ने तैयार किया है। वे बताते हैं कि म्यूजियम में रखे एक-एक वाद्ययंत्र का संग्रहण मैंने खुद ने किया है। गांव-गांव जाकर फोक म्यूजिक सुना है, वहां से क्लासिकल म्यूजिक इंस्ट्रमेंट्स की जानकारी मिली। म्यूजियम में रावणहत्था, सिंधी सारंगी, जोगिया सांरगी, चिकारा, इकतारा, नागपानी और सुरइंदा सहित ५०० म्यूजिक इंस्ट्रूमेंट्स हैं। सोडाला में स्थिति इस म्यूजियम को १९९८ में डवलप किया था। म्यूजियम में म्यूजिक में रूचि रखने वाले लोग और रिसर्चर्स अध्ययन के आते हैं।