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पत्रिका प्लस

गर्म खिचड़ी और दलिए पर लिटाकर होती है पंचकर्म की क्रिया

– पंचकर्म की 20 से अधिक क्रियाओं को मॉडल्स के जरिए समझ पाएंगे स्टूडेंट्स, दूसरे राज्यों के मेडिकल या रिसर्च स्टूडेंट्स पर भी कर सकेंगे विजिट
– एक ही छत में समाई हैं 5 हजार साल पुरानी आयुर्वेदिक पंचकर्म विद्या

Jul 06, 2019 / 02:31 pm

Jaya Sharma

ayurveda

गर्म खिचड़ी और दलिए पर लिटाकर होती है पंचकर्म की क्रिया

जयपुर. 5 हजार साल पुरानी पंचकर्म क्रियाओं के मॉडल्स और दुर्लभ औषधियों के संग्रहण के साथ हाल ही नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद (एनआइए) में पंचकर्म म्यूजियम शुरू हुआ है। पिछले चार महीने से इस म्यूजियम पर काम हो रहा था। म्यूजियम में करीब 20 मॉडल्स हैं, जिनके जरिए सालों पुरानी पंचकर्म की क्रियाओं को समझा जा सकता है। हालांकि ये म्यूजियम मेडिकल और रिसर्च स्टूडेंट्स के लिए ही खुला है, लेकिन यदि कोई व्यक्ति विजिट करना चाहता है, तो उसे पंचकर्म विभाग से परमिशन लेनी होगी। म्यूजियम में जानूधारा का लाइव डेमो भी देखा जा सकता है। म्यूजियम 24 जून को ही शुरू हुआ है।
एनआइए, पंचकर्म विभाग के एमडी डॉ. गोपेश मंगल कहते हैं कि म्यूजियम में जेन्ताक स्वेद (हट स्वीटिंग मैथड) जैसी 5 हजार साल पुरानी पंचकर्म प्रणाली मॉडल्स के जरिए समझ सकते हैं, आज ये प्रणाली इसीलिए प्रेक्टिकल नहीं है, क्योंकि इसमें कुटिया और उसके चारों और नदी व बगीचा जरूरी होता है। स्पेस की कमी से आज ये प्रणाली पूरे भारत में कही नहीं हो रही है। इसके अलावा ‘कु टी स्वेदÓ भी हट स्वीटिंग मैथड है, जिसमें खुले स्पेस में कुटिया की जरूरत होती है। इन दोनों प्रणालियों में मरीज को कुटिया के अंदर स्टीमिंग दी जा जाती है। वहीं सींग और अलाबू से रक्तशोधन की टेक्निक भी यहां पर आसानी से समझ सकते हैं।
गर्म खीचड़ी और दलिए का बिस्तर

म्यूजियम में कई एेसे मॉडल्स लगाए हैं, जो आयुर्वेदिक प्रणाली की गहनता को बयां करते हैं। एेसा ही एक मॉडल प्रस्तर स्वेदन है, जिसमें व्यक्ति को गर्म खीचड़ी और दलिए के बिस्तर पर लिटाया जाता है। इन खाद्य पदार्थो को सतही जगह पर बिछाया जाता है और उस पर रेशम का कपड़ा डालकर व्यक्ति को लेटा दिया जाता है। इसके अलावा एक मॉडल्स ‘कूप स्वेदनÓ इसमें हाथी, घोडे़ और गाय के सूखे डंग का जलता हुआ कूप बनाया जाता है और उस पर व्यक्ति को लिटाया जाता है। इसके अलावा म्यूजियम में शिरोधारा, जानू बस्ति, जानू धारा, शिरोबस्ति, रक्तमोक्षन, वमन कर्म, जानुपिचु, पत्र पिंड स्वेदन, पृष्ठ वस्ति और पृष्ठवस्ति सहित विभिन्न मॉडल्स हैं।
पंचकर्म के प्रति युवाओं का रुझान
पिछले तीन-चार सालों में पंचकर्म के प्रति युवाओं का खासा रुझान देखने को मिल रहा है। एनआइए में 25 से 30 युवावर्ग के युवा भी लगातार आ रहे हैं, जो पंचकर्म की विभिन्न सेवाएं ले रहे हैं, पोश्चर के कारण युवाओं में कमरदर्द, गर्दन दर्द और जोड़ों में दर्द की संभावनाएं बढ़ रही हैं, उस दिशा में पंचकर्म काफी फायदेमंद हो सकता है।

पंचकर्म म्यूजियम स्टूडेंट्स के लिए एक आदर्श बनेगा, जो उन्हें पंचकर्म के स्टैंडर्ड बताएगा। म्यूजियम में पंचकर्म की विभिन्न क्रियाओं को डिटेलिंग के साथ डिस्प्ले किया गया है, जो काफी फायदेमंद है।

प्रो. संजीव शर्मा, डायरेक्टर एनआइए

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