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घर में अच्छा म्यूजिक सुनने की परम्परा थी – नवराज हंस

जयपुर आए बॉलीवुड व पंजाबी सिंगर नवराज हंस ने शेयर किए अनुभव, अजय देवगन की फिल्म ‘दे दे प्यार दे’ के गाने ‘वड्डी शराबां’ की प्रतिक्रिया से हैं खुश

Apr 23, 2019 / 06:13 pm

Anurag Trivedi

जयपुर। हमारे घर में सिर्फ अच्छा संगीत और सिर्फ अच्छे गाने ही सुनाई दिया करते थे, आइट्म्स सॉन्ग और फास्ट म्यूजिक की कोई जगह नहीं थी। इसी का परिणाम था कि मुझे गजल, कव्वाली, क्लासिकल म्यूजिक सुनने और समझने का मौका मिला। पिता हंसराज हंस मेरे आदर्श हैं, उनके सिखाए सबक को मैंने दिल से अपनाया और उसी को म्यूजिक में फॉलो करता हूं। यह कहना है, बॉलीवुड और पंजाबी सिंगर नवराज हंस का। एक वेडिंग में परफॉर्म करने जयपुर आए नवराज ने पत्रिका प्लस के साथ अपने अनुभव शेयर किए। उन्होंने कहा कि इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनानी है, तो पहले पॉपुलर बनना होगा और पॉपुलर बनने के लिए बॉलीवुड में गाना जरूरी है। मैंने भी शुरुआत में बहुत अच्छे गाने बनाए, लेकिन पॉपुलैरिटी बॉलीवुड में आने के बाद बढ़ी है।
जिम्मेदारी नहीं मिलती तो दरगाह का कव्वाल होता
नवराज ने कहा कि मैं सूफी म्यूजिक का दीवाना हूं, पिता के बाद नुसरत फतेह अली के गानों को सबसे ज्यादा सुना है। एक वक्त ऐसा था, जब मैं कव्वाल बनना चाहता था और दरगाह पर बैठकर कव्वाली गाना चाहता था। लेकिन उसी वक्त मेरी शादी कर दी गई और जिम्मेदारियों के चलते उस तरफ ध्यान ना देकर परिवार के पालन-पोषण में लग गया, क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि मेरे परिवार की जिम्मेदारी भी मेरे पिता उठाए। अब पिछले दो साल में न केवल लोगों ने मेरे गानों को पसंद किया है, बल्कि बड़े-बड़े एक्टर्स पर भी मेरे गानों को फिल्माया गया है। यह मेरे लिए गर्व की बात है।
रियाज के साथ शुरू होता है दिन

उन्होंने बताया कि बचपन से ही म्यूजिक सुनते आए हैं और पिता ने रियाज को सबसे महत्वपूर्ण बताया था। इसलिए मेरे दिन की शुरुआत रियाज से होती है, यही कारण है कि मैं बिना किसी प्लस, माइनस के तीन घंटे लाइव परफॉर्म कर लेता हूं। मैंने पहला गाना पिता के साथ ही गाया था और वह लोगों को बहुत पसंद आया था। आगे भी मौका मिला तो उनके साथ जरूर कुछ नया लेकर आउंगा। अभी बॉलीवुड में लगभग ९ गाने रिलीज की कतार पर है और हर एक महीने में एक गाना रिलीज होगा। मई में एक सूफी गाना आ रहा है, सूफी मेरे दिल के करीब है और आज भी जब मुझे पीस की जरूरत होती है, तो दरगाह पर हारमोनियम लेकर बैठ जाता हूं और सूफी म्यूजिक प्रस्तुत करने लग जाता हूं।

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