प्रवासी भारतीयों का हिंदी साहित्य और संस्कृति में योगदान
कार्यक्रम के संयोजक राकेश कुमार ने बताया दूसरे सत्र में प्रवासी भारतीयों का हिंदी साहित्य और संस्कृति में योगदान पर केंद्रित था। इस सत्र में ब्रिटेन से प्रख्यात साहित्यकार ज़किया जुबैरी और तेजेन्द्र शर्मा, ऑस्ट्रेलिया से रेखा राजवंशी में वक्त के रूप में उपस्थित रहे। इस सत्र को नीलिमा टिक्कु ने मॉडरेट किया। तीसरे सत्र में दलित साहित्य की सामाजिक वैचारिकी विषय पर चिंतन किया गया, इस सत्र में प्रख्यात दलित चिंतक और लेखक भंवर मेघवंशी से जामिआ मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के मुकेश कुमार मिरोठा ने की। सत्र में यह सामने आया की दलित समाज की सामाजिक स्थिति पर गंभीरता से चिंतन किया जाना आवश्यक है सिर्फ वादों और सपनों से कुछ नहीं होगा। जरुरत इस बात की है कि सब में समदृष्टि का भाव विकसित किया जाना आवश्यक है।
कार्यक्रम के संयोजक राकेश कुमार ने बताया दूसरे सत्र में प्रवासी भारतीयों का हिंदी साहित्य और संस्कृति में योगदान पर केंद्रित था। इस सत्र में ब्रिटेन से प्रख्यात साहित्यकार ज़किया जुबैरी और तेजेन्द्र शर्मा, ऑस्ट्रेलिया से रेखा राजवंशी में वक्त के रूप में उपस्थित रहे। इस सत्र को नीलिमा टिक्कु ने मॉडरेट किया। तीसरे सत्र में दलित साहित्य की सामाजिक वैचारिकी विषय पर चिंतन किया गया, इस सत्र में प्रख्यात दलित चिंतक और लेखक भंवर मेघवंशी से जामिआ मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के मुकेश कुमार मिरोठा ने की। सत्र में यह सामने आया की दलित समाज की सामाजिक स्थिति पर गंभीरता से चिंतन किया जाना आवश्यक है सिर्फ वादों और सपनों से कुछ नहीं होगा। जरुरत इस बात की है कि सब में समदृष्टि का भाव विकसित किया जाना आवश्यक है।